पैसे की तंगी बताते रहे, पर कई राज्यों ने केंद्र के कोरोना राहत पैकेज का नहीं उठाया फायदा

राज्यों ने केंद्र सरकार के आत्मनिर्भर भारत राहत पैकेज के तहत उधार लेना पसंद नहीं किया, क्योंकि इसके लिए कई तरह के आर्थिक सुधार करने जरूरी थी. पश्चिम बंगाल ने तो इस तरह के पैेकेज का लाभ उठाने के लिए जरूरी चार सुधारों को अपनाने से साफ इंकार कर दिया.

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कम राज्यों ने लिया राहत पैकेज का फायदा (प्रतीकात्मक तस्वीर: Getty Images)  कम राज्यों ने लिया राहत पैकेज का फायदा (प्रतीकात्मक तस्वीर: Getty Images)

राहुल श्रीवास्तव

  • नई दिल्ली ,
  • 11 जून 2021,
  • अपडेटेड 4:53 PM IST
  • आत्मनिर्भर भारत के तहत था ऐलान
  • ब​हुत कम राज्यों ने उठाया फायदा

कोरोना महामारी के दौर में तमाम मुश्किलों और आर्थिक तंगी की बात लगातार कहने के बावजूद देश के कई राज्यों ने केंद्र सरकार के आत्मनिर्भर भारत राहत पैकेज के तहत उधार लेना पसंद नहीं किया. राहत पैकेज का फायदा उठाने के लिए कई तरह के आर्थिक सुधार करने जरूरी थी. 

पश्चिम बंगाल ने तो इस तरह के पैकेज का लाभ उठाने के लिए जरूरी चार सुधारों को अपनाने से साफ इंकार कर दिया, जैसे सभी राशन कार्ड को आधार नंबर से लिंक करना और वन नेशन-वन राशन कार्ड के तहत सभी सरकारी दुकानों पर EPoS मशीन लगाना सुनिश्चित करना आदि. 

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पिछले साल हुआ था ऐलान 

गौरतलब है कि पिछले साल कोरोना की पहली लहर के दौर में जब सख्त लॉकडाउन से अर्थव्यवस्था पर काफी विपरीत असर पड़ा था, तब केंद्र सरकार ने आत्मनिर्भर भारत योजना के तहत कई उपायों का ऐलान किया था. 

वित्त मंत्री ने इस राहत पैकेज के तहत ऐलान किया था कि राज्यों की बॉरोइंग लिमिट उनके सकल राज्य घरलू उत्पाद के 3% से बढ़ाकर 5% तक की जाएगी. यह सुविधा हालात को देखते हुए सिर्फ 2020-21 के लिए की गई थी. इससे राज्यों को 4.28 लाख करोड़ रुपये के अतिरिक्त संसाधन मिलने की बात कही गई थी. 

लेकिन यह शर्त रखी गई ​कि जो राज्य 2 फीसदी की अतिरिक्त बॉरोइंग का फायदा उठाना चाहते हैं, उन्हें कई तरह के सुधार करने होंगे. जैसे राशन वितरण में लीकेज को कम करना, निवेश के द्वारा नौकरियां बढ़ाना, किसानों के हितों की रक्षा और बिजली क्षेत्र को सक्षम बनाना. लेकिन कई गैर बीजेपी शासित राज्यों ने इन सुधारों पर अमल करना पसंद नहीं किया. 

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इन राज्यों ने एक रुपया भी नहीं लिया 

पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, झारखंड, मिजोरम और नगालैंड ने तो केंद्र सरकार से 1 रुपया भी अतिरिक्त उधार लेना मुनासिब नहीं समझा, जबकि कोरोना संकट के दौरान सभी राज्य यह कहते रहे कि वे आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं. कुल मिलाकर 23 राज्यों ने करीब 1.06 लाख करोड़ रुपये का उधार लिया.  
 
हालांकि केरल, राजस्थान, आंध्र प्रदेश जैसे कुछ गैर बीजेपी शासित राज्यों ने अतिरिक्त फंड हासिल करने के लिए हर शर्त को पूरा किया. गोवा और उत्तराखंड ही मात्र बीजेपी शासित ऐसे राज्य रहे जिन्होंने पूरा फायदा लेने के लिए सभी तरह के सुधार क्राइटेरिया को पूरा किया. गुजरात, यूपी, असम और हरियाणा जैसे राज्यों ने इसका आंशिक लाभ उठाया है. दूसरी तरफ, महाराष्ट्र ने तो सभी तरह के क्राइटेरिया को पूरा करने के बावजूद इस स्कीम का फायदा नहीं लिया. 

 

 

 

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