अभिनेता अमिताभ बच्चन और उनके बेटे अभिषेक बच्चन कोरोना वायरस की पहचान के लिए किए जाने वाले रैपिड एंटीजन टेस्ट में पॉजिटिव पाए गए हैं. कोरोना संक्रमण की पूर्ण रूप से पुष्टि के लिए RT-PCR टेस्ट का किया जाना भी जरूरी है.
महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने बताया कि अमिताभ और अभिषेक के रैपिड एंटीजन टेस्ट में कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद पूरे बच्चन परिवार का स्वाब लिया गया है और इससे उनका RT-PCR TEST भी किया गया. रविवार को आए RT-PCR TEST की रिपोर्ट में एश्वर्या रॉय, उनकी बेटी अराध्या रॉय कोरोना पॉजिटिव पाई गई हैं. हालांकि जया बच्चन की रिपोर्ट निगेटिव आई है. शनिवार को एश्वर्या रॉय की शनिवार की रिपोर्ट निगेटिव आई थी.
बता दें कि RT-PCR test (Real-time reverse transcription-polymerase chain reaction) को कोरोना संक्रमण की पहचान के लिए गोल्ड स्टैंडर्ड फ्रंटलाइन टेस्ट कहा गया है. आइए आपको बताते हैं कि Rapid Antigen test, एंटी बॉडी टेस्ट और RT-PCR test में क्या अंतर है.
Rapid Antigen TEST
Rapid Antigen TEST लैबोरेट्री के बाहर किया जाने वाला टेस्ट है. इसका इस्तेमाल टेस्ट के नतीजे को तुरंत जानने के लिए किया जाता है.
कोविड-19 SARS-CoV-2 वायरस से होता है. इस टेस्ट में नाक से स्वाब लिया जाता है. इस टेस्ट में SARS-CoV-2 वायरस में पाए जाने वाले एंटीजन का पता चलता है. टेस्ट के नतीजे में एंटीजन की मौजूदगी कोरोना के संभावित संक्रमण का लक्षण है.
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एंटीजन वो बाहरी पदार्थ है जो कि हमारे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को एंटीबॉडी पैदा करने के लिए एक्टिवेट करता है. एंटीबॉडी बीमारियों से लड़ने में कारगर साबित होता है. एंटीजन वातावरण में मौजूद कोई भी तत्व हो सकता है, जैसे कि कैमिकल, बैक्टीरिया या फिर वायरस. एंटीजन नुकसानदेह है, शरीर में इसका पाया जाना ही इस बात का संकेत है कि शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को एक बाहरी हमले से लड़ने के लिए एंटीबॉडी बनाने पर मजबूर होना पड़ा है.
एंटी बॉडी टेस्ट
कोरोना की जांच के लिए एक और टेस्ट एंटीबॉडी टेस्ट है. एंटी बॉडी टेस्ट खून का सैंपल लेकर किया जाता है. इसलिए इसे सीरोलॉजिकल टेस्ट भी कहते हैं. इसके नतीजे जल्द आते हैं और ये RT-PCR के मुकाबले कम खर्चीला है. ये टेस्ट ऑन लोकेशन पर किया जा सकता है.
हालांकि एंटीबॉडी टेस्ट की कुछ सीमाएं हैं. इसलिए इसे अंतिम नहीं माना जाता है. इस टेस्ट में संक्रमण के बाद एंटीबॉडी बनने का लक्षण पता चलता है. एंटीबॉडी शरीर का वो तत्व है, जिसका निर्माण हमारा इम्यून सिस्टम शरीर में वायरस को बेअसर करने के लिए पैदा करता है. संक्रमण के बाद एंटीबॉडीज बनने में कई बार एक हफ्ते तक का वक्त लग सकता है, इसलिए अगर इससे पहले एंटीबॉडी टेस्ट किए जाएं तो सही जानकारी नहीं मिल पाती है. इसके अलावा इस टेस्ट से कोरोना वायरस की मौजूदगी की सीधी जानकारी भी नहीं मिल पाती है. इसलिए अगर मरीज का एंटी बॉडी टेस्ट निगेटिव आता है तो भी मरीज का RT-PCR टेस्ट करवाया जाता है.
RT-PCR TEST
इस टेस्ट को कोरोना की पहचान के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय ने गोल्ड स्टैंडर्ड फ्रंटलाइन टेस्ट कहा है. RT-PCR TEST में संभावित मरीज के नाक के छेद या गले से स्वाब लिया जाता है. ये टेस्ट लैब में ही किया जाता है. इस टेस्ट में Ribonucleic acid यानी कि RNA की जांच की जाती है. RNA वायरस का जेनेटिक मटीरियल है.
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अगर मरीज से लिए गए सैंपल का जेनेटिक सीक्वेंस SARS-CoV-2 वायरस के जेनेटिक सीक्वेंस से मेल खाता है तो मरीज को कोरोना पॉजिटिव माना जाता है. इस टेस्ट में निगेटिव रिजल्ट तभी आता है जबकि मरीज के शरीर में वायरस मौजूद नहीं रहते हैं.
बता दें कि RT-PCR कोरोना टेस्टिंग की महंगी प्रणाली है. इसमें सैंपल से RNA निकालने वाली मशीन की जरूरत पड़ती है. इसके लिए एक प्रयोगशाला और प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मियों की भी जरूरत पड़ती है. इस टेस्ट को करने में लैब में ही 4 से 5 घंटे का समय लगता है. इसकी लागत भारत में 4500 रुपये के करीब आती है. हालांकि कोरोना टेस्टिंग की ये सबसे विश्वसनीय पद्धति है.
पन्ना लाल