नागर विमानन मंत्री सुरेश प्रभु ने वित्तीय संकट से जूझ रही जेट एयरवेज को बाहर निकालने के लिए किए जा रहे प्रयासों में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है. उन्होंने कहा कि सरकार को विमानन कंपनी की मदद करने के लिए किसी तरह के सौदा नहीं करना चाहिए.
दरअसल लोन समाधान योजना के तहत बैंक जेट एयरवेज का नियंत्रण अपने हाथों में लेने की तैयारी कर रहे हैं. इस बीच, प्रभु ने कहा कि बैंक सीधे तौर पर हितधारक हैं और कंपनी के कमर्शियल मामले से निपट रहे हैं. इन मामलों में नागर विमानन मंत्रालय हस्ताक्षेप नहीं करेगा.
प्रभु ने कहा, 'मंत्रालय को किसी भी प्रकार के वाणिज्यिक लेनदेन में दखल नहीं देना चाहिए. यही चीज मैंने रेलवे के मामले में किया. यह मसला बैंक और प्रबंधन के बीच का है.' प्रभु किंगफिशर एयरलाइंस के मामले से जुड़े सवाल का जवाब देते हुए यह बात कही. उल्लेखनीय है कि फरार शराब कारोबारी विजय माल्या ने बैंकों पर दोहरा मापदंड अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा था कि इन्हीं बैंकों ने किंगफिशर एयरलाइंस को बुरी तरह से बर्बाद होने के लिए छोड़ दिया था.
जेट एयरवेज के मामले में प्रभु ने कहा कि मंत्रालय को किसी भी तरह के सौदे नहीं करने चाहिए, जो कि किसी भी तरह से किसी की मदद करता हो. उन्होंने कहा, 'यह हमेशा संभव है. आप दूसरी कंपनी को नीचे लाकर किसी कंपनी की मदद कर सकते हैं.' प्रभु ने कहा, 'हमें कुछ भी ऐसा नहीं करना चाहिए जिससे किसी के खिलाफ गलत हो और किसी का पक्ष लिया जा रहा हो, हमनें ऐसा नहीं किया है.'
हालांकि, प्रभु ने कहा मंत्रालय सुरक्षा पहलुओं पर विचार करेगा. प्रभु ने नागर विमानन मंत्रालय के अधिकारियों और जेट एयरवेज के अधिकारियों के बीच हाल में हुई बैठक पर कहा कि हम सुरक्षा पहलुओं पर साथ काम कर रहे हैं इसलिए बैठकें हो रही हैं. उन्होंने कहा कि हमनें बैंकों से सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कहा है, क्योंकि यदि आप प्रबंधन अपने हाथ में ले रहे हैं तो सुरक्षा सुनिश्चित करना आपकी जिम्मेदारी है और सुरक्षा के लिए पर्याप्त धनराशि दें.
अमित कुमार दुबे