UP: कोरोना टीकाकरण को लेकर कहीं अफवाह, तो कहीं वैक्सीन की कमी! ग्रामीण इलाकों में सुस्त पड़ी रफ्तार

कोरोना की दूसरी लहर में जहां शहरी क्षेत्र में टीकाकरण अभियान ने रफ्तार पकड़ी हुई है, तो वहीं ग्रामीण एरिया के लोग सुस्त नजर आ रहे हैं. माना जा रहा है कि ग्रामीण इलाकों में टीके को लेकर तरह-तरह की अफवाह टीकाकरण अभियान पर असर डाल रही है.

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कोरोना टीकाकरण अभियान कोरोना टीकाकरण अभियान

आशुतोष मिश्रा / अमितेश त्रिपाठी

  • महराजगंज ,
  • 12 मई 2021,
  • अपडेटेड 9:45 PM IST
  • टीके से नपुंसक होने की फैल रही अफवाह
  • कई जगह युवाओं को नहीं मिल रही वैक्सीन 
  • ऐप पर रजिस्ट्रेशन भी नहीं कर पा रहे हैं ग्रामीण 

उत्तर प्रदेश की ग्रामीण आबादी संक्रमण की चपेट में आ रही है, तो वहीं 18 साल के ऊपर के लोगों के लिए टीकाकरण राज्य के महज 18 जिलों में ही सीमित रह गया है. जाहिर है कि इससे टीकाकरण अभियान को वह रफ्तार नहीं मिल सकेगी, जिसकी फिलहाल राज्य को जरूरत है. ऊपर से अलग-अलग अफवाह और भ्रांतियां इस अभियान की कमर तोड़ रही हैं. पूर्वी उत्तर प्रदेश के महराजगंज में फिलहाल टीकाकरण 45 साल की उम्र से ज्यादा के लोगों के लिए ही चल रहा है. 18 साल के ऊपर के लोगों के लिए टीकाकरण अभियान यहां शुरू नहीं किया गया है, लेकिन सुदूर इलाकों के टीकाकरण केंद्र या तो खाली पड़े हैं या फिर बंद पड़े हैं.
 
महराजगंज जिले के फरेंदा के पास ऐसे ही टीकाकरण केंद्र पर जब आजतक की टीम पहुंची तो वहां स्वास्थ्य कर्मी तो मौजूद थे, लेकिन टीका लगवाने वाला कोई नहीं दिखा. यहां पर 150 लोगों के टीका लगाने का बंदोबस्त था, लेकिन सुबह से 70 लोग ही टीका लगवाने पहुंचे थे. ग्रामीण इलाकों में टीकाकरण अभियान बेहद चुनौती भरा है. कारण ये भी है कि ग्रामीण इलाकों के 45 साल के ऊपर के ज्यादातर लोगों में शिक्षा का अभाव है, ऐसे में वे मोबाइल से रजिस्ट्रेशन भी बमुश्किल कर पा रहे हैं. वहीं गांव में कई लोगों के पास स्मार्टफोन नहीं है, बल्कि साधारण फोन का इस्तेमाल किया जाता है, ऐसे में मोबाइल से रजिस्ट्रेशन कैसे करें. 

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स्वास्थ्य कर्मी कर रहे मदद 
हालांकि स्वास्थ्य कर्मियों ने इन मुश्किलों को हराते हुए टीकाकरण अभियान को सफल बनाने की अपनी ओर से पूरी कोशिश की है. इस टीकाकरण केंद्र पर कार्यरत बबली चौधरी ने बताया, "गांव के ऐसे बहुत सारे लोग आते हैं, जिन्हें वेबसाइट पर रजिस्ट्रेशन करने नहीं आता या फिर उनके पास स्मार्टफोन की जगह साधारण फोन है, जिसके जरिए वो रजिस्ट्रेशन नहीं कर सकते. ऐसे में हम उन्हें आधार कार्ड लाने को कहते हैं और यहीं पर उनका रजिस्ट्रेशन करके ही उन्हें टीका लगा दिया जाता है." 

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अफवाहों की बड़ी भूमिका 
टीकाकरण की रफ्तार सुस्त होने के पीछे अफवाहों की भी बड़ी भूमिका मानी जा रही है. फरेंदा के मेडिकल सुपरिटेंडेंट अंगरेश सिंह का कहना है, "टीकाकरण इसलिए भी सुस्त है, क्योंकि लोगों के बीच अफवाह बहुत ज्यादा है. हालांकि हम लगातार जागरूकता फैला रहे हैं, लेकिन कुछ लोगों को लगता है कि टीकाकरण के लिए अस्पताल जाने से वह संक्रमित हो जाएंगे. तो कुछ लोगों के बीच अफवाह है कि टीकाकरण से उनमें नपुंसकता हो जाएगी."  

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जिले के हरपुर के रहने वाले मदरसा के अध्यापक अब्दुल मुस्तफा खान उस्मानी कहते हैं, "कई लोगों के बीच ऐसी अफवाह फैल गई है कि टीका लगवाने से वह बच्चे नहीं पैदा कर पाएंगे, हालांकि हमने यह फतवा जारी किया है कि लोग टीका लगवाएं, क्योंकि इससे कोरोना वायरस दूर होगा. हम लोगों को टीका लगवाने के प्रति जागरूक कर रहे हैं."

आशा वर्करों के साथ अभद्रता 
महराजगंज के कई ग्रामीण इलाकों में आशा वर्करों के साथ बुरा व्यवहार भी हुआ है और उन्हें अपशब्द भी सुनने पड़े हैं. मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. रंगरेज सिंह कहते हैं, "हमने आशा वर्करों को गांव में भेजा तो लोगों ने उन्हें भद्दी गालियां दीं और भगा दिया. आशा वर्कर लोगों को जागरूकता फैलाने के लिए गई थीं, कि वे टीका लगवाने आएं, लेकिन कई जगहों पर गांव में लोगों ने उनके साथ अच्छा सलूक नहीं किया." 

यहां नहीं वैक्सीन 
महराजगंज के हरपुर गांव में भी एक प्राथमिक चिकित्सा केंद्र है, जहां 17 अप्रैल से टीकाकरण की शुरुआत हुई है, लेकिन इस टीकाकरण केंद्र पर लोगों को सिर्फ टीके का इंतजार ही नसीब हुआ है. केंद्र बना दिया गया है, सारी व्यवस्थाएं भी कर दी गई हैं, टीकाकरण के लिए लोग भी सामने आए हैं, लेकिन टीका ही नसीब नहीं हो रहा है. गांव के रहने वाले सुरेश कुमार बताते हैं कि रजिस्ट्रेशन करने में परेशानी नहीं हुई, लेकिन टीके का इंतजार है. प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के फार्मासिस्ट धीरेंद्र कृष्ण त्रिपाठी ने बताया कि यहां वैक्सीन नहीं है, जिसके चलते टीकाकारण अभियान को रफ्तार नहीं मिल पा रही है.

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(इनपुट- महराजगंज  से संजय कुमार)

 

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