प्रॉपर्टी से कमाएं मोटा मुनाफ़ा, जानिए कैसे बनें मॉल-ऑफिस स्पेस के हिस्सेदार

रियल एस्टेट फंडिंग का सबसे बड़ा स्रोत है बैंक लोन है, लेकिन अब वैकल्पिक निवेश फंड (AIFs) और रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट (REITs) ने भी बाजार में मजबूत उपस्थिति दर्ज कर ली है. ये दोनों मीडियम तेजी आगे बढ़ रहे हैं.

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रियल एस्टेट निवेश के लिए सबसे सेफ ऑप्शन (Photo-AI-Generated) रियल एस्टेट निवेश के लिए सबसे सेफ ऑप्शन (Photo-AI-Generated)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 06 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 2:52 PM IST

रियल एस्टेट में निवेश सबसे सुरक्षित माना जाता है खासतौर पर भारत में लोग प्रॉपर्टी में निवेश कर मुनाफा कमाने में सबसे ज्यादा भरोसा रखते हैं. लेकिन पिछले कुछ सालों में मेट्रो शहरों में घरों की बढ़ती कीमतों के चलते लोगों के लिए घर का सपना दूर होता जा रहा है. एक तरफ लोगों के लिए होम लोन लेना मुश्किल हो गया है तो वहीं दूसरी तरफ रियल एस्टेट सेक्टर में फंडिंग का तरीका भी बदल रहा है. 

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ये दोनों ही माध्यम निवेशकों के लिए भी कम पैसे में बड़ी और प्रीमियम प्रॉपर्टी में हिस्सेदार बनने का मौका लेकर आए हैं. 

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REITs: रियल एस्टेट की दुनिया का म्यूचुअल फंड

रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट (REITs) को आप रियल एस्टेट की दुनिया का म्यूचुअल फंड मान सकते हैं. REITs ऐसी कंपनियां होती हैं जो रियल एस्टेट, जैसे बड़े ऑफिस स्पेस, शॉपिंग मॉल, या कमर्शियल बिल्डिंग्स का स्वामित्व रखती हैं, उनका संचालन करती हैं और उन्हें फ़ाइनेंस करती हैं. आम निवेशकों से पैसे जुटाकर बड़ा फंड इकट्ठा किया जाता है और उसे ऐसी प्रॉपर्टीज खरीदी जाती हैं, जिससे अच्छा रेंट मिले. REITs के लिए ये नियम है कि इनकम का 90 फीसदी हिस्सा निवेशकों के बीच डिविडेंड के रुप में बांटे जाएं. वहीं ये शेयर बाजार में भी लिस्टेड होते हैं.    

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REITs से मुनाफ़ा कैसे कमाएं?

सेबी (SEBI) नियमों के अनुसार, REITs को किराए से होने वाली आय का कम से कम 90% हिस्सा डिविडेंड के रूप में निवेशकों को बांटना ज़रूरी है. यह आपको नियमित, स्थिर आय प्रदान करती है, जो बैंक एफडी से बेहतर हो सकती है. जैसे-जैसे प्रॉपर्टी की कीमत और वैल्यू बढ़ती है, वैसे-वैसे REITs यूनिट्स का बाज़ार मूल्य भी बढ़ता है. इसमें आपको लाखों की प्रॉपर्टी खरीदने, लोन लेने, या किराएदार ढूंढने का कोई झंझट नहीं रहता है.

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AIFs क्या हैं?

वैकल्पिक निवेश फंड (Alternative Investment Funds - AIFs) एक अलग तरह के फंड होते हैं, जो मुख्य रूप से हाई नेट-वर्थ इंडिविजुअल्स (HNIs) और संस्थागत निवेशकों (Institutional Investors) के लिए बने हैं, लेकिन ये रियल एस्टेट फंडिंग का एक बड़ा हिस्सा हैं. रियल एस्टेट के लिए बने AIFs रुकी हुई परियोजनाओं को फिर से शुरू करने, नए कमर्शियल प्रोजेक्ट्स में निवेश करने या लग्जरी प्रॉपर्टी डेवलप करने पर ध्यान केंद्रित करते हैं.


AIFs में निवेश की न्यूनतम सीमा काफी ऊंची होती है

आम तौर पर, AIFs में निवेश की सीमा ₹1 करोड़ या उससे अधिक होती है, यह मुख्य रूप से सुपर एचएनआई (Super HNIs) और बड़े कॉर्पोरेट निवेशकों के लिए है. हालिया रिपोर्टों से पता चलता है कि AIFs का रियल एस्टेट पर दबदबा बढ़ा है. एक रिपोर्ट के अनुसार, एक वित्तीय वर्ष की शुरुआती नौ महीनों में सभी क्षेत्रों में हुए कुल AIF निवेश का लगभग 15% हिस्सा (लगभग ₹73,903 करोड़) रियल एस्टेट सेक्टर में गया था. यह दर्शाता है कि यह फंड अब रियल एस्टेट में पूंजी का एक प्रमुख स्रोत बन चुका है.

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