Who is Middle Class: मिडिल क्लास की देश में खूब चर्चा, जानिए आप अमीर हैं या गरीब... इन 3 कैटेगरी में बंटी है आबादी

Middle Class Definition: कहा जा रहा है कि पिछले एक दशक में सबसे ज्यादा दबाव मिडिल क्लास पर पड़ रहा है, उनकी आमदनी घट रही है, और खर्चे बढ़ रहे हैं. यही नहीं, टैक्स का बोझ भी सबसे ज्यादा मिडिल क्लास पर ही पड़ता है. ऐसे में 'मिडिल क्लास' ही अब राजनीति और अर्थनीति के केंद्र में है.

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Middle Class Family (Photo: AI) Middle Class Family (Photo: AI)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 28 जनवरी 2025,
  • अपडेटेड 1:11 PM IST

आपने भी सुना होगा कि देश में अमीर और अमीर होता जा रहा है, और गरीब और गरीब. लेकिन अब चर्चा सबसे ज्यादा मिडिल क्लास की हो रही है. देश में मिडिल क्लास (Middle Class) की बड़ी आबादी है, इसलिए हर बजट में मिडिल क्लास की बात होती है, और अब चुनाव में भी मिडिल क्लास की बात हो रही है.

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जब भी बजट (Budget) आता है तो उससे मिडिल क्लास को सबसे ज्यादा उम्मीदें होती हैं, इनकम टैक्स (Income Tax) में छूट की बात हो या फिर जीएसटी (GST) में रियायत की. दरअसल, दिल्ली चुनाव (Delhi Election) के दौरान पार्टियां अब मिडिल क्लास को टारगेट कर रही हैं. दिल्ली में करीब 30 फीसदी मिडिल क्लास की आबादी है. ऐसे में हर तीसरा वोटर मिडिल क्लास कैटेगरी से आता है, फिर उन्हें लुभाने के लिए दांव चलना तो आम बात है. 

कहा जा रहा है कि पिछले एक दशक में सबसे ज्यादा दबाव मिडिल क्लास पर पड़ रहा है, उनकी आमदनी घट रही है, और खर्चे बढ़ रहे हैं. यही नहीं, टैक्स का बोझ भी सबसे ज्यादा मिडिल क्लास पर ही पड़ता है. ऐसे में 'मिडिल क्लास' ही अब राजनीति और अर्थनीति के केंद्र में है.

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सबसे पहले ये जानते हैं कि मिडिल क्लास की परिभाषा क्या है? कैसे आप पता करें कि आप अपर क्लास, मिडिल क्लास या फिर लोअर क्लास में आते हैं? दरअसल, आमदनी के हिसाब से ये तय किया जाता है. हालांकि कई रिपोर्ट्स और एक्सपर्ट का मानना है कि मिडिल क्लास को सही तरीके से आंकने का कोई पैमाना नहीं है, इसे इनकम के हिसाब से नहीं मापा जा सकता है. 

सबसे पहले अपर क्लास (Upper Class) की बात करते हैं...
गोल्डमैन सैक्स (Goldman Sachs) के अनुसार भारत में करीब 10 करोड़ लोग अपर क्लास यानी संपन्न (Affluent) कैटेगरी में आते हैं. ये अनुमान साल 2024 के लिए लगाया गया था. कुछ संस्थान और एक्सपर्ट्स 12 करोड़ लोगों को अपर क्लास में रखते हैं. रिपोर्ट के मुताबिक भारत में प्रति वर्ष $10,000 से अधिक कमाने वालों को अपर क्लास कहा जाता है. वहीं तमाम रिपोर्ट्स में सालाना 9-12 लाख से अधिक कमाने वाले अपर क्लास (Upper Class) में आते हैं. इस कैटेगरी को आप अमीर भी कह सकते हैं.

अब मिडिल क्लास (Middle Class) की बात करते हैं, जिसकी सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है... 

साधारण तौर पर 3 लाख से 10 लाख तक आय वाले मिडिल क्लास में आते हैं. वहीं एक परिभाषा ये भी है कि जिनकी प्रति व्यक्ति आय 2.5 लाख रुपये सालाना है, वो मिडिल क्लास के दायरे में आते हैं. यानी अगर एक परिवार में चार सदस्य हैं और उनकी प्रति व्यक्ति आय 2.5 लाख रुपये सालाना है तो फिर पूरे परिवार की आय सालाना करीब 10 लाख रुपये होती है, इस हिसाब से ये परिवार मिडिल क्लास कहलाएगा. 

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वहीं, कुछ साल पहले ही इंडियन थिंक टैंक के एक सर्वे में बताया गया था कि जिन परिवार की इनकम 5-30 लाख रुपये सालाना होती है, उन्हें मिडिल क्लास (Middle class) की कैटेगरी में माना जाता है. मास्टरकार्ड की रिपोर्ट के हिसाब से जो लोग सालाना 1,51,651 रुपये कमाते हैं, वो मिडिल क्लास में आते हैं. कुल मिलाकर ये कहा जा सकता है कि 25 हजार रुपये से लेकर 10 लाख तक कमाने वाले मिडिल क्लास में आते हैं. कहा जाता है कि मिडिल क्लास की आबादी देश में 30 फीसदी से ज्यादा है, यानी मिडिल क्लास की संख्या करीब देश में 30 करोड़ है, जबकि कुछ जानकार 50 करोड़ लोग को मिडिल क्लास के दायरे में मानते हैं. 

लोअर क्लास: मिडिल क्लास से नीचे के लोग लोअर क्लास में आते हैं, यानी जिनकी आय 3 लाख रुपये से भी कम है, वो सभी लोअर क्लास (Lower Class) में आते हैं और देश में सबसे ज्यादा इस कैटेगरी के लोग हैं. एक अनुमान के मुताबिक देश में कम से कम 80 करोड़ लोग इसके दायरे में आते हैं. 

पिछले साल यूरोप में रह रहे भारतीय निवेशक और ट्रेडर सौरव दत्ता का एक पोस्ट के जरिये बताया था कि भारत में कौन अमीर है कौन गरीब. उनके एनालिसिस के हिसाब से आज के दौर में अगर किसी व्यक्ति के पास 10 लाख रुपये लिक्विड नेटवर्थ है तो गरीब की कैटेगरी में आता है. वहीं, जिस व्यक्ति के पास 50 लाख लिक्विड नेटवर्थ है तो वो लॉअर मिडिल, 1 करोड़ की नेटवर्थ है तो मिडिल क्लास, 2 करोड़ है तो अपर मिडिल क्लास, 5 करोड़ है तो अमीर और 10 करोड़ है तो एचएनआई यानी हाई नेट वर्थ इंडिविजुअल कैटेगरी में आता है. 

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