अब अमेरिकी कंपनियों का ट्रंप को खत, लिखा- टैरिफ रोकें, चीन से करें बात

यह पत्र इसलिए आया है, क्योंकि अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि कार्यालय प्रस्तावित शुल्क के संबंध में मिली प्रतिक्रियाओं पर 17 जून को जन सुनवाई शुरू करने जा रहा है.

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चीन से व्यापार युद्ध पर अमेरिकी कंपनियों का डोनाल्ड ट्रंप को पत्र (Photo: AP) चीन से व्यापार युद्ध पर अमेरिकी कंपनियों का डोनाल्ड ट्रंप को पत्र (Photo: AP)

अमित कुमार दुबे

  • वॉशिंगटन,
  • 14 जून 2019,
  • अपडेटेड 8:24 PM IST

अमेरिका में 661 कंपनियों और संगठनों ने अपने हस्ताक्षर के साथ राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को एक पत्र भेजा है, जिसमें उनके प्रशासन से चीनी वस्तुओं पर आयात शुल्क में की गई बढ़ोतरी रोकने और चीन के साथ बातचीत करने की मांग की गई है.

समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, आयात शुल्क के खिलाफ चल रहे द्विदलीय अभियान टैरिफ्स हर्ट हार्टलैंड द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, 520 कंपनियों और 141 संगठनों ने पत्र में कहा कि वे अमेरिका और चीन के बीच आयात शुल्क को लेकर बढ़े तनाव से चिंतित हैं.

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उन्होंने कहा, 'उनको सीधे तौर पर मालूम है कि अतिरिक्त शुल्क से अमेरिकी कारोबारियों, किसानों और अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर लंबी अवधि में काफी नकारात्मक असर होगा.' दरअसल, ये शुल्क सीधे तौर पर अमेरिकी कंपनियों को चुकाना होता है.

यह पत्र इसलिए आया है, क्योंकि अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि कार्यालय प्रस्तावित शुल्क के संबंध में मिली प्रतिक्रियाओं पर 17 जून को जन सुनवाई शुरू करने जा रहा है. ट्रंप प्रशासन ने मई में चीन से आयातित 200 अरब मूल्य की वस्तुओं पर आयात शुल्क 10 फीसदी से बढ़ाकर 25 फीसदी कर दिया. इसके अलावा अमेरिका ने चीन को शेष 300 अरब मूल्य की वस्तुओं पर 25 फीसदी आयात शुल्क लगाने की चेतावनी दी है.  

इस पर प्रतिकार करते हुए चीन ने कई अमेरिकी वस्तुओं पर एक जून से अतिरिक्त आयात शुल्क बढ़ा दिया. टैरिफ्स हर्ट हार्टलैंड के अनुसार, अगर चीनी वस्तुओं पर नया आयात शुल्क लगाया गया तो इससे अमेरिका में 20 नौकरियां जाएंगी और चार सदस्यों के परिवार पर औसतन 2,000 डॉलर खर्च बढ़ जाएगा, इससे अमेरिका के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में एक फीसदी की कमी आएगी.  

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ट्रंप को लिखे पत्र में कंपनियों और संगठनों ने कहा, 'हम आपके प्रशासन से दोबारा बातचीत (चीन के साथ) शुरू करने का आग्रह करते हैं.' उन्होंने कहा, 'व्यापारिक जंग का तनाव बढ़ना देश के बेहतर हित में नहीं है. इससे दोनों पक्षों को नुकसान होगा.'

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