यूपी के बुलंदशहर के बहुचर्चित हाईवे गैंगरेप मामले में कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया है. मुख्य पॉक्सो कोर्ट ने मां और नाबालिग बेटी के साथ हुए गैंगरेप के दोषी पांचों आरोपियों को उम्रकैद की सजा दी है. इसके साथ ही प्रत्येक आरोपी पर 1 लाख 81 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है.
मुख्य पॉक्सो कोर्ट के तृतीय अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश ओमप्रकाश ने यह फैसला सुनाया. सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता वरुण कौशिक ने बताया कि जुर्माने की कुल राशि दोनों रेप पीड़िताओं को आधी-आधी दी जाएगी. अदालत ने इसे जघन्यतम अपराध मानते हुए सख्त सजा जरूरी बताई.
फैसले के बाद आरोपी पक्ष के अधिवक्ता शिव चरण माहुर ने अदालत के निर्णय पर निराशा जताई. उन्होंने कहा कि वे इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे. बचाव पक्ष ने पहचान, डीएनए साक्ष्य और एफआईआर तक पर सवाल उठाते हुए पूरे मुकदमे को फर्जी करार दिया है.
यह मामला 29 जुलाई 2016 को उस वक्त सामने आया, जब बुलंदशहर में नेशनल हाईवे-91 पर एक मां और उसकी नाबालिग बेटी के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया था. हथियारबंद आरोपियों ने हाईवे पर कार रुकवाई, बंधक बनाया और जंगल की ओर ले जाकर वारदात को अंजाम दिया.
पीड़ित परिवार दिल्ली से नोएडा होते हुए शाहजहांपुर जा रहा था. देहात कोतवाली क्षेत्र के दोस्तपुर गांव के पास आरोपियों ने कार के आगे भारी लोहे की वस्तु फेंक दी. जब परिवार नीचे उतरा, तो सभी को गन पॉइंट पर ले लिया गया. इसके बाद उन सभी को जंगल की ओर घसीट ले जाया गया.
हाईवे किनारे पूरे परिवार को बंधक बनाकर मां और नाबालिग बेटी के साथ गैंगरेप किया गया. परिवार के सदस्य बेबस होकर सब कुछ देखते रहे. जांच में सामने आया कि उसी दिन नाबालिग पीड़िता को पहली बार मासिक धर्म आया था, जिससे उसकी हालत और भी गंभीर हो गई थी.
इस घटना के बाद उत्तर प्रदेश में कानून-व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े हुए थे. लापरवाही के आरोप में पेट्रोलिंग ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मी, थाना प्रभारी और हल्का इंचार्ज को निलंबित किया गया. इतना ही नहीं तत्कालीन एसएसपी, एसपी सिटी और सीओ सिटी पर भी कार्रवाई की गई थी.
मुकुल शर्मा