Vedanta की इस डील के खिलाफ सरकार, कहा- अभी नहीं बेच सकते कंपनी में हिस्सेदारी!

एस एंड पी ग्लोबल रेटिंग्स ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा था कि वेदांता ग्रुप दो अरब डॉलर जुटा पाने में नाकाम रहता है तो ऐसी स्थिति में कंपनी के कर्ज से जुड़ी रेटिंग दबाव में आ सकती है. इसके बाद समूह ने अपनी जिंक यूनिट बेचने का प्लान बनाया है.

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अनिल अग्रवाल के प्लान को सरकार का झटका अनिल अग्रवाल के प्लान को सरकार का झटका

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 20 फरवरी 2023,
  • अपडेटेड 9:58 PM IST

दिग्गज उद्योगपति और वेदांता ग्रुप के चेयरमैन अनिल अग्रवाल (Anil Agarwal) को सरकार की ओर से झटका लगा है. दरअसल, उनके Vedanta Group पर मौजूदा कर्ज को कम करने के लिए बनाई गई योजना पर सरकार ने अड़ंगा लगा दिया है. इसके साथ ही सरकार ने इस डील को लेकर लीगल एक्शन पर विचार किए जाने की बात भी कही है. आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला...

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हिंदुस्तान जिंक में सरकार की हिस्सेदारी
वेदांता ग्रुप के चेयरमैन अनिल अग्रवाल (Vedanta Chairman Anil Agarwal) ने अपने कर्ज को कम करने के लिए अपनी एक यूनिट Hindustan Zinc Ltd.को बेचने का प्लान बनाया है. सरकार ने हिंदुस्तान जिंक की वेदांता रिसोर्सेज की प्रमुख फर्म से करीब 3 अरब डॉलर की इस संपत्ति के अधिग्रहण का विरोध किया है. इसके साथ ही आगाह किया गया है कि ऐसा किया तो सरकार लीगल एक्शन पर विचार कर सकती है. दरअसल, सरकार की हिंदुस्तान जिंक में 30 फीसदी हिस्सेदारी है. 

2.98 अरब में पूरी होनी थी डील
Vedanta Group अपनी जिस जिंक मैन्युफैक्चरिंग यूनिट को बेचने का प्लान बना रही है, वो THL Zinc Ltd Mauritius है. साल की शुरुआत में यानी जनवरी 2023 में हिंदुस्तान जिंक ने वेदांता की इस यूनिट को 2.98 अरब डॉलर में अधिग्रहित करने पर अपनी सहमति व्यक्त की थी. इसे 18 महीने में चरणबद्ध तरीके से पूरा होना था, लेकिन इसके शुरू होने से पहले ही सरकार की ओर से इस संबंध में सख्त लहजे में विरोध व्यक्त किया गया है. 

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हिंदुस्तान जिंक के बोर्ड में सरकार के प्रतिनिधियों ने योजना के खिलाफ तर्क दिया है और कहा कि अगर कंपनी आगे बढ़ने का फैसला करती है तो उपलब्ध सभी कानूनी रास्ते तलाशे जाएंगे. इस संबंध में ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट की मानें तो खनन मंत्रालय ने 17 फरवरी को हिंदुस्तान जिंक को इसे लेकर एक पत्र लिखा और कंपनी से इन एसेट्स खरीदने के लिए दूसरे नकदी रहित तरीकों का पता लगाने को कहा है.

S&P की रिपोर्ट के बाद बनाया था मन
गौरतलब है कि लंदन में बस चुके भारतीय मूल के उद्योगपति अनिल अग्रवाल Hindustan Zinc Limited के साथ डील से मिले पैसे का इस्तेमाल कर्ज वेदांता रिसोर्सेज लिमिटेड (Vedanta Resources Ltd) के कर्ज को कम करने में करना चाहते हैं. दरअसल, एस एंड पी ग्लोबल रेटिंग्स ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा था कि वेदांता ग्रुप दो अरब डॉलर जुटा पाने में नाकाम रहता है या फिर अपने इंटरनेशनल जिंक एसेट्स को नहीं बेच पाता है, तो ऐसी स्थिति में कंपनी के कर्ज से जुड़ी रेटिंग दबाव में आ सकती है.

 

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