भारत बायोटेक ने माना, फेज वन के ट्रायल में कोरोना वैक्सीन देने से वॉलंटियर को हुई थी परेशानी

भारत बायोटेक ने कहा कि इस घटना की पूरी तरह से जांच की गई थी और इसकी जानकारी CDSCO-DCGI को दी गई थी. इसके बाद ही कंपनी को दूसरे और तीसरे चरण के क्लिनिकल ट्रायल की जानकारी मिली.

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प्रतीकात्मक तस्वीर प्रतीकात्मक तस्वीर

आशीष पांडेय

  • हैदराबाद,
  • 22 नवंबर 2020,
  • अपडेटेड 8:18 AM IST
  • पहले फेज में ट्रायल के दौरान हुआ था विपरीत असर
  • पूरे घटनाक्रम की जानकारी एथिक्ट कमेटी की दी गई

कोरोना वैक्सीन बना रही भारत की फार्मा कंपनी भारत बायोटेक ने कहा है कि कोवैक्सीन के पहले चरण के ट्रायल के दौरान वैक्सीन लगाने पर वॉलंटियर को कुछ तकलीफ हुई थी जिसकी जानकारी एथिक्स कमेटी और दवा नियामक संस्थाओं को 24 घंटे के अंदर दी गई थी. ये ट्रायल अगस्त महीने में किया गया था.  

बाद में इस मामले की पूरी तरह से जांच की गई थी और पाया गया था कि ये विपरीत प्रभाव वैक्सीन से संबंधित नहीं था. भारत बायोटेक ने कहा है कि दिशानिर्देश के मुताबिक इस विपरीत प्रभाव की जानकारी एथिक्स कमेटी,  Central Drugs Standard Control Organisation और Drug Controller General of India (CDSCO-DCGI) को दी गई थी. 

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यही नहीं, इस घटनाक्रम की पूरी जानकारी टाइमलाइन के साथ स्पॉन्सर ने दी थी. इस दौरान वैक्सीन लेने वाले शख्स के इलाज में होने वाला पूरा खर्च स्पॉन्सर द्वारा किया गया था. भारत बायोटेक ने एक अहम जानकारी में बताया कि जिस व्यक्ति पर वैक्सीन का ट्रायल किया गया था वो सुरक्षित है. 

भारत बायोटेक ने कहा कि इस घटना की पूरी तरह से जांच की गई थी और इसकी जानकारी CDSCO-DCGI को दी गई थी. इसके बाद ही कंपनी को दूसरे और तीसरे चरण के क्लिनिकल ट्रायल की जानकारी मिली. 

बता दें कि भारत बायोटेक देश के शीर्ष संगठन ICMR के साथ मिलकर कोरोना वैक्सीन का निर्माण करने में जुटी है. हाल ही में कंपनी ने वैक्सीन के तीसरे चरण का ट्रायल शुरू किया है. इसके लिए कंपनी ने 26 हजार लोगों को कोरोना का टीका देने और उनकी निगरानी करने का प्लान बनाया है. 

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कंपनी ने कहा कि उसके 20 साल के इतिहास में उसने 18 से ज्यादा देशों में 80 से ज्यादा क्लिनिकल ट्रायल किए हैं. इस दौरान कंपनी ने 6 लाख लोगों (सब्जेक्ट) की सहायता ली है. और ये सभी ट्रायल क्लिनिक्ल प्रैक्टिस का ध्यान रखते हुए किया गया है. 


 

 

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