बड़ी गिरावट की ओर भारत की इकोनॉमी, फिच का अनुमान- इस साल 10.5% गिरेगी

रेटिंग एजेंसी फिच ने अनुमान लगाया है कि इस वित्त वर्ष यानी 2020-21 में भारतीय अर्थव्यवस्था में 10.5 फीसदी की भारी गिरावट आ सकती है. यानी जीडीपी ग्रो​थ माइनस 10.5 फीसदी हो सकती है.

Advertisement
जीडीपी में गिरावट का अनुमान जीडीपी में गिरावट का अनुमान

aajtak.in

  • नई दिल्ली ,
  • 08 सितंबर 2020,
  • अपडेटेड 4:46 PM IST
  • जून तिमाही में आई थी 23.9 फीसदी की गिरावट
  • इस पूरे साल जीडीपी में भारी गिरावट का अनुमान
  • इकोनॉमी की हालत खराब, फिच का अनुमान

रेटिंग एजेंसी फिच ने अनुमान लगाया है कि इस वित्त वर्ष यानी 2020-21 में भारतीय अर्थव्यवस्था में 10.5 फीसदी की भारी गिरावट आ सकती है. यानी जीडीपी ग्रो​थ माइनस 10.5 फीसदी हो सकती है. गौरतलब है कि कोरोना संकट की वजह से देश की जून तिमाही की ​जीडीपी में 23.9 फीसदी की गिरावट आई है.

यह भारत के आधुनिक इतिहास की सबसे बड़ी गिरावट थी. मार्च में कठोर लॉकडाउन लगाने की वजह से अर्थव्यवस्था में यह भारी गिरावट आई है. फिच ने कहा, 'अर्थव्यवस्था के फिर से खुलने के बाद अक्टूबर से दिसंबर की तीसरी तिमाही में जीडीपी में मजबूत सुधार होना चाहिए, लेकिन संकेत तो इस बात के दिख रहे हैं कि सुधार की गति धीमी और असमान होगी.'

Advertisement

गौरतलब है कि देश के सकल घरेलू उत्पाद में जून तिमाही में करीब 24 फीसदी की गिरावट आई है. इसको देखते हुए जानकार इस बात की मांग करने लगे हैं कि अर्थव्यवस्था के लिए दूसरा राहत पैकेज आना चाहिए. सरकार एक दूसरा राहत पैकेज ला सकती है, लेकिन यह शायद तब तक न हो, जब तक बाजार में कोरोना का टीका नहीं आ जाता. 

जून तिमाही में आई थी बड़ी गिरावट 

फिच ने कहा, 'हमने इस वित्त वर्ष के जीडीपी अनुमान में जून के ग्लोबल इकोनॉमी आउटलुक के मुकाबले 5 फीसदी की और कमी कर दी है.'  कोरोना संकट की वजह से अप्रैल से जून की इस वित्त वर्ष की पहली तिमाही के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 23.9 फीसदी की ऐतिहासिक गिरावट आई है. यानी जीडीपी में करीब एक-चौथाई की कमी आ गई है. 

Advertisement

पहली तिमाही में स्थिर कीमतों पर यानी रियल जीडीपी 26.90 लाख करोड़ रुपये की रही है, जबकि ​पिछले वर्ष की इसी अवधि में यह 35.35 लाख करोड़ रुपये की थी. इस तरह इसमें 23.9 फीसदी की गिरावट आई है. पिछले साल इस दौरान जीडीपी में 5.2 फीसदी की बढ़त हुई थी. 

आर्थिक तरक्की का पैमाना

किसी देश की सीमा में एक निर्धारित समय के भीतर तैयार सभी वस्तुओं और सेवाओं के कुल मौद्रिक या बाजार मूल्य को सकल घरेलू उत्पाद (GDP) कहते हैं. यह किसी देश के घरेलू उत्पादन का व्यापक मापन होता है और इससे किसी देश की अर्थव्यवस्था की सेहत पता चलती है.

जीडीपी आर्थिक तरक्की और वृद्धि का पैमाना होती है. जब अर्थव्यवस्था मजबूत होती है तो बेरोजगारी कम रहती है. लोगों की तनख्वाह बढ़ती है. कारोबार जगत अपने काम को बढ़ाने के लिए और मांग को पूरा करने के लिए ज्यादा से ज्यादा लोगों की भर्ती करता है.

 


 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement