भारत में शुक्रवार को पहले शख्स को स्पूतनिक V वैक्सीन लगाई गई है. अब तक भारत के पास दो टीके (कोविशील्ड और कोवैक्सीन) ही मौजूद थे. स्पूतनिक V ने ट्वीट करते हुए लिखा कि भारत में स्पूतनिक V का पहला डोज दिया गया. हमें गर्व है कि कोरोना के खिलाफ भारत की इस लड़ाई में हम उनके साथ खड़े हैं. स्पूतनिक V एक रूसी-भारतीय वैक्सीन है.
इस वैक्सीन के एक बड़े हिस्से का उत्पादन भारत में होगा. उम्मीद की जा रही है कि इस साल भारत में 850 मीलियन डोज यानी की साढ़े आठ करोड़ डोज तैयार कर ली जाएगी.
देश में रूसी वैक्सीन स्पूतनिक V की पहली डोज दीपक सपरा को दी गई है. दीपक डॉ रेड्डीज लैब में कस्टम फार्मा सर्विसेज के ग्लोबल हेड हैं. उन्हें हैदराबाद में वैक्सीन की पहली डोज दी गई है.
सूत्रों के मुताबिक, रूस की स्पूतनिक वी की डेढ़ लाख डोज़ एक मई को भारत में आ गए थे. प्रोटोकॉल के तहत, 100 सैंपल को सेंट्रल ड्रग लैब में भेजा गया है, जो हिमाचल प्रदेश के कसौली में है.
अभी तक देश में कोवैक्सीन और कोविशील्ड से ही टीकाकरण अभियान चल रहा है. केंद्र सरकार इन दोनों टीकों को 250 रुपये की कीमत में खरीदती है लेकिन इन दोनों वैक्सीन के निर्माताओं ने खुले बाजार और निजी अस्पतालों में अलग-अलग कीमत तय की हुई है.
सरकारी सूत्रों के अनुसार बाहर से आ रही वैक्सीन का एक प्रोटोकॉल होता है. जिसे DCGI ने लागू किया है, इसके मुताबिक भारत में आ रहा वैक्सीन का हर बैच इस प्रक्रिया से गुजरेगा. जिसमें वैक्सीन के अलग-अलग पहलुओं को मापा जाता है और उसके बाद ही देश में इसका इस्तेमाल किया जाता है.
कोरोना संकट के बीच वैक्सीन की डिमांड ज्यादा है, सरकारी सूत्रों के मुताबिक वैक्सीन की टेस्टिंग की ये प्रक्रिया यूं तो 28 दिन तक लेती है लेकिन इमरजेंसी के वक्त में इसे 10 दिन तय किया गया है. अहम बात ये भी है कि स्पूतनिक वी को अभी WHO या अमेरिकी FDA ने मंजूरी नहीं दी है, यही कारण है कि भारत भी वैक्सीन के बैच को मापने के बेसिक प्रोटोकॉल का पालन कर रहा था.
मिलन शर्मा