'Groww IPO की कमाई से ईस्ट बेंगलुरु के रियल एस्टेट में बूम आ सकता है'

Groww के IPO से निकलने वाला पैसा सिर्फ निवेशकों की जेब नहीं, बल्कि बेंगलुरु के रियल एस्टेट बाजार को भी हिला सकता है. टैक्स बचाने के लिए कई कर्मचारी इस कमाई को संपत्ति में लगाने की तैयारी में हैं. लेकिन क्या यह टैक्स छूट सबको मिलेगी या सिर्फ कुछ चुनिंदा लोगों को?

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प्रॉपर्टी बाजार में तेजी की शुरुआत (Photo: AI generated) प्रॉपर्टी बाजार में तेजी की शुरुआत (Photo: AI generated)

aajtak.in

  • नई दिल्ली ,
  • 07 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 1:43 PM IST

Groww कंपनी का आने वाला IPO कई कर्मचारियों को अमीर बना सकता है. म्यूचुअल फंड सलाहकार आनंद के आर राठी का मानना है कि आयकर अधिनियम की धारा 54एफ इस पैसे को सीधे बेंगलुरु के पूर्वी हिस्से के रियल एस्टेट बाजार में निवेश करा सकती है. यह धारा कर्मचारियों को उनके IPO लाभ पर लगने वाले दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ टैक्स से बचने का मौका देती है, बशर्ते वे उस लाभ को भारत में एक आवासीय संपत्ति खरीदने में निवेश करें. अनुमान है कि करोड़ों रुपये का यह निवेश, टैक्स बचाने के उद्देश्य से, अचानक ईस्ट बेंगलुरु में प्रॉपर्टी की मांग और कीमतों में भारी उछाल ला सकता है, जैसा कि पहले अन्य स्टार्टअप IPO के बाद देखा गया है.

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एक LinkedIn पोस्ट में, राठी ने बताया कि एक "टैक्स-बचत" किस प्रकार Groww के नए-धनी कर्मचारियों को अपनी IPO कमाई को रियल एस्टेट में निवेश करने के लिए प्रेरित कर सकता है. धारा 54F लोगों को long-term capital gains पर छूट का दावा करने की अनुमति देती है, बशर्ते कि इस राशि को भारत में एक आवासीय संपत्ति निवेश किया जाए.

Groww के IPO से पैसा कमाने वाले एक कर्मचारी ने अपने चार्टर्ड अकाउंटेंट से पूछा कि IPO के शेयर बेचने के बाद टैक्स कैसे बचाया जाए? अकाउंटेंट ने उन्हें सरल रास्ता बताया- लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स (शेयरों से हुए लंबे मुनाफे पर लगने वाला टैक्स) बचाने के लिए प्रॉपर्टी खरीद लो. यह आयकर की धारा 54F के तहत किया जा सकता है.

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धारा 54F के तहत मुख्य नियम

छूट की अधिकतम सीमा: यह छूट ₹10 करोड़ तक सीमित है.

संपत्ति स्वामित्व की शर्त: बिक्री के समय करदाता के पास एक से अधिक आवासीय संपत्ति नहीं होनी चाहिए.

आनुपातिक छूट: छूट reinvested की गई बिक्री राशि के आनुपातिक रूप से लागू होती है.

गैर-निवासियों के लिए उपलब्धता: यह गैर-निवासियों के लिए भी उपलब्ध है, बशर्ते खरीदी गई संपत्ति भारत में हो.

राठी का अनुमान है कि Groww का IPO कर्मचारियों के लिए ₹2,500 करोड़ की संपत्ति खोल सकता है. अगर पात्र कर्मचारियों में से केवल 20% भी टैक्स बचाने के लिए इस मार्ग का उपयोग करते हैं, तो यह कंपनी के बेंगलुरु कार्यालय के पास की संपत्ति में ₹500 करोड़ से अधिक का निवेश करवा सकता है.

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रियल एस्टेट बाज़ार में हलचल क्यों?

रियल एस्टेट एजेंटों को इसी महीने से तेज़ी देखने को मिल सकती है. ऐसा इसलिए है क्योंकि टैक्स बचाने वाला नियम (धारा 54F) यह कहता है कि शेयर बेचने से एक साल पहले तक खरीदी गई प्रॉपर्टी पर भी छूट मिल सकती है. इसका मतलब है कि Groww के कर्मचारी अभी से खरीदारी शुरू कर चुके होंगे.

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राठी चेतावनी देते हैं कि यह टैक्स छूट सिर्फ दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ पर ही लागू होगी. कर्मचारियों को IPO लिस्टिंग के बाद कम से कम 12 महीने तक शेयर अपने पास रखने होंगे, तभी उन्हें यह फायदा मिलेगा. शेयर की कीमतें ऊपर-नीचे हो सकती हैं, इसलिए अपनी योजना सावधानी से बनाएं. राठी की सलाह है कि "सिर्फ इसलिए कि आपका टैक्स बच जाएगा, अपने बजट से बहुत ज़्यादा आगे मत बढ़ जाना."

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Groww IPO से होने वाले मुनाफ़े को प्रॉपर्टी में निवेश कर टैक्स बचाने की इस योजना से हर कोई सहमत नहीं है. आलोचकों का तर्क है कि ESOP (कर्मचारी स्टॉक विकल्प योजना) के तहत हुई ज़्यादातर कमाई को 'पूंजीगत लाभ' के बजाय 'सैलरी इनकम' माना जाता है, और इसीलिए यह कमाई धारा 54F के तहत टैक्स छूट के लिए योग्य नहीं हो सकती.

कुछ विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि इस नियम का सीधा फ़ायदा केवल उन संस्थापकों को ही मिलेगा जो सीधे कंपनी की इक्विटी रखते हैं. हालांकि, पिछले उदाहरणों से पता चलता है कि ऐसे बड़े IPO का रियल एस्टेट पर बड़ा असर होता है. वेल्थ एडवाइजर चिंतन छेड़ा के अनुसार, Flipkart के IPO से आई लिक्विडिटी ने 2018 से 2020 के बीच बेंगलुरु के कुछ इलाकों में प्रॉपर्टी की कीमतों को 20-25% तक बढ़ा दिया था. चूंकि PhonePe और Meesho जैसी कंपनियों के IPO भी जल्द ही आने की उम्मीद है, इसलिए रियल एस्टेट बाज़ार में यह तेज़ी आगे और बढ़ सकती है.

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