कोरोना वायरस का पहला मामला चीन के हुबेई प्रांत के वुहान शहर के एक बाजार से जुड़ा हुआ है जहां पर सीफूड और तमाम प्रजातियों के जानवर बेचे जाते हैं. शुरुआत में कहा गया कि इंसानों में कोरोना वायरस चमगादड़ के जरिए पहुंचा हालांकि इस बात को लेकर सवाल खड़े किए गए कि वुहान के बाजार में चमगादड़ बिकता था या नहीं. ऐसे में तमाम शोधकर्ताओं ने अनुमान लगाया कि इस बाजार में लाए गए जानवर में पहले चमगादड़ से संक्रमण फैला होगा और फिर उस जानवर के जरिए इंसानों में वायरस पहुंचा होगा.
पिछले महीने एक रिपोर्ट में कहा गया कि इंसानों और चमगादड़ के बीच संक्रमण की कड़ी बना ये जानवर सांप, कछुआ या कोई पैंगोलिन हो सकता है.
अभी तक हुए जेनेटिक विश्लेषण से कोरोना वायरस के लिए कसूरवार जानवर को लेकर स्पष्ट नतीजा नहीं निकाला जा सका है लेकिन वायरस के लिए हर किसी का शक पैंगोलिन पर है. यह चींटी खाने वाला स्तनधारी जीव है जो चीन में अपने औषधीय फायदों के लिए बेहद लोकप्रिय है. कोरोना वायरस की विभीषिका को देखते हुए कुछ वन्यजीव प्रेमी अब ये सवाल खड़े कर रहे हैं कि क्या पैंगोलिन इंसानों से अपना बदला ले रहा है क्योंकि दशकों से इंसान ने अपने स्वार्थ और लालच में इनकी जानें ली हैं.
चीन ने वैसे तो कागजों पर वन्यजीवों के व्यापार पर प्रतिबंध तीन दशकों से लगाया हुआ है लेकिन इसके बावजूद पैंगोलिन दुनिया भर में सबसे ज्यादा तस्करी किया जाने वाला स्तनपायी जीव है. चीन में वन्यजीव सुरक्षा से जुड़ा पहला कानून 1980 के दौर का है जिसमें 330 संकटाग्रस्त प्रजातियों को शामिल किया गया था. 2000 में चीन ने जैविक, वैज्ञानिक और सामाजिक महत्व वाली 1700 प्रजातियों के लिए भी निर्देश लागू किए थे.
2018 में हुबेई प्रांत के वुहान में भी जहां से इस नए कोरोना वायरस की शुरूआत हुई, वहां 300 वन्यजीव संरक्षण क्षेत्र बनाए गए और अवैध रूप से शिकार और व्यापार पर शिकंजा कसा गया. हालांकि, इन सबके बावजूद, पैंगोलिन को कई मदद नहीं मिली. जनवरी 2019 में हॉन्ग कॉन्ग में 9 टन पैंगोलिन स्कैल्स जब्त किए गए. एक अनुमान के मुताबिक, इसके लिए करीब 14,000 पैंगोलिन को मारा गया होगा. अगले महीने ही मलेशिया में 33 टन पैंगोलिन का मांस बरामद किया गया और अप्रैल में सिंगापुर से 14 टन पैंगोलिन के स्कैल्स जब्त किए गए.
वाइल्डलाइफ एडवोकेसी ग्रुप वाइल्डऐड की 2016 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले एक दशक में इंसानों ने करीब 10 लाख पैंगोलियन्स का शिकार किया जिसमें से ज्यादातर अवैध वन्यजीव तस्करी का हाथ है. पिछले साल चीनी पैंगोलिन को चीन में फंक्शनल एक्सटिंशन (इकोसिस्टम की निष्क्रिय श्रेणी) डाल दिया गया. पिछले दो दशकों में मलय के पैंगोलिन की आबादी में भी 80 फीसदी की कमी आई है, वहीं फिलिप्पिनो और भारतीय पैंगोलिन की संख्या भी 50 फीसदी कम हो गई है.
इंसानों में कमाई के लालच और स्वाद ने पैंगोलिन को विलुप्त होने के कगार पर पहुंचा दिया है. चीन समेत कई देशों में पैंगोलिन की भारी डिमांड है और इस वजह से तस्करों और विक्रेताओं के लिए ये बड़े फायदे का सौदा होता है. एक पैंगोलिन की कीमत आज 300 डॉलर (लगभग 23000 रुपए) है.
पैंगोलिन का मीट स्टेटस सिंबल बन गया है. चीन में बड़े अधिकारियों को डिनर में पैंगोलिन मीट दिया जाता है. वहीं, पैंगोलिन स्कैल्स को सेहत से भी जोड़कर देखा जाता है. 2015 के एक सर्वे में 70 फीसदी चीनी लोगों ने माना कि पैंगोलिन खाने से स्किन की बीमारियां दूर करने और घाव भरने में मदद मिलती है. लोगों को लगता है कि प्राचीन चीनी परंपरा में ये चीजें शामिल थीं. हालांकि, कई प्राचीन किताबों में सांप, बैजर्स समेत कई वन्यजीवों को खाने के खिलाफ आगाह किया गया है.
चीन में गूगल के समकक्ष सर्च इंजन बाइडू से मिले डेटा के मुताबिक, वाइल्ड टेस्ट को लेकर किए गए 23 फीसदी सर्च में पैंगोलिन कीवर्ड शामिल था. पिछले महीने जब चीन में कोरोना वायरस के संक्रमण की महामारी के बीच चमगादड़, मार्मोट्स, पैंगोलिन खाने पर बैन लगा तो लोग ये सर्च कर रहे थे कि फिलहाल कौन से वन्यजीवों को खाया जा सकता है. लोग पूछ रहे थे कि क्या बुलफ्रॉग्स उपलब्ध हैं, हिरण खा सकते हैं, क्वेल या क्वेल के अंडे खाए जा सकते हैं या नहीं? महामारी के दौर में भी लोग अपने खानपान पर काबू नहीं कर पा रहे थे. क्या पैंगोलिन ने ही कोरोना वायरस को इंसानों में फैलाया? अगर हां तो क्या कोविड-19 पैंगोलिन को विलुप्त के कगार पर लाकर खड़े करने का बदला है? क्या नए प्रतिबंधों की वजह से पैंगोलिन का शिकार बंद होगा क्योंकि अब भी मेडिकल के लिए इसके इस्तेमाल की इजाजत दी गई है. ये सारे कई सवाल हैं जिनके जवाब इंसानों को कभी ना कभी प्रकृति के खातिर सोचने ही होंगे!