सिर्फ घर नहीं, अब 'सेहत' भी बेच रहे हैं बिल्डर्स, वेलनेस होम्स की बढ़ रही है मांग

आज 'घर' सिर्फ सिर छिपाने की जगह नहीं है, बल्कि यह हमारी सेहत और भविष्य में किया गया एक बड़ा निवेश है. अब बिल्डर्स के लिए सस्टेनेबिलिटी कोई मार्केटिंग का तरीका नहीं, बल्कि मार्केट में टिके रहने की सबसे बड़ी जरूरत बन गई है.

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वेलनेस होम की बढ़ती मांग (Photo-ITG) वेलनेस होम की बढ़ती मांग (Photo-ITG)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 30 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 10:43 AM IST

एक दौर था जब लोग घर अपने रहने के लिए खरीदते थे, जहां उनको बेसिक सुविधाएं मिलें, लेकिन बदलते वक्त के साथ अब लोगों की प्राथमिकता बदल गई है. रियल एस्टेट सेक्टर का मुख्य फोकस 'लोकेशन' और 'एमिनिटीज' जैसे स्विमिंग पूल या जिम पर रहता था, लेकिन आज, एक नया ट्रेंड भारतीय बाजार पर हावी हो रहा है वेलनेस रियल एस्टेट. अब खरीदार केवल प्राइम लोकेशन नहीं देख रहे, बल्कि वे ऐसे घर चाहते हैं जो उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रखें. यही कारण है कि आज बिल्डर्स 'सेहत' को एक प्रोडक्ट की तरह बेच रहे हैं.

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बिल्डर्स के लिए सस्टेनेबल और वेलनेस होम्स बनाना अब केवल एक विकल्प नहीं, बल्कि एक व्यावसायिक मजबूरी बन गया है. कोविड ने लोगों को यह एहसास दिलाया कि बंद दीवारों के बीच हवा की गुणवत्ता और प्राकृतिक रोशनी कितनी जरूरी है. लोग अब 'वर्क फ्रॉम होम' के दौर में घर को ही अपना ऑफिस और हीलिंग सेंटर मान रहे हैं.

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वहीं दिल्ली-एनसीआर जैसे महानगरों में AQI का स्तर बढ़ना एक बड़ी समस्या है. खरीदार अब ऐसे प्रोजेक्ट्स की तलाश में हैं जहां 'एयर प्यूरीफिकेशन सिस्टम' और 'मियांवाकी फॉरेस्ट' (Miyawaki Forest) जैसे कॉन्सेप्ट्स हों.

क्या होते हैं 'वेलनेस होम्स'?

वेलनेस होम्स को इस तरह डिजाइन किया जाता है कि वहां रहने वाले लोगों का स्वास्थ्य सबसे ऊपर रहे, इसके लिए घर के भीतर की हवा को शुद्ध रखने के लिए HEPA (हाई-एफिशिएंसी पार्टिकुलेट एयर) फिल्टर लगाए जाते हैं और निर्माण में ऐसी सामग्री का उपयोग किया जाता है, जिससे जहरीली गैसों का उत्सर्जन कम से कम हो.

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आज के दौर में रियल एस्टेट की परिभाषा पूरी तरह बदल गई है. अब बिल्डर्स का सारा ध्यान 'ग्रीन बिल्डिंग' सर्टिफिकेशन और सस्टेनेबल होम्स पर है, इसकी वजह बड़ी साफ है ये घर न केवल पर्यावरण के लिए अच्छे हैं, बल्कि लंबे समय में आपकी जेब पर पड़ने वाले बोझ को भी कम करते हैं. इन घरों में पानी की बचत और भूजल स्तर सुधारने की तकनीक होती है, साथ ही कचरे के सही निपटान और खाद बनाने के लिए वेस्ट मैनेजमेंट सिस्टम भी लगाया जाता है. सबसे बड़ी राहत थर्मल इंसुलेशन से मिलती है, जो गर्मियों में घर को कुदरती तौर पर ठंडा रखता है और आपके भारी-भरकम AC बिल में कटौती करता है.

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बाजार के आंकड़े भी इसी बदलाव की गवाही दे रहे हैं. ग्लोबल वेलनेस इंस्टीट्यूट का कहना है कि 'वेलनेस रियल एस्टेट' आज दुनिया के सबसे तेजी से बढ़ते सेक्टर्स में से एक है. एनारॉक (ANAROCK) की रिपोर्ट्स बताती हैं कि 60% से ज्यादा खरीदार उन घरों के लिए 10-15% एक्स्ट्रा प्रीमियम देने को तैयार हैं, बिल्डर्स अच्छी तरह समझ गए हैं कि अगर उन्होंने वक्त के साथ अपनी सोच नहीं बदली, तो वे इस कॉम्पिटिशन में बहुत पीछे रह जाएंगे.

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वैसे वेलनेस होम्स बनाना थोड़े महंगे हैं, क्योंकि इसमें एडवांस टेक्नोलॉजी और एक्सपर्ट्स की जरूरत पड़ती है, लेकिन जैसे-जैसे मांग बढ़ रही है, ये तकनीकें अब सस्ती होती जा रही हैं. भविष्य में हमें 'स्मार्ट होम्स' और 'वेलनेस होम्स' का एक अनोखा संगम देखने को मिलेगा, जहां AI खुद ट्रैक करेगा कि आपके घर का तापमान और ऑक्सीजन लेवल आपकी सेहत के लिए कितना परफेक्ट है.

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