नई नहीं है ट्रंप की धमकी... 2018 में भी भारत पर बढ़ाया था टैरिफ, बदले में मिला था ये तगड़ा जवाब!

डोनाल्ड ट्रंप के पहले कार्यकाल में भी अमेरिका ने भारतीय सामानों पर टैरिफ बढ़ाया था और भारत ने भी इसका जवाब दिया था. SBI की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत इस बार टैरिफ के असर को कम करने की रणनीति पर जोर-शोर से काम कर रहा है.

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मोदी और ट्रंप. मोदी और ट्रंप.

आदित्य के. राणा

  • नई दिल्ली,
  • 18 फरवरी 2025,
  • अपडेटेड 7:43 PM IST

अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते आर्थिक युद्ध का असर दुनियाभर में पड़ सकता है. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का टैरिफ हथियार इस जंग को भड़काने का काम कर रहा है. हालांकि SBI की रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि अगर अमेरिका ने भारत से आयात होने वाले सामानों पर ज्यादा टैरिफ लगाया तो भारत पर इसका सीमित असर होगा. 

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वहीं एक दूसरी रिपोर्ट के मुताबिक चीन को अमेरिकी टैरिफ बढ़ने पर US के मुकाबले ढाई गुना ज्यादा नुकसान हो सकता है. बहरहाल अगर भारत की बात करें तो SBI के मुताबिक अगर अमेरिका ने भारतीय सामानों पर 15 से 20 फीसदी आयात शुल्क बढ़ाया तो भारत के निर्यात में महज 3 से साढ़े परसेंट की गिरावट आ सकती है. 

भारत तलाश रहा है बीच का रास्ता

SBI की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत इस असर को कम करने की रणनीति पर भी जोर शोर से काम कर रहा है. इसके तहत भारत अपने एक्सपोर्ट मार्केट को डायवर्सिफाई कर रहा है. नए ट्रेड रूट खोज रहा है और ज्यादा वैल्यू एडिशन वाले प्रोडक्ट्स पर फोकस कर रहा है.

अनुमान है कि इससे भारत को होने वाले संभावित नुकसान की भरपाई की जा सकती है. वैसे भी डोनाल्ड ट्रंप पिछले हफ्ते पीएम मोदी से मुलाकात में साफ कर चुके हैं कि वो रेसिप्रोकल टैरिफ की नीति पर चलेंगे, यानी जो देश अमेरिकी सामानों पर जितना टैरिफ लगाता है US भी उतना ही टैरिफ उस देश के सामानों पर लगाएगा. 

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पहले कार्यकाल में भी ट्रंप ने भारत पर बढ़ाया था टैरिफ

डोनाल्ड ट्रंप के पहले कार्यकाल में भी अमेरिका ने भारतीय सामानों पर टैरिफ बढ़ाया था और भारत ने भी इसका जवाब दिया था. 2018 में अमेरिका ने भारतीय सामानों पर टैरिफ 2.72 फीसदी से बढ़ाकर 3.91 परसेंट किया था, जिसे बाद में बाइडेन ने मामूली घटा दिया था.
 
वहीं, भारत ने अमेरिकी सामानों पर टैरिफ 11.59 परसेंट से बढ़ाकर 15.30 फीसदी कर दिया था. भारत का ये कदम घरेलू इंडस्ट्री को बचाने के लिए था. भारत अब कच्चे माल की बजाय फिनिश्ड गुड्स और हाई-वैल्यू प्रोडक्ट्स एक्सपोर्ट करने पर फोकस कर रहा है, जिससे टैरिफ के असर को कम किया जा सके.

चीन को लग सकता है तगड़ा झटका

वहीं अगर चीन की बात करें तो टैरिफ वॉर से 2025 में चीन की जीडीपी ग्रोथ कम होकर 4.1 फीसदी रह सकती है और चीन की अर्थव्यवस्था को 11 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है. जबकि अमेरिकी GDP में महज 0.07 फीसदी की गिरावट आ सकती है जिससे अमेरिकी अर्थव्यवस्था को 4.77 लाख करोड़ रुपये का नुकसान होगा. 

ऑक्सफोर्ड इकोनॉमिक्स की रिपोर्ट बताती है कि 2017 से 2023 के बीच, जब अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वॉर हुआ तो भारत को इसका फायदा मिला और भारत फायदा उठाने वाले देशों में चौथे नंबर पर रहा. नुकसान कम करने के लिए चीन की कंपनियों ने अपने प्लांट वियतनाम और कंबोडिया जैसे देशों में शिफ्ट किए हैं. 

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ट्रंप का मानना है कि टैरिफ अमेरिका की अर्थव्यवस्था को मजबूत कर सकता है। लेकिन इतिहास बताता है कि ज्यादा टैरिफ से अमेरिका को खुद नुकसान उठाना पड़ा है. 90 साल पहले महामंदी के समय अमेरिका ने टैरिफ बढ़ाया था, तो दुनिया ने भी जवाब दिया था जिससे अमेरिकी अर्थव्यवस्था मंदी में फंस गई थी. 

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