राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ट्रैवल जरूरतों को पूरा करने के लिए 8,458 करोड़ रुपये की लागत से दो Boeing 777-300ER विमान खरीदे जाएंगे. इसके लिए बजट 2020 में 810.23 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है. ये विमान अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के एयरफोर्स वन की तरह जबरदस्त सुरक्षा से लैस होंगे.
शनिवार को अपने भाषण में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि स्पेशल एक्स्ट्रा सेक्शन फ्लाइट (SESF) संचालन के लिए दो नए विमान खरीदे जाएंगे और इसके लिए वित्त वर्ष 2020-21 के बजट में 810.23 करोड़ रुपये का आवंटन किया जा रहा है. इसके पहले पिछले दो बजटों यानी 2018-19 और 2019-20 में करीब 4,741.85 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया था.
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प्रस्ताव के मुताबिक दो नए Boeing 777-300ER विमान खरीदे जाएंगे. ये विमान अभी इन VVIP के बेड़े के लिए इस्तेमाल होने वाले 25 साल पुराने बोइंग 747 विमानों की जगह लेंगे. अभी राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उप-राष्ट्रपति वेंकैया नायडू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यात्राओं के लिए बोइंग 747 विमानों का इस्तेमाल किया जाता है. नए विमान जुलाई तक सेवा में आ सकते हैं.
एअर इंडिया वन का साइन
इन विमानों पर एअर इंडिया वन (AI-1 या AIC001) का साइन होगा. यह साइन इस बात का संकेत होता है कि विमान में राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री सवार हैं. एयर इंडिया ने साल 2006 में अमेरिकी कंपनी बोइंग को 68 विमानों के ऑर्डर दिए थे. दोनों वीआईपी विमान भी इसी ऑर्डर का हिस्सा हैं. ये दोनों विमान सिर्फ VVIP की यात्राओं के लिए ही इस्तेमाल किए जाएंगे.
ट्रंप के विमान से कम नहीं
यह विमान उसी तरह के एडवांस सिस्टम से लैस और सुरक्षित है जैसा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के द्वारा इस्तेमाल होने वाला एयरफोर्स वन (Boeing 747-200B) विमान. इस विमान के देखरेख की जिम्मेदारी पहले की तरह ही भारतीय एयरफोर्स निभाएगी.
रक्षा जानकारों के मुताबिक, विशेष प्रकार के मेटल से बने इस विमान में तमाम अत्याधुनिक सुविधाएं उपलब्ध हैं. दुश्मन के रडार को चकमा देने में सक्षम यह विमान किसी भी समय हवाई हमला होने की स्थिति में जवाबी कार्रवाई भी कर सकता है.
इस विमान में बैठकर कहीं से, किसी भी वक्त, दुनिया के किसी भी राष्ट्र के प्रमुख से संपर्क स्थापित किया जा सकता है. साथ ही इस विमान में एक बार में 100 लोगों का भोजन बनाने और 2000 लोगों के लिए भोजन स्टोर करने की व्यवस्था है. इस विमान में अनिश्चितकाल तक उड़ान भरने के लिए हवा में ही ईंधन भरने की सुविधा मौजूद है.
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मिसाइल हमले को रोकने में सक्षम!
यह विमान अत्याधुनिक संचार सुविधाओं से लैस है. इसकी चाक-चौबंद सुरक्षा व्यवस्था का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि ये ग्रेनेड व रॉकेट के वार झेल सकता है और दुश्मन के रडार को चकमा दे सकता है. इतना ही नहीं ये विमान दुश्मन पर मिसाइल हमला भी कर सकता है.
इस विमान में किसी आपात स्थिति के लिए 24 घंटे डॉक्टर उपलब्ध रहते हैं और इसमें आपातकाल के लिए एक ऑपरेशन थिएटर भी है. इसके साथ ही इसमें टेलीफोन, रेडियो सेवा, कम्प्यूटर कनेक्शन, 19 टीवी सेट और सभी ऑफिस उपकरण भी मौजूद हैं.
अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के हवाई किले एयरफोर्स वन को दुनिया की कोई भी ताकत भेद नहीं सकती. इन एयरक्राफ्ट्स को जरूरत के हिसाब से मॉडिफाई किया जाएगा. एयरक्राफ्ट में एग्जिक्यूटिव ऑफिस और बेडरूम भी होगा. ये उच्च तकनीकी सुरक्षा उपकरणों से लैस होगा. किसी भी आपात स्थिति में साउंड अलर्ट के लिए रडार वार्निंग रिसीवर लगाए जाएंगे. सबसे बड़ी बात ये कि एयरक्राफ्ट किसी भी तरह के मिसाइल हमले को रोकने में सक्षम होगा.
कैसे हुआ कीमत का अनुमान
एयर इंडिया ने वैसे तो इन विमानों की लागत की जानकारी नहीं दी है. लेकिन बाजार मूल्य के हिसाब से देखें तो इन विमानों की खरीद से सरकारी खजाने पर करीब 8,458 करोड़ रुपये (1.18 अरब डॉलर) का बोझ पड़ेगा. इसके आकलन के लिए हमने चार विशेष घटकों का ध्यान रखा है- इंजन, केबिन की विशेषता, मिसाइल डिफेंस सिस्टम और विमान का प्रकार.
बोइंग कंपनी के मुताबिक एक Boeing 777-300ER विमान की कीमत 37.55 करोड़ डॉलर है. लेकिन यह सौदा 2006 में ही हुआ था और उसके बाद कीमत काफी बढ़ी है. पिछले छह साल में ही इस विमान की लिस्ट प्राइस प्रति विमान 5.5 करोड़ डॉलर बढ़ गई है. इसके अलावा इसके मिसाइल डिफेंस सिस्टम की लागत तमाम रिपोर्ट्स के मुताबिक करीब 19 करोड़ डॉलर है. अभी तक ऐसे मिसाइल सिस्टम का इस्तेमाल भारतीय सेना द्वारा ही किया जाता था.
पूर्व नागरिक विमानन राज्य मंत्री जयंत सिन्हा ने लोकसभा में एक सवाल के जवाब में साल 2018 में बताया था कि दोनों विमानों के केबिन सिस्टम की लागत 13.2 करोड़ डॉलर है. यह दो इंजन वाला विमान है, इसलिए दोनों के लिए चार GE90-115BLविमान खरीदे गए हैं. इसलिए दोनों इंजन की लागत करीब 11 करोड़ डॉलर आ सकती है.
सरकार ने अभी तक इन विमानों की खरीद के लिए 5,552 करोड़ रुपये आवंटित कर दिए हैं. इसका मतलब यह है कि अभी अगले वर्षों में करीब 2,900 करोड़ रुपये का और आवंटन किया जाएगा. बोइंग इस साल के मध्य तक इन विमानों की आपूर्ति करने की तैयारी कर रही है.
(www.businesstoday.in के इनपुट पर आधारित)
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