WPI Inflation Data: रूस-यूक्रेन युद्ध का भारत पर असर, महंगाई दर में उछाल

Russia-Ukraine War Impact: थोक महंगाई दर में जनवरी के मुकाबले फरवरी में उछाल देखने को मिली. सरकार की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार, थोक महंगाई दर (WPI Inflation) अप्रैल, 2021 के बाद से लगातार 11वें महीने में दोहरे अंकों में रही. 

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सरकार ने सोमवार को जारी किया थोक महंगाई दर का आंकड़ा सरकार ने सोमवार को जारी किया थोक महंगाई दर का आंकड़ा

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 14 मार्च 2022,
  • अपडेटेड 1:43 PM IST
  • पिछले महीने गेहूं के दामों में उछाल देखा गया
  • लगातार 11वें महीने दोहरे अंकों में रही थोक महंगाई

होलसेल प्राइस पर आधारित महंगाई दर (Wholesale Price-Based) फरवरी में बढ़कर 13.11 फीसदी हो गई. सरकार की ओर से सोमवार को जारी आंकड़ों में यह जानकारी दी गई है. इन आंकड़ों के मुताबिक खाने-पीने के सामान की कीमतों में उछाल से थोक महंगाई दर में यह इजाफा देखने को मिला. इस तरह थोक महंगाई दर (WPI Inflation) अप्रैल, 2021 के बाद से लगातार 11वें महीने में दोहरे अंकों में रही. 

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जनवरी में WPI Inflation

जनवरी में थोक महंगाई दर 12.96 फीसदी पर रही थी. उससे पहले दिसंबर, 2021 में यह 13.56 फीसदी पर रही थी. सरकार की ओर से जारी स्टेटमेंट के मुताबिक पिछले साल के समान महीने की तुलना में मिनरल ऑयल, बेसिक मेटल, केमिकल्स और केमिकल प्रोडक्ट्स, क्रूड पेट्रोलियम और नेचुरल गैस, खाने-पीने के सामान और नॉन-फूड आर्टिकल्स की कीमतों में तेजी से मुख्य रूप से महंगाई दर ऊंची रही.

इसी बीच, जनवरी की तुलना में फरवरी में फूड आर्टिकल्स की महंगाई घटकर 8.19 फीसदी पर रही. जनवरी में फूड आर्टिकल्स की महंगाई 10.33 फीसदी पर रही थी. सब्जियों की थोक महंगाई जनवरी के 38.45 फीसदी से घटकर फरवरी में 26.93 फीसदी पर आ गई. 

फरवरी में प्याज की थोक कीमत में 26.37 फीसदी की गिरावट देखने को मिली. वहीं, आलू के भाव में 14.78 फीसदी का उछाल देखने को मिला. अंडा, मीट और मछली की कीमत में 8.14 फीसदी का उछाल देखने को मिला जबकि गेहूं की कीमत में 11.03 फीसदी का उछाल देखने को मिला. रूस-यूक्रेन वार से पूरी दुनिया में गेहूं की कीमतों में उछाल देखने को मिला है.

RBI ने ब्याज दरों में नहीं किया था बदलाव

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यहां ध्यान रखने वाली बात ये है कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने फरवरी में मॉनिटरी पॉलिसी की मीटिंग में प्रमुख रेपो रेट में किसी तरह का बदलाव नहीं किया था. केंद्रीय बैंक ग्रोथ को सपोर्ट करने और महंगाई दर से जुड़े दबाव को मैनेज करने के लिए लगातार 10वीं बार रेपो रेट को 4 फीसदी पर अपरिवर्तित रखने का फैसला किया था.

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