बैंकों में नकदी की स्थिति में और सुधार लाने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक ने तरलता कवरेज अनुपात (LCR) नियमों में बदलाव करते हुए बैंकों को इसमें 2 फीसदी की अतिरिक्त सुविधा उपलब्ध कराई है.
लिक्विडिटी कवरेज रेसियो (LCR) से बैंकों की उन परिसंपत्तियों के बारे में संकेत मिलता है जो कि उच्च तरलता क्षमता रखती हैं. इस प्रकार की संपत्तियों से अल्पकालिक दायित्वों को पूरा करने की बैंकों की क्षमता का पता चलता है.
आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने चालू वित्त वर्ष की पहली द्वैमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा जारी करने के बाद कहा, 'हमने बैंकों के लिए दो फीसदी अतिरिक्त एलसीआर की अनुमति दी है. इसमें बैंकों के एलसीआर की गणना के लिए उच्च गुणवत्ता वाली तरलता वाली संपत्तियों को शामिल करना है. इस पहल से जहां एक तरफ बैंकों की तरलता संबंधी जरूरत पूरी होगी वहीं दूसरी तरफ बैंकों को कर्ज पर देने के लिए अतिरिक्त नकदी जारी होगी.'
उन्होंने यह भी कहा कि यह भी तय किया गया है कि निवेश और लोन कंपनियों की श्रेणी में प्रणाली के लिहाज से महत्वपूर्ण गैर- बैंकिंग वित्तीय कंपनियां जो कि जमा राशि स्वीकार नहीं करती हैं, उन्हें दूसरी श्रेणी के लाइसेंस के तहत प्राधिकृत डीलर के लिए आवेदन करने के योग्य माना जाएगा.
शक्तिकांत दास ने कहा कि इस बारे में विस्तृत निर्देश इस महीने के अंत तक जारी कर दिए जाएंगे. दुनियाभर में आवास और वाणिज्यिक गतिविधियों के लिये गिरवी रखकर कर्ज देने वाले वित्तीय संस्थानों को उच्च गुणवत्ता वाली तरल प्रतिभूति बाजारों का समर्थन प्राप्त होता है. इनमें गिरवी कारोबार करने वाले प्रणेता गिरवी संपत्तियों के पैकेज पोर्टफोलियो तैयार करते हैं और उन्हें गिरवी संपत्तियों से समर्थित प्रतिभूतियों अथवा बांड से कवर दिया जाता है.
अमित कुमार दुबे