कोरोना वैक्सीन की कमी का मसला तूल पकड़ता जा रहा है. सुप्रीम कोर्ट के सवाल-जवाब के बाद अब विपक्ष भी केंद्र सरकार पर हमलावर है. शिवसेना ने शुक्रवार को कहा कि वैक्सीन के बाजार में आने के बाद भी हमारे देश में टीकाकरण को लेकर दुर्दशा हो रही है, सुप्रीम कोर्ट को पीएम केयर फंड का हिसाब भी मांगकर जनता के समक्ष रखना चाहिए.
शिवसेना ने अपने मुखपत्र में कहा कि कई जगहों पर खर्च में कटौती करके उस पैसे को पीएम केयर फंड में घुमा दिया गया, सांसदों के वेतन में ‘कटौती’ करके उन सैकड़ों करोड़ रुपयों को भी पीएम केयर फंड में डाल दिया गया, लेकिन पूरे देश में न तो बिस्तर है, न दवाइयां हैं, न ऑक्सीजन है और न ही सही टीकाकरण है, ऐसी अवस्था है.
शिवसेना ने कहा कि अमेरिका और इजराइल में टीकाकरण पूरा हुआ, वो देश अब ‘मास्क मुक्त’ हो गए हैं, इंग्लैंड भी उसी दिशा में आगे बढ़ रहा है, लेकिन हिंदुस्थान में सिर्फ टटोलना ही जारी है, देश की स्वास्थ्य प्रणाली और व्यवस्था का हो रहा पतन दुनिया देख रही है, टीकाकरण के लिए आवंटित किए गए 35 हजार करोड़ रुपए का क्या किया गया?
शिवसेना ने कहा कि आज जिस रफ्तार से टीकाकरण किया जा रहा है, उस पर नजर डालें तो देश में पूर्ण टीकाकरण के लिए वर्ष 2024-25 शुरू हो जाएगा और यदि समय पर टीकाकरण नहीं किया गया तो तीसरी, चौथी और पांचवीं लहर भी आएगी, वायरस हर बार एक नया रूप लेगा और फार्मा कंपनियां नए टीके पेश करके लाभ कमाती रहेंगी.
शिवसेना ने कहा कि 18 से 44 आयु वर्ग के मुफ्त टीकाकरण के लिए सरकार ने 35 हजार करोड़ रुपए में से कितना खर्च किया? यह सवाल कोर्ट ने पूछा, जो कि महत्वपूर्ण है, न्यायपालिका पर तमाम सवाल उठ रहे थे, लेकिन कुछ जस्टिस ने बता दिया कि सुप्रीम कोर्ट की रीढ़ टूटी नहीं है, यह रीढ़ ऐसी ही सीधी रहे!
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