ऑनलाइन शॉपिंग: डिस्काउंट के नाम पर धोखाधड़ी, हर तीसरे शख्स को मिलता है नकली सामान

ऑनलाइन शॉपिंग की सुविधा आने के बाद आम आदमी के लिए घर बैठे ही खरीदारी करना आसान हो गया है, लेक‍िन इस सुविधा की वजह से धोखाधड़ी भी बढ़ी है.

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ऑनलाइन शॉपिंग (Getty images) ऑनलाइन शॉपिंग (Getty images)

विकास जोशी

  • नई दिल्ली,
  • 24 अप्रैल 2018,
  • अपडेटेड 11:44 AM IST

ऑनलाइन शॉपिंग की सुविधा आने के बाद आम आदमी के लिए घर बैठे ही खरीदारी करना आसान हो गया है, लेक‍िन इस सुविधा की वजह से धोखाधड़ी भी बढ़ी है. एक सर्वे के मुताबिक ऑनलाइन शॉपिंग करने वाले हर तीसरे शख्स को नकली सामान मिलता है. सर्वे के मुताबिक ई-कॉमर्स कंपनियों के ख‍िलाफ लागातर श‍िकायतें बढ़ रही हैं.

ऑनलाइन शॉपिंग को लेकर हाल ही में दो सर्वे हुए हैं. इनमें से एक मार्केट रिसर्च और एनालिटिक्स कंपनी वेलोसिटी एमआर नाम की कंपनी ने किया है. कंपनी के मुताबिक इसके सर्वे में सामने आया कि सर्वे में शामिल हर तीसरे शख्स में से एक को नकली सामान मिला है. सर्वे में यह भी सामने आया है कि ब्रांड जितना पॉप्युलर होता है और जिसकी बिक्री ज्यादा होती है, उस ब्रांड के नाम पर नकली सामान काफी ज्यादा बिकता है.

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दूसरा सर्वे लोकलसर्क‍िल नाम की कंपनी ने किया है. कंपनी के सर्वे में सामने आया कि इसमें शामिल लोगों में से 38 फीसदी को पिछले एक साल के दौरान ऑनलाइन शॉपिंग करने पर नकली सामान मिला है. इन लोगों को यह नकली सामान लीडिंग ऑनलाइन शॉपिंग पोर्टल पर खरीदारी करने पर मिला है.

ज्यादातर ग्राहकों को कहना है कि उन्हें नकली सामान जो भी मिला है, वह परफ्यूम , फैशन, जूते, कपड़ों समेत अन्य श्रेण‍ियों में मिले हैं. य‍ह सर्वे ऐसे समय में आया है जब भारत सरकार ऑनलाइन शॉपिंग के दौरान धोखाधड़ी पर लगाम कसने के लिए नये नियम लाने की तैयारी कर रही है.

कई बार आप जब ऑनलाइन शॉपिंग करते हैं, तो आपको असली सामान की बजाय नकली सामान पहुंच जाता है. ऐसे मामलो में ज्यादातर कुछ हो नहीं पाता. इसकी वजह से ग्राहकों को काफी ज्यादा नुकसान झेलना पड़ता है. लेक‍िन अब भारत सरकार एक व्यवस्था करने जा रही है. अगर आपके साथ ऐसी कोई धोखाधड़ी होती है, तो इसके बूते आपको पूरा पैसा वापस मिलेगा. इस नई व्यवस्था को 'कैशबैक' नाम दिया जा सकता है.

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एक अध‍िकारी ने बताया कि इस तरह की व्यवस्था तैयार करने के लिए बातचीत वैचारिक स्तर पर चल रही है. अध‍िकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि यह चर्चा ई-कॉमर्स कंपनि‍यों और डि‍पार्टमेंट ऑफ इंडि‍यन पॉलि‍सी एंड प्रमोशन (डीआईपीपी) के बीच हो रही है.

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