भारतीय शेयर बाजार की रफ्तार ने सबको चौंकाया, US-चीन के बाजार भी पीछे!

भारतीय शेयर बाजार दुनिया का चौथा सबसे बड़ा बाजार है. अप्रैल-जून तिमाही के दौरान मार्केट कैप बढ़ोतरी के मामले में भारत के बाद ताइवान और हांगकांग का नंबर आता है.

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आदित्य के. राणा

  • नई दिल्ली,
  • 02 जुलाई 2024,
  • अपडेटेड 8:02 PM IST

भारतीय शेयर बाजारों के शानदार प्रदर्शन ने इस साल नए कीर्तिमान कायम करने में बाजी मार ली है. अप्रैल-जून तिमाही के दौरान BSE का मार्केट कैप दुनिया के टॉप-10 शेयर बाजारों में सबसे ज्यादा तेजी से बढ़ा है. आंकड़ों के मुताबिक BSE का मार्केट कैप 13.8 फीसदी बढ़कर 5.26 ट्रिलियन डॉलर हो गया है. 

इस मार्केट कैप के साथ भारतीय शेयर बाजार दुनिया का चौथा सबसे बड़ा बाजार है. अप्रैल-जून तिमाही के दौरान मार्केट कैप बढ़ोतरी के मामले में भारत के बाद ताइवान और हांगकांग का नंबर आता है. ताइवान का मार्केट कैप बीती तिमाही में 11 फीसदी बढ़कर 2.49 ट्रिलियन डालर और हांगकांग का 7.3 परसेंट बढ़कर 5.15 ट्रिलियन डॉलर हो गया है. 

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दुनिया का चौथा सबसे बड़ा शेयर बाजार
दुनिया के सबसे बड़े शेयर बाजार अमेरिका का मार्केट कैप 2.75 फीसदी बढ़कर 56 ट्रिलियन डॉलर और दूसरे सबसे बड़े बाजार चीन का मार्केट कैप 5.59 परसेंट घटकर 8.6 ट्रिलियन डॉलर रह गया है. इस दौरान ब्रिटेन का 3.3 फीसदी बढ़कर 3.2 ट्रिलियन डॉलर, सऊदी का 8.7 प्रतिशत घटकर 2.67 ट्रिलियन डालर, फ्रांस का 7.63 फीसदी घटकर 3.18 ट्रिलियन डॉलर और जापान का बाजार पूंजीकरण 6.24 परसेंट घटकर 6.31 ट्रिलियन डॉलर रहा है. 

जानकारों के मुताबिक भारतीय बाजार में विदेशी निवेशकों के बढ़ते आकर्षण के साथ ही घरेलू निवेशकों की बढ़ती हिस्सेदारी इसे तेज रफ्तार से दौड़ने में मदद कर रही है. यही वजह है कि बीते हफ्ते ही सेसेंक्स और निफ्टी ने अपना नया ऑल टाइम हाई बनाया है.

DIIs ने खरीदारी का नया रिकॉर्ड बनाया
अगर घरेलू संस्थागत निवेशकों यानी म्यूचुअल फंड्स, बैंक, बीमा कंपनियों और वित्तीय संस्थानों की बढ़ती हिस्सेदारी की बात करें तो जनवरी-जून छमाही में इन्होंने शेयर खरीदने का नया रिकॉर्ड कायम कर दिया है. पहली छमाही में DIIs ने 2.36 लाख करोड़ के शेयर खरीदे जो 2023 में पूरे साल की गई खरीदारी का 1.7 गुना है. इसमें 83 फीसदी से ज्यादा खरीदारी म्यूचुअल फंड्स ने की है. 

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हालांकि अगर विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की बात करें तो इनका भरोसा देश में चुनाव के चलते डमगाता रहा. इस अवधि के दौरान FPIs ने 1.24 लाख करोड़ रुपये के शेयर बेचे. मई में FPIs ने सबसे ज़्यादा 42,214 करोड़ रुपये बेचे जबकि म्यूचुअल फंड्स ने मार्च में सबसे ज्यादा 56 हजार 312 करोड़ और फरवरी में 25,379 करोड़ रुपए के साथ सबसे कम खरीदारी की. इक्विटी म्यूचुअल फंड्स में लगातार 39 महीनों तक निवेश देखा गया है और जनवरी मई तक 5 महीनों में 1.24 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया गया.

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