देश में अब करोड़पति टैक्सपेयर्स की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है. ये जानकारी इनकम टैक्स की ताज़ा रिपोर्ट से मिली है जिसने आम आदमी से लेकर बड़े टैक्सपेयर्स तक की स्थिति को साफ कर दिया है. इनकम टैक्स वेबसाइट के आंकड़ों के मुताबिक, इस साल 31 मार्च 2025 तक 3.24 लाख लोगों ने एक करोड़ रुपये या इससे ज़्यादा की आय पर टैक्स रिटर्न भरा. इनमें से 2.97 लाख टैक्सपेयर्स की इनकम 1 से 5 करोड़ के बीच थी.
दूसरी तरफ, कुल मिलाकर 4.68 लाख से ज़्यादा टैक्स फाइलर्स ने एक करोड़ से ऊपर की आय दिखाई, जिसमें कंपनियां, फर्म और ट्रस्ट भी शामिल हैं. इस संख्या में से 3.89 लाख टैक्सपेयर्स की इनकम 1 से 5 करोड़ के बीच रही.
देश में 14 करोड़ टैक्सपेयर्स
इनकम टैक्स पोर्टल के मुताबिक, 1 से 5 करोड़ रुपये की आय वाले 2.97 लाख लोग हैं. वहीं, 5 से 10 करोड़ के इनकम ब्रैकेट में 16,797 और 10 करोड़ से ज़्यादा की आय वाले 10,184 लोगों ने रिटर्न भरा. जब इसमें कंपनियां, फर्म, एचयूएफ, ट्रस्ट और सरकारी संस्थाएं जोड़ते हैं, तो कुल 4.68 लाख से ज़्यादा फाइलर्स एक करोड़ से ऊपर की आय वाले हैं. इनमें से 3.89 लाख की आय 1-5 करोड़, 36,000 की 5-10 करोड़ और 43,000 की 10 करोड़ से ज़्यादा रही.
कुल रजिस्टर्ड यूज़र्स की बात करें तो इनकम टैक्स वेबसाइट पर 14.01 करोड़ लोग हैं, जिनमें 12.91 करोड़ व्यक्तिगत यूज़र्स हैं. इनमें से 11.86 करोड़ ने अपना आधार लिंक किया है.
ई-वेरिफाइड रिटर्न बढ़े
2024-25 में 31 मार्च तक 9.19 करोड़ रिटर्न भरे गए, जिनमें से 8.64 करोड़ ई-वेरिफाइड हैं. पिछले साल के मुकाबले इस साल टैक्स रिटर्न भरने वालों की संख्या में अच्छी बढ़ोतरी हुई है. आईटीआर फॉर्म्स की बात करें तो इस साल अलग-अलग कैटेगरी में बढ़ोतरी देखी गई. आईटीआर-2 में 34.69% की बड़ी उछाल आई जबकि आईटीआर-1 में 0.54% और आईटीआर-3 में 16.66% की बढ़ोतरी हुई. कुल मिलाकर सभी फॉर्म्स में 7.81% की ग्रोथ दर्ज की गई.
इसका मतलब है कि लोग अपनी आय को टैक्स सिस्टम में ला रहे हैं. हालांकि, ये आंकड़े दिखाते हैं कि ऊंची आय वालों की संख्या बढ़ रही है, लेकिन आम आदमी की इनकम में अभी भी बड़ा बदलाव नहीं आया है. टैक्स सिस्टम में पारदर्शिता बढ़ रही है लेकिन महंगाई और खर्चों का बोझ भी कम नहीं हो रहा है. सरकार के लिए ज़रूरी है कि टैक्स सिस्टम को और आसान बनाया जाए जिससे छोटे और मध्यम वर्ग के लोग भी इसमें शामिल हो सकें. अगर ऐसा नहीं हुआ तो आर्थिक असमानता बढ़ सकती है.
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