कम टैक्स कलेक्शन का असर, राजकोषीय घाटा पहली तिमाही में 4.32 लाख करोड़

कम टैक्स कलेक्शन के कारण भारत का राजकोषीय घाटा अप्रैल-जून 2019 की अवधि के दौरान बजट अनुमान का 61.4 प्रतिशत यानी 4.32 लाख करोड़ रुपये हो गया है.

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राजकोषीय घाटा पहली तिमाही के दौरान बजट अनुमान का 61.4 प्रतिशत रहा. (Photo: Getty) राजकोषीय घाटा पहली तिमाही के दौरान बजट अनुमान का 61.4 प्रतिशत रहा. (Photo: Getty)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 31 जुलाई 2019,
  • अपडेटेड 11:57 PM IST

कम टैक्स कलेक्शन के कारण देश का राजकोषीय घाटा अप्रैल-जून 2019 की अवधि के दौरान बजट अनुमान का 61.4 प्रतिशत या 4.32 लाख करोड़ रुपये हो गया है. सरकार की तरफ से बुधवार को जारी आंकड़े में यह जानकारी सामने आई है. सरकार ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए 7.03 लाख करोड़ रुपये राजकोषीय घाटे का लक्ष्य निर्धारित किया है.

महालेखा नियंत्रक (CGA) के आंकड़े के अनुसार, पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि के दौरान राजकोषीय घाटा उस वर्ष के लक्ष्य का 68.7 फीसदी था. केंद्र सरकार का कुल खर्च 7.21 लाख करोड़ रुपये (बजट अनुमानों का 25.9 प्रतिशत) बैठता है और कुल प्राप्ति 2.89 लाख करोड़ रुपये (बजट अनुमान का 15.3 प्रतिशत).

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इसके अलावा, समीक्षाधीन अवधि के लिए कुल खर्च में 6.58 लाख करोड़ रुपये राजस्व खर्च, जबकि 63,000 करोड़ रुपये पूंजी खर्च शामिल है. कुल प्राप्तियों में 2.51 लाख करोड़ रुपये शुद्ध कर राजस्व और 33,475 करोड़ रुपये गैर-कर राजस्व प्राप्तियां हैं.

इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च (फिच समूह) में मुख्य अर्थशास्त्री देवेंद्र कुमार पंत ने कहा, 'पहली तिमाही में टैक्स कलेक्शन पिछले वर्ष के टैक्स रिफंड के कारण प्रभावित हुआ है, लेकिन वृद्धि दर की मौजूदा चाल का टैक्स कलेक्शन पर एक असर होगा. आयकर और केंद्रीय जीएसटी संग्रह वृद्धि दर अपेक्षाकृत बेहतर है, लेकिन कॉरपोरेट कर संग्रह की वृद्धि दर पहली तिमाही के कॉरपोरेट परिणामों को दिखा रहा है.'

उन्होंने कहा कि कुल मिलाकर यदि खपत में सुस्ती को तत्काल पलटा नहीं गया, तो सरकार के लिए वित्त वर्ष 2020 के राजकोषीय घाटे को हासिल करना एक कठिन कार्य होगा.

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राजकोषीय घाटे की परिभाषा

किसी देश में सरकार टैक्स जैसे स्रोतों के माध्यम से राजस्व कमाती है. साथ ही सरकार खर्च भी करती है. जब सरकार का कुल व्यय अपने कुल राजस्व से अधिक हो जाता है, तो सरकार को बाजार से अतिरिक्त राशि को उधार लेना पड़ता है. यह राशि जो सरकार उधार लेती है वह राजकोषीय घाटे के बराबर होती है. आसान भाषा में सरकार की कुल कमाई और खर्च के अंतर को राजकोषीय घाटा कहा जाता है.

(एजेंसी इनपुट के साथ)

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