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कोरोना

कोरोनाः ईरान में फंसे 65 भारतीयों की गुहार, अब तो हमें निकालो सरकार

ऋचीक मिश्रा
  • 31 मार्च 2020,
  • अपडेटेड 8:29 AM IST
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65 भारतीय ईरान में फंसे हुए हैं. उनके पैसे खत्म हो रहे हैं. मार्च में उनके वीजा की वैलिडिटी भी खत्म हो जाएगी. कोरोना की वजह से ईरान लॉकडाउन है. इसलिए वे अपने लेबर कैंप में बंद हैं. बाहर नहीं निकल सकते. भारतीय दूतावास ने मदद का आश्वासन देकर पल्ला झाड़ लिया. कहा आप तेहरान आ जाइए हम स्क्रीनिंग करके आपको देश भेज देंगे. लेकिन ट्रांसपोर्ट बंद होने की वजह से ये भारतीय फंसे हुए हैं.

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ईरान में जैसे-जैसे लोगों के कोरोना संक्रमित होने की संख्या बढ़ती जा रही है, इन भारतीयों का डर भी गहरा होता जा रहा है. ये लोग तेहरान से करीब 300 किलोमीटर दूर अर्देश्तान में फंसे हुए हैं. जिस कंपनी में ये लोग काम करते हैं वो मदद नहीं कर रही है. कंपनी के पास पासपोर्ट जब्त हैं. अब इन भारतीयों का कहना है कि संक्रमित होने से पहले हमें कोई भारत पहुंचा दे.

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Aajtak.in से वॉट्सऐप के जरिए बातचीत में इस जगह पर फंसे महाराष्ट्र के सोलापुर के भरत इघोले ने बताया कि करीब एक महीने से 65 भारतीय 8-9 कमरों में यहां फंसे हुए हैं. भारतीय दूतावास से फोन से संपर्क कर उन्हें निकालने की गुहार लगा रहा है. लेकिन कोई मदद नहीं मिल रही है. ये भारतीय यूपी, महाराष्ट्र, बिहार और झारखंड के रहने वाले हैं.

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उत्तर प्रदेश के वाराणसी के रहने वाले नीतेश कुमार चौहान ने वॉट्सऐप के जरिए बताया कि सभी भारतीयों को ईरान की काविर कॉरपोरेटिव स्टील कंपनी में काम के लिए भेजा गया था. यह कंपनी अर्देश्तान प्रांत में है.

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65 भारतीयों में उत्तर प्रदेश के आठ लोग हैं. नीतेश कुमार चौहान (वाराणसी), पप्पू चौहान (वाराणसी), अशोक कुमार (वाराणसी), गुड्डू चौहान (वाराणसी), जीवतलाल चौहान (वाराणसी), हजारी विश्वकर्मा (चंदौली), वीरेंद्र कुमार चौहान (मऊ) और विनोद कुमार (चंदौली). Aajtak.in के पास इन 65 भारतीयों की पूरी लिस्ट है.

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नीतेश चौहान ने बताया कि कोरोना के चलते काम प्रभावित हुआ तो कंपनी ने काम रोक दिया. इसके बाद सभी भारतीयों ने देश वापसी के लिए 25 मार्च का टिकट करा लिया. लेकिन तभी वहां लॉकडाउन हो गया और सभी पब्लिक ट्रांसपोर्ट बंद हो गया. छत्तीसगढ़ के रायपुर की इंडस्ट्रियल टेक्निकल कंसल्टेंट कंपनी ने उन्हें ईरान भेजा है.

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गल्फ देशों में भारतीयों की मदद करने वाली समाज सेविका शाहीन सैयद ने वॉट्सऐप कॉल और मैसेज से बताया कि यहां फंसे भारतीयों ने तेहरान स्थित भारतीय दूतावास के अधिकारियों गडम्मा धर्मेंद्र और कार्यालय प्रमुख आकाश वानखेड़ा से कई बार मदद मांगी.

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इसके बाद कुछ दिन पहले दूतावास ने ईमेल से सभी 14 से 16 मार्च के बीच दूतावास आकर कोरोना की जांच कराने को कहा. लेकिन कंपनी ने दूतावास तक जाने के लिए साधन नहीं दिया.

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शाहीन ने बताया कि इस वजह से दूतावास तक ये 65 भारतीय पहुंच नहीं पाए. इसके बाद लॉकडाउन हो गया. अब जा नहीं सकते. शाहीन ने भारतीय सरकार से सवाल किया है कि क्या भारत सरकार दो मेडिकल स्टाफ अर्देश्तान पर्सियन पेट्रोल पंप के नजदीक स्थित इन भारतीयों के कैंप में भेजकर स्क्रीनिंग करवा ले. इसके बाद एक बास से उन्हें तेहरान ले आए. मेडिकल स्टाफ को अर्देश्तान स्थित कैंप भेजने को लेकर दूतावास की तरफ से कोई जवाब नहीं आया है.

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भरत इघोले ने बताया कि हम सभी को बहुत ज्यादा डर लग रहा है. क्योंकि क्या पता यहां क्या हो जाए. इस देश के नियम कायदे इतने सख्त हैं कि हमें बहुत मुश्किल हो जाएगी. इसलिए भारत सरकार से अपील है कि हमें यहां से जल्द से जल्द निकाले.

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समाज सेविका शाहीन सैयद ने बताया कि इन भारतीयों की हलात बहुत अच्छी नहीं है. ये लोग जिस जगह पर रहते वो बेहद गर्म इलाका है. इनके पास खाने-पीने का सामान भी कम ही बचा है. ज्यादा दिन तक ये लोग इस तरह से नहीं रह पाएंगे. (सभी फोटोः भरत इघोले)

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