हाई कोर्ट में बोली दिल्ली सरकार- कोरोना के मद्देनजर प्राइवेट कार के अंदर भी मास्क लगाना अनिवार्य

पिछली सुनवाई में हाई कोर्ट ने दिल्ली पुलिस, केजरीवाल सरकार, डिजास्टर मैनेजमेंट और स्वास्थ्य मंत्रालय को नोटिस जारी किया था. इस मामले में अभी स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से जवाब आना बाकी है.

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दिल्ली में मास्क पहने घूमता एक शख्स (PTI फोटो) दिल्ली में मास्क पहने घूमता एक शख्स (PTI फोटो)

पूनम शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 18 नवंबर 2020,
  • अपडेटेड 10:11 PM IST
  • दिल्ली सरकार ने HC में दिया हलफनामा
  • मामले में अगली सुनवाई 7 जनवरी को
  • स्वास्थ्य मंत्रालय का जवाब आना बाकी

दिल्ली सरकार ने हाई कोर्ट में दिए अपने हलफनामे में कहा है कि सड़क पर कार को प्राइवेट व्हीकल बताकर मास्क लगाने से नहीं बचा जा सकता है. दिल्ली सरकार की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के एक पुराने जजमेंट का हवाला देते हुए बताया गया है कि सड़क पर मौजूद किसी व्यक्ति की कार प्राइवेट स्पेस की श्रेणी में नहीं गिनी जा सकती है. 

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सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में नशाबंदी के एक मामले में बंद कार में शराब पीते लोगों को लेकर यह टिप्पणी की थी. दिल्ली सरकार का यह हलफनामा उस याचिका पर आया है जिसमें बंद कार में अकेले ड्राइविंग करते हुए मास्क न लगाने पर 500 रुपये के जुर्माने को कोर्ट में चुनौती दी गई है. 

पिछली सुनवाई में हाई कोर्ट ने दिल्ली पुलिस, केजरीवाल सरकार, डिजास्टर मैनेजमेंट और स्वास्थ्य मंत्रालय को नोटिस जारी किया था. इस मामले में अभी स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से जवाब आना बाकी है.

हाई कोर्ट के वकील सौरव शर्मा द्वारा लगाई गई याचिका में कहा गया है कि 9 सितंबर को चलती गाड़ी को रोककर उनका चालान कर दिया गया जबकि वह अपनी गाड़ी में अकेले ही घर से ऑफिस जा रहे थे. सौरव शर्मा का कहना है कि जो चालान काटा गया उसमें मोटर व्हीकल एक्ट के तहत कोई अपराध बनता ही नहीं है. साथ ही वसूले गए चालान की रकम को किस विभाग को दिया जाएगा, यह भी साफ नहीं है.

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याचिका में कहा गया है कि स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से ऐसी कोई भी गाइडलाइन जारी नहीं की गई है जिसमें अकेले कार में सफर करते हुए मास्क लगाना अनिवार्य किया गया हो. वकील का चालान पब्लिक प्लेस में मास्क ना पहनने के लिए किया गया है, जबकि वह अपनी गाड़ी में अकेले ही ड्राइविंग कर रहे थे. चालान में पहले से ही गवाह के तौर पर किसी व्यक्ति के साइन कर दिए जाते हैं जो घटनास्थल पर मौजूद ही नहीं होता है. ऐसे में किया गया यह चालान खुद गैरकानूनी है.

याचिका में कहा गया है कि पब्लिक प्लेस के अंतर्गत आने वाले इलाकों में लोग बिना मास्क के पैदल घूम रहे हैं लेकिन वहां पर चालान नहीं किए जा रहे हैं जबकि सड़कों पर गाड़ियों को रोककर 500 रुपये के चालान किए जा रहे हैं. याचिका में यह भी कहा गया है कि 7 सितंबर को दिल्ली ट्रैफिक पुलिस की तरफ से यह साफ कर दिया गया था कि अब वह शहर में मास्क ना पहनने पर लोगों का चालान नहीं कटेगी.

इसके अलावा बंद गाड़ी में ड्राइविंग करते वक्त मास्क पहनना ना किसी विभाग के द्वारा और ना ही स्वास्थ्य मंत्रालय के द्वारा अनिवार्य किया गया है. याचिकाकर्ता ने कोर्ट में तर्क दिया है कि जब किसी भी मंत्रालय या विभाग के द्वारा बंद गाड़ी में ड्राइविंग करते वक्त मास्क पहनने को अनिवार्य नहीं किया गया है तो फिर अकेले गाड़ी चलाते वक्त मास्क ना पहनने पर 500 रुपये का चालान किस आधार पर काटा जा सकता है. दिल्ली हाई कोर्ट इस मामले में अगली सुनवाई  7 जनवरी को करेगा.

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