Retail Inflation: सरकार ने जारी किया आंकड़ा, अगस्त में बढ़ गई खुदरा महंगाई... ये चीजें हुईं महंगी

बारिश की वजह से सब्जियों के दाम बढ़ने से खुदरा महंगाई दर में उछाल देखने को मिल रहे हैं. मामूली महंगाई दर में बढ़ोतरी से फिलहाल आरबीआई की मौद्रिक नीति पर कोई असर नहीं पड़ने वाला है.

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महंगी सब्जियों से बिगड़ा महंगाई दर का आंकड़ा. (Photo: ITGD) महंगी सब्जियों से बिगड़ा महंगाई दर का आंकड़ा. (Photo: ITGD)

आजतक बिजनेस डेस्क

  • नई दिल्ली,
  • 12 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 4:59 PM IST

भारत में खुदरा महंगाई (Retail Inflation) की रफ्तार थोड़ी तेज हुई है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, अगस्त महीने में खुदरा महंगाई दर बढ़कर 2.07% पर पहुंच गई, जो कि जुलाई में 1.55 फीसदी रही थी. जुलाई के मुकाबले अगस्त में भले ही महंगाई में मामूली बढ़ोतरी हुई है. लेकिन संकेत ये हैं कि खाने-पीने की कुछ चीजें धीरे-धीरे महंगी हो रही हैं. 

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दरअसल, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) में करीब आधी हिस्सेदारी रखने वाली खाद्य मुद्रास्फीति, जुलाई के -1.76% से अगस्त में बढ़कर -0.69% हो गई. जिससे पिछले महीने सब्जियों और दालों के दाम बढ़े हैं, कारण देखें तो बारिश से कम उत्पादन और सप्लाई में दिक्कतें हैं. वहीं वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों ने ईंधन की लागत को प्रभावित किया है. हालांकि इन सबके बीच खुदरा महंगाई अब भी भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की 2-6% की आरामदायक सीमा के भीतर बनी हुई है. 

जुलाई में महंगाई दर थी 8 साल में सबसे कम 

बता दें, इससे पहले जुलाई में खुदरा महंगाई में रिकॉर्ड गिरावट दर्ज की गई थी, खुदरा महंगाई 8 साल के न‍िचले स्‍तर 1.55 फीसदी पर पहुंच गई थी. खुदरा महंगाई दर में बढ़ोतरी या गिरावट तब आती है, जब‍ फूड प्रोडक्‍ट्स- आलू, प्‍याज, हरी सब्जियां, चावल, आटा और दाल वगैरह की कीमतें बढ़ती या घटती हैं.

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गौरतलब है कि RBI की मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने पिछले महीने कहा था कि वित्त वर्ष-26 की अंतिम तिमाही में मुद्रास्फीति में तेजी आने की संभावना है, खासकर सब्जियों और अन्य खाद्य पदार्थों की कीमतों में उतार-चढ़ाव के कारण. वित्त वर्ष 26 के लिए RBI अब मुद्रास्फीति 3.1% रहने का अनुमान लगा रहा है, जो कि पहले 3.7% रहने का अनुमान लगाया गया था. 

अर्थशास्त्रियों का मानना है कि इतनी मामूली बढ़ोतरी से आरबीआई की मौद्रिक नीति पर तुरंत कोई असर नहीं पड़ेगा. हालांकि, अगर आने वाले महीनों में खाद्य और ईंधन की कीमतें लगातार चढ़ती रहीं, तो इसका बोझ आम लोगों की जेब पर और बढ़ सकता है.

खुदरा महंगाई दर क्या है?
खुदरा महंगाई दर (Retail Inflation Rate) एक आर्थिक संकेतक है, जो उपभोक्ता स्तर पर वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में औसत बढ़ोतरी को मापता है. भारत में यह आमतौर पर उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (Consumer Price Index - CPI) के आधार पर गणना की जाती है. CPI मुख्य तौर पर वस्तुओं और सेवाओं, जैसे खाद्य पदार्थ, ईंधन, कपड़े, आवास, स्वास्थ्य और परिवहन की कीमतों में बदलाव को ट्रैक करता है, जो सामान्य उपभोक्ता के दैनिक जीवन के लिए आवश्यक हैं. भारत में सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) CPI डेटा जारी करता है.

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खुदरा महंगाई का आम आदमी पर असर
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) महंगाई को काबू में करने के लिए रेपो रेट जैसे उपायों का उपयोग करता है. RBI का लक्ष्य खुदरा महंगाई को 4% (+/- 2%) के दायरे में रखना है. महंगाई बढ़ने से आम लोगों की क्रय शक्ति प्रभावित होती है. महंगाई दर निवेशकों के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह रिटर्न की वास्तविक वैल्यू को प्रभावित करती है.

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