क्या सभी भारतीयों को कोरोना वैक्सीन की बूस्टर डोज लगाने की है तैयारी? डॉ. वीके पॉल ने दिया ये जवाब

नीति आयोग के सदस्य डॉ. वीके पॉल ने बताया कि कोरोना वैक्सीन की बूस्टर डोज लगाने का फैसला वैज्ञानिक आधार पर लिया जाएगा. उन्होंने बताया कि दुनिया में हो रहे डेवलपमेंट्स पर नजर रखी जा रही है और वैक्सीनेशन के विकल्पों को एनालाइज किया जा रहा है.

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अभी बुजुर्गों और फ्रंटलाइन-हेल्थकेयर वर्कर्स को लग रही है बूस्टर डोज. (फाइल फोटो-PTI) अभी बुजुर्गों और फ्रंटलाइन-हेल्थकेयर वर्कर्स को लग रही है बूस्टर डोज. (फाइल फोटो-PTI)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 11 फरवरी 2022,
  • अपडेटेड 12:20 PM IST
  • वैज्ञानिक आधार पर होगा बूस्टर पर फैसला
  • डॉ. पॉल ने कहा- जरूरत ध्यान में रखकर फैसला

Coronavirus Vaccine Booster Dose: देश में कोरोना की तीसरी लहर अब थोड़ी कमजोर पड़ गई है. वैक्सीनेशन का काम भी जारी है. इस बीच नीति आयोग के सदस्य डॉ. वीके पॉल (Dr. VK Paul) ने सभी के लिए बूस्टर डोज को लेकर सरकार की तैयाकी के बारे में बताया है. उन्होंने बताया कि सभी के लिए वैक्सीन की तीसरी डोज को लेकर वैज्ञानिक आधार पर फैसला लिया जाएगा.

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गुरुवार को वीकली प्रेस कॉन्फ्रेंस में डॉ. वीके पॉल ने बताया कि प्रिकॉशन डोज (Precaution Dose) को लेकर सभी फैसले जरूरत को ध्यान में रखकर लिए जाते हैं. 

उन्होंने बताया कि वैज्ञानिक जरूरत सबसे पहला कदम है. उसके बाद प्रोग्रामैटिक और फिर महामारी विज्ञान. उन्होंने कहा कि सिर्फ इसलिए कि कोई और ऐसा कर रहा है. उनके अपने संदर्भ हैं और हमारे अपने. ये सब वैज्ञानिक जांच के बाद किया जाता है.

ये भी पढ़ें-- तीन डोज वाली पहली Corona वैक्सीन की सप्लाई भारत में शुरू, जानिए बिना इंजेक्शन कैसे लगेगी, किसे लगेगी?

डॉ. पॉल ने ये भी बताया कि वैक्सीनेशन के लिए किस आबादी को शामिल करना है, इसकी लगातार समीक्षा की जाती है. उन्होंने बताया कि दुनिया में हो रहे डेवलपमेंट्स पर नजर रखी जा रही है और वैक्सीनेशन के विकल्पों को एनालाइज किया जा रहा है.

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तीसरी लहर में रि-इन्फेक्शन के मामले क्यों आए?

इस पर जवाब देते हुए ICMR के डीजी डॉ. बलराम भार्गव (Dr. Balram Bhargava) ने बताया कि वायरस का एक वैरिएंट दूसरे वैरिएंट के खिलाफ प्रोटेक्शन नहीं देता है, इसलिए तीसरी लहर में रि-इन्फेक्शन के मामले देखे गए. 

उन्होंने कहा कि वैक्सीनेशन ने गंभीर बीमारी, अस्पतालों में भर्ती होने वाले मरीजों और मौतों की संख्या को कम किया है. हालांकि, इसके लिए कोविड एप्रोप्रिएट बिहेवियर का पालन करना भी जरूरी है.

 

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