कोरोना के बढ़ते संक्रमण के डर के बीच एक अच्छी खबर आई है. वो खबर ये है कि भारत को जो तीसरी वैक्सीन मिलनी वाली है, वो दुनिया की सबसे असरकारी वैक्सीन साबित हुई है. भारत को तीसरी वैक्सीन के रूप में रूस की स्पुतनिक-V मिलने वाली है. भारत की सेंट्रल ड्रग्स अथॉरिटी ने पिछले हफ्ते ही स्पुतनिक-V के इमरजेंसी यूज की मंजूरी दी है. अब एक स्टडी में सामने आया है कि कोरोना के खिलाफ स्पुतनिक-V की एफिकेसी 97.6% तक है.
न्यूज एजेंसी रॉयटर्स से रूसी वैज्ञानिक डेनिस लोगुनोव ने बताया कि कोरोना के खिलाफ स्पुतनिक-V 97.6% तक प्रभावी साबित हुई है. ये बात 38 लाख लोगों पर हुई स्टडी में सामने आई. डेनिस लोगुनोव रूसी वैक्सीन स्पुतनिक-V के लीड डेवलपर भी हैं. डेनिस लोगुनोव ने बताया कि 38 लोग, जिन्हें इस वैक्सीन के दोनों डोज लग चुके हैं, उनके डेटाबेस से पता चलता है कि ये वैक्सीन कोरोना के खिलाफ 97.6% तक असरकारी है.
इसके साथ ही स्पुतनिक-V दुनिया की पहली कोरोना वैक्सीन है, जिसकी एफिकेसी कोरोना के खिलाफ सबसे ज्यादा है. इससे पहले तक इस वैक्सीन की एफिकेसी 91.6% तक थी. ये भी दुनिया की दूसरी कोरोना वैक्सीन में सबसे ज्यादा थी.
स्पुतनिक-V को रूस के गामालेया इंस्टीट्यूट ने रशियन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट फंड (RDIF) की फंडिंग से बनाया है. भारत में स्पुतनिक-V ने हैदराबाद की डॉ. रेड्डी लैब्स के साथ मिलकर ट्रायल किया है और इसके प्रोडक्शन का काम भी डॉ. रेड्डी लैब्स ही कर रही है. भारत में अभी जो दो वैक्सीन इस्तेमाल हो रही हैं, उनमें सबसे ज्यादा एफिकेसी रेट स्पुतनिक-V का ही है.
अभी भारत में सीरम इंस्टीट्यूट की कोविशील्ड, भारत बायोटेक की कोवैक्सीन ही इस्तेमाल में आ रही है. स्वदेशी कोवैक्सीन की एफिकेसी रेट 81% है, जबकि कोविशील्ड की एफिकेसी 62% से 80% के बीच है. हालांकि, सीरम इंस्टीट्यूट के सीईओ अदार पूनावाला ने कहा है कि अगर कोविशील्ड के दोनों डोज को 2 से 3 महीने के अंतर से लगाया जाता है, तो ये वैक्सीन 90% तक प्रभावी है.
रूसी वैक्सीन की एक खास बात ये भी है कि इसके दोनों डोज अलग-अलग वेक्टर पर आधारित है. कंपनी का दावा है कि ऐसा इसलिए किया गया, ताकि कोरोना के खिलाफ लंबे वक्त तक एंटीबॉडी बनी रहे. जबकि, बाकी वैक्सीन के दोनों डोज एक ही वेक्टर पर आधारित हैं. स्पुतनिक-V के दोनों डोज के बीच 21 दिन का अंतर ही रहता है.
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