भारतीय रईस अब दुनिया के सबसे बड़े ग्राहकों में से एक बनते जा रहे हैं जो महंगे मकान और लग्जरी गुड्स पर जमकर खर्च कर रहे हैं. HSBC की Global Entrepreneurial Wealth Report 2024 के मुताबिक आर्थिक अस्थिरता और वैश्विक चुनौतियों के बावजूद भारतीय अमीर घरेलू बाजार पर पूरा भरोसा जता रहे हैं.
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि 98 फीसदी भारतीय अमीरों को यकीन है कि उनकी दौलत आने वाले दिनों में बढ़ेगी, इसमें कहा गया है कि 61 परसेंट भारतीय रईसों ने रियल एस्टेट (Real Estate) में निवेश किया है, जबकि रियल एस्टेट में निवेश का वैश्विक औसत केवल 51 फीसदी है.
रियल एस्टेट को लेकर झुकाव
यही वजह है कि भारतीय अमीर ना केवल रियल एस्टेट बल्कि लग्जरी सामानों पर भी भारी खर्च कर रहे हैं. HSBC की रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय रईस लग्ज़री गुड्स और अनुभवों में भी दुनिया से आगे हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि 56 फीसदी भारतीय रईस लग्जरी गुड्स पर खर्च कर रहे हैं जबकि वैश्विक औसत महज 40 परसेंट है.
वहीं 44 फीसदी भारतीय लग्ज़री अनुभवों पर पैसा खर्च कर रहे हैं, जबकि इसका वैश्विक औसत 35 परसेंट है. आर्ट और कलेक्टीबल्स पर भारतीय रईस केवल 14 फीसदी खर्च कर रहे हैं जबकि वैश्विक औसत 25 परसेंट है.
इसके अलावा भारत के 82 फीसदी अमीर स्टॉक्स, बॉन्ड्स और रियल एस्टेट में निवेश करते हैं जो 10 अंतरराष्ट्रीय बाज़ारों में सबसे ज्यादा है. HSBC रिपोर्ट बताती है कि भारतीय अमीर भारत को बिजनस के लिए एक आकर्षक जगह मानते हैं. इसमें कहा गया है कि 75 फीसदी भारतीय रईसों का कहना है कि भारत बिजनस के लिए बेहतरीन जगह है.
लग्जरी लाइफ पर जमकर खर्च
वहीं 32 परसेंट भारतीयों की अगले साल विदेशी बाज़ार में बिजनस शुरू करने की योजना नहीं है. हालांकि, भारतीय रईस बेरोज़गारी, भ्रष्टाचार, महंगाई और टैक्सेशन को सबसे बड़ी चुनौती मानते हैं. लेकिन इसके बावजूद 75 फीसदी भारतीय अमीर सरकार के सपोर्ट से संतुष्ट हैं, 86 परसेंट का मानना है कि समाज बिजनस ऑनर्स का सम्मान करता है.
रिपोर्ट में ये भी खुलासा हुआ है कि भारतीय अमीर अपनी विरासत को लेकर बेहद संजीदा हैं. 88 फीसदी भारतीय अमीर अपनी संपत्ति को परिवार तक सीमित रखना चाहते हैं. 10 में से 9 अमीरों का कहना है कि उन्हें अपनी अगली पीढ़ी पर पूरा भरोसा है.
हालांकि, आधे अमीरों ने अब तक उत्तराधिकार योजना तैयार नहीं की है. रिपोर्ट के मुताबिक, आधे भारतीय रईस अपनी अगली पीढ़ी के लिए सही उत्तराधिकारी खोजने की चुनौती से जूझ रहे हैं.
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