कोरोना संकट और लॉकडाउन की वजह से टर्म लोन की ईएमआई चुकाने पर छह महीने की मोहलत लोगों को मिली है, लेकिन इस दौरान ब्याज माफ हो या नहीं इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट में मामला चल रहा है. शुक्रवार को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट इस पर कुछ नरम पड़ता दिखा और अब बीच का रास्ता निकालने की कोशिश हो रही है.
सुप्रीम कोर्ट ने रिजर्व बैंक और वित्त मंत्रालय को निर्देश दिया कि तीन दिन के भीतर बैठक कर इस बारे में निर्णय लें. इस बारे में क्या बात हुई, इसके बारे में केंद्र सरकार को तीन दिन के भीतर अपना जवाब देना है. इस बारे में अगली सुनवाई 17 जून को होगी. सुप्रीम कोर्ट की मुख्य चिंता अब इस बात को लेकर है कि क्या ईएमआई में दिए जाने वाले ब्याज पर भी ब्याज लिया जाएगा?
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ब्याज पर ब्याज लगेगा क्या?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह बीच का रास्ता निकालने की कोशिश कर रहा है. कोर्ट ने कहा, 'हमारी चिंता यह है कि जो ब्याज माफ किया गया है उसे क्या आगे जोड़कर ग्राहकों से लिया जाएगा और क्या इस ब्याज पर भी ब्याज लिया जाएगा.'
कोर्ट ने कहा, 'इस बारे में कई तरह की राय है. कोई एक रास्ता निकालने की कोशिश हो सकती है. हमारा सवाल बस इतना है कि क्या ब्याज पर भी ब्याज लिया जाएगा?'
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क्या है मामला
लॉकडाउन में काम धंधे बंद होने की वजह से बहुत से लोग लोन की EMI नहीं चुका पा रहे हैं. रिज़र्व बैंक के आदेश पर बैंकों ने ईएमआई में छह महीने का मोरेटोरियम तो दिया है लेकिन कर्ज पर ब्याज बराबर लग रहा है. सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर इस ब्याज अदायगी से छूट मांगी गई है.
बैंकों का कहना है कि लोन पर ब्याज माफ करने से उन्हें करीब 2 लाख करोड़ रुपये का भारी नुकसान हो सकता है, जिसका बोझ सहन करना उनके लिए संभव नहीं है. भारतीय रिजर्व बैंक ने भी इसका विरोध किया है. आरबीआई का कहना है कि इससे बैंकिंग सेक्टर पर गंभीर असर पड़ेगा.
अनीषा माथुर