Israel Iran Conflict: ईरान-इजरायल में बवाल... भारत में भी बढ़ी टेंशन, दांव पर करीब 4771 करोड़ रुपये

मई 2024 तक, भारत ने चाबहार में शाहिद बेहेस्‍ती टर्मिनल के मैनेजमेंट के लिए 10 साल का कॉन्‍ट्रैक्‍ट हासिल किया है. IPGL ईरान के आरिया बानाडर के साथ साझेदारी में इसके परिचालन की देखरेख करता है. इस पोर्ट के विकास में भारत का बड़ा निवेश है. 

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चाबहार पोर्ट चाबहार पोर्ट

आजतक बिजनेस डेस्क

  • नई दिल्‍ली,
  • 19 जून 2025,
  • अपडेटेड 8:22 PM IST

इजरायल और ईरान के बीच चल रहा संघर्ष (Israel Iran Conflict) अब घातक होता जा रहा है. दोनों देश एक दूसरे पर मिसाइलें दाग रहे हैं. इस बीच इजरायली मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, ईरान ने इजरायली स्‍टॉक एक्‍सचेंज (Israel Stock Exchange) और अस्‍पतालों पर हमला कर दिया है. तेहरान ने इजरायल पर नए हमले किए हैं, जिसमें 25 से ज्‍यादा मिसाइलें दागी गई हैं. वहीं इजरायल के जवाबी कार्रवाई की उम्‍मीद फिर बढ़ चुकी है. 
 
इन दोनों देशों के बीच चल रहे संघर्ष के कारण ईरान में भारत के 550 मिलियन डॉलर (करीब 4771 करोड़ रुपये) दांव पर लगे हैं. दरअसल, ईरान में भारत के व्‍यापारिक और रणनीतिक हित मुख्‍य तौर पर चाबहार पोर्ट पर फोकस हैं, जो इंडिया पोर्ट ग्‍लोबल लिमिटेड (IPGL) के माध्‍यम से संचालित एक महत्‍वपूर्ण संपत्ति है. यह पोर्ट भारत को अफगानिस्‍तान और मध्‍य एशिया के लिए एक रणनीतिक रास्‍ता देता है, जो पाकिस्‍तान को दरकिनार करता है. 

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अब ईरान-इजरायल के बढ़ते संघर्ष के कारण इस पोर्ट पर संकट आ सकता है, क्‍योंकि अमेरिका की भागीदारी बढ़ रही है और वहीं पश्चिमी प्रतिबंध लगातार बाधा बने हुए हैं, जो बंदरगाह विकास और रेल संपर्क पहल दोनों को जटिल बना रहे हैं. 

10 साल का समझौता 
मई 2024 तक, भारत ने चाबहार में शाहिद बेहेस्‍ती टर्मिनल के मैनेजमेंट के लिए 10 साल का कॉन्‍ट्रैक्‍ट हासिल किया है. IPGL ईरान के आरिया बानाडर के साथ साझेदारी में इसके परिचालन की देखरेख करता है. हालांकि इससे पहले साल 2017 में अडानी ग्रुप और एस्‍सार जैसी प्राइवेट कंपनियों ने इसके परिचालन में रुचि दिखाई थी. इस पोर्ट के विकास में भारत का बड़ा निवेश है. 

ईरान के पोर्ट पर भारत का निवेश 
यह बंदरगाह भारत को ईरान, अफगानिस्तान, मध्य एशिया और यूरोप के साथ व्यापार करने के लिए एक वैकल्पिक और छोटा मार्ग प्रदान करता है. भारत ने चाबहार बंदरगाह के विकास में 200 मिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक का निवेश किया है और बंदरगाह के एक टर्मिनल को डेवलप करने के लिए 700 करोड़ रुपये का निवेश करने का ऐलान किया है. 

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इसके अलावा, बर्थ अपग्रेड के लिए भारत का 85 मिलियन डॉलर का निवेश, 150 मिलियन डॉलर की एक्जिम बैंक लाइन ऑफ क्रेडिट और चाबहार-जाहेदान रेलवे के लिए स्‍टील आयात को सुविधाजनक बनाने के लिए 400 मिलियन डॉलर की एक अलग लाइन ऑफ क्रेडिट है. बता दें शाहिद बेहेस्‍ती टर्मिनल ईरान का दूसरा सबसे बड़ा पोर्ट है. 

रेलवे कनेक्टिविटी पर काम 
चाबहार-जाहेदान रेलवे प्रोजेक्‍ट के तहत 1.6 अरब डॉलर के एमओयू के तहत भारतीय पीएसयू कंपनी इरकॉन इंटरनेशनल को सौंपा गया था, लेकिन फंडिंग में देरी के कारण 2020 में ईरान इससे आंशिक तौर पर अलग हो गया. चाबहार बंदरगाह को 2026 तक ईरान के रेलवे नेटवर्क से जोड़ने की योजना है. 
 
व्‍यापार का नया नेटवर्क जोड़ने की कोशिश
कूटनीतिक स्तर पर भारत और ईरान ने गति बनाए रखने के लिए नियमित रूप से संपर्क बनाए रखा है. जनवरी 2025 में, 19वें विदेश कार्यालय परामर्श में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों और अधिकारियों ने चाबहार और अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन कॉरिडोर (INSTC) पर सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया. इसका उद्देश्य भारत, रूस, ईरान, मध्य एशिया और यूरोप के बीच माल ढुलाई के लिए एक बहु-मोडल परिवहन नेटवर्क बनाना है. 

चीन-अमेरिका की चुनौती
चीन भी चाबहार बंदरगाह के विकास में रुचि रखता है और इसे अपने बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के तहत ग्वादर बंदरगाह से जोड़ने की योजना बना रहा है. वहीं अमेरिका ने चाबहार पोर्ट के विकास में भारत के शामिल होने पर चिंता जताई है और ईरान पर लगे प्रतिबंधों का हवाला देते हुए चेतावनी दी है कि जो भी ईरान के साथ कारोबार करेगा, उसे प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है. 
 
ऐसा कहा जा रहा है कि चल रहे इजरायल-ईरान संघर्ष और विस्तारित अमेरिकी भागीदारी की संभावना चाबहार में परिचालन को बाधित कर सकती है, जिससे बीमा, रसद और INSTC कॉरिडोर प्रभावित हो सकता है. वहीं पश्चिमी प्रतिबंध लगातार बाधा बने हुए हैं, जो बंदरगाह विकास और रेल संपर्क पहल दोनों को जटिल बना रहे हैं. 

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