अमेरिका की सत्ता में ट्रंप की वापसी, एक-दो नहीं... भारत के लिए ये 3 नुकसान भी संभव!

SBI के मुताबिक ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 8 से 10 फीसदी तक कमजोर हो सकता है. इससे पहले डोनाल्ड ट्रंप के पहले कार्यकाल के दौरान रुपया 11 फीसदी तक गिरा था. 

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US President-elect Donald Trump. (File photo) US President-elect Donald Trump. (File photo)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 12 नवंबर 2024,
  • अपडेटेड 8:35 PM IST

अगले साल 20 जनवरी को डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) के सत्ता संभालने के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था पर शॉर्ट टर्म में कई निगेटिव असर होने के अनुमान हैं. SBI की रिपोर्ट में कहा गया है कि ट्रंप के अमेरिका का राष्ट्रपति बनने के बाद रुपया कमजोर हो सकता है, जिससे भारत में महंगाई बढ़ सकती है.

एसबीआई के मुताबिक ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 8 से 10 फीसदी तक कमजोर हो सकता है. इससे पहले डोनाल्ड ट्रंप के पहले कार्यकाल के दौरान रुपया 11 फीसदी तक गिरा था. जबकि ओबामा के दूसरे कार्यकाल यानी 2012 से 2016 के दौरान रुपया करीब 29 फीसदी तक कमजोर हो गया था.

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रुपया हो सकता है कमजोर...

हालांकि बाइडेन के कार्यकाल में रुपये में ज्यादा गिरावट दर्ज की गई है. इस बार भले ही गिरावट बीते 2 राष्ट्रपतियों के कार्यकाल से कम हो, लेकिन गिरावट होने की भरपूर आशंका है. इसके पीछे मजबूत अमेरिकी डॉलर और अमेरिका में उच्च ब्याज दरें हैं, जो ग्लोबल इन्वेस्टर्स को डॉलर में निवेश करने के लिए आकर्षित करेंगी, जिससे रुपया कमजोर हो सकता है. 

रुपया कमजोर कैसे होता है?
डॉलर की तुलना में अगर किसी भी मुद्रा का मूल्य घटता है तो उसे मुद्रा का गिरना, टूटना या कमजोर होना कहा जाता है. अंग्रेजी में इसे 'करेंसी डेप्रिसिएशन' कहते हैं. रुपये की कीमत कैसे घटती-बढ़ती है, ये पूरा खेल अंतरराष्ट्रीय कारोबार से जुड़ा हुआ है. हर देश के पास विदेशी मुद्रा का भंडार होता है. चूंकि दुनियाभर में अमेरिकी डॉलर का एकतरफा राज है, इसलिए विदेशी मुद्रा भंडार में अमेरिकी डॉलर ज्यादा होता है. दुनिया में 85 फीसदी कारोबार डॉलर से ही होता है. तेल भी डॉलर से ही खरीदा जाता है. 

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बता दें, रुपये की कमजोरी का सीधा असर भारत में महंगाई पर पड़ेगा. एसबीआई का अनुमान है कि अगर डॉलर के मुकाबले रुपये में 5 फीसदी की गिरावट होती है तो महंगाई में 25-30 बेसिस पॉइंट्स का इजाफा हो सकता है.

साथ ही, ट्रंप की आर्थिक नीतियों, जैसे टैरिफ और डिपोर्टेशन प्लान से भी महंगाई बढ़ने की संभावना है. रॉ मटेरियल और मशीनरी इंपोर्ट पर भी लागत बढ़ेगी, जिससे भारतीय कंपनियों की लागत में इजाफा होगा.

महंगाई बढ़ने की आशंका

डोनाल्ड ट्रंप ने अपने पिछले कार्यकाल में भारत को 'टैरिफ किंग' कहा था और भारत पर उच्च टैरिफ का आरोप लगाया था. इस बार उनके फिर से चुने जाने पर दोनों देशों के बीच ट्रेड बैरियर बढ़ने का खतरा है जिससे भारतीय कंपनियों के लिए अमेरिकी बाजार में मुश्किलें बढ़ सकती हैं.

इसके अलावा, ट्रंप की अमेरिका-फर्स्ट नीति भारतीय ट्रेड पर और ज्यादा दबाव डाल सकती है. ट्रंप के दूसरे कार्यकाल की खबरें शेयर बाजार में शुरुआत में उतार-चढ़ाव ला सकती हैं. पिछले कार्यकाल में नैस्डैक ने निफ्टी से बेहतर प्रदर्शन किया था और इस बार भी अमेरिकी बाजारों को प्राथमिकता मिलने की उम्मीद है. 

क्रूड ऑयल हो सकता है महंगा

अमेरिकी डॉलर की मजबूती से भारत के लिए क्रूड ऑयल महंगा हो सकता है. चूंकि भारत अपनी एनर्जी जरुरतों के लिए इंपोर्ट के भरोसे है इसलिए मजबूत डॉलर सीधे तौर पर पेट्रोल-डीजल के दामों में इजाफा करेगा जो महंगाई को और बढ़ावा देगा. 

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ट्रंप की नीतियां शुरुआत में तो सकारात्मक दिख सकती हैं. लेकिन समय के साथ महंगाई और कमजोर विकास दर भारत के लिए चुनौतियां बढ़ा सकती हैं. ऐसे में भारत को इनके असर से निपटने के लिए लचीलापन दिखाना होगा.

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