क्या भारत World Bank का सबसे बड़ा कर्जदार है? ये सिक्के का एक पहलू है... दूसरा शानदार!

साल 2025 में GDP के मुकाबले सबसे अधिक कर्ज अनुपात वाले टॉप-10 देशों की बात करें, तो इस सूची में जापान शीर्ष पर है. जापान का ऋण जीडीपी अनुपात 248.7% पहुंच गया है, यानी देश का कर्ज उसकी अर्थव्यवस्था के आकार से ढाई गुना से भी ज्यादा है.

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भारत तेजी से इंफ्रा पर निवेश कर रहा है. (Photo: AI Generated) भारत तेजी से इंफ्रा पर निवेश कर रहा है. (Photo: AI Generated)

आजतक बिजनेस डेस्क

  • नई दिल्ली,
  • 09 अक्टूबर 2025,
  • अपडेटेड 1:03 PM IST

दुनिया में सबसे तेज आर्थिक तरक्की करने वाले देशों की लिस्ट में भारत सबसे ऊपर है. पिछले कुछ वर्षों में भारत ने जमकर इंफ्रास्ट्रक्चर पर निवेश किया है. जिससे भारतीय इकोनॉमी को गति मिली है, उम्मीद है कि जल्द ही भारत दुनिया की चौथा आर्थिक शक्ति बनने वाला है.

इस बीच भारत पर कर्ज को लेकर चर्चा हो रही है. ऐसा कहा जा रहा है कि भारत सरकार पर विश्व बैंक का कर्ज बढ़ता जा रहा है, और यही कारण है कि भारत 2025 में 'World Bank Debtors List' में शीर्ष पर है. लेकिन ये सिक्के का सिर्फ पहलू है.   

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दरअसल, वर्ल्ड बैंक ने ही वित्त वर्ष 2025-26 में भारत की GDP ग्रोथ रेट 6.5 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है. वर्ल्ड बैंक का कहना है कि भारत की आर्थिक स्थिति अपेक्षाकृत अच्छी बनी हुई है. क्योंकि मजबूत घरेलू खपत, सार्वजनिक निवेश और सेवा क्षेत्र (Services Sector) अच्छी तरह काम कर रहे हैं.

अगर कर्ज की बात करें तो भारत का Debt-to-GDP अनुपात 2024 में लगभग 81.92% रहा था. हालांकि पिछले वित्त वर्ष की तुलना में ये थोड़ा ज्यादा है. लेकिन ये गंभीर चिंता का विषय नहीं है. इससे पहले कोरोना काल के दौरान भारत की देनदारियां बहुत तेजी से बढ़ी थीं, उस समय Debt/GDP अनुपात बढ़कर 89% तक पहुंच गया था.

असली कर्जदार ये बड़े देश

अगर 2025 में GDP के मुकाबले सबसे अधिक कर्ज अनुपात वाले टॉप-10 देशों की बात करें, तो इस सूची में जापान शीर्ष पर है. जापान का ऋण जीडीपी अनुपात 248.7% पहुंच गया है, यानी देश का कर्ज उसकी अर्थव्यवस्था के आकार से ढाई गुना से भी ज्यादा है. इसके बाद सूडान 237.1% के अनुपात के साथ दूसरे स्थान पर है, जबकि सिंगापुर 175.8% के साथ तीसरे पायदान पर है.

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यूरोपीय देशों में ग्रीस (152.9%), इटली (138.7%), और फ्रांस (115.3%) भी ऊंचे कर्ज स्तर से जूझ रहे हैं. छोटे द्वीपीय देशों में मालदीव (133.6%) और बहरीन (129.8%) का नाम भी इस सूची में शामिल है. वहीं अमेरिका का ऋण अनुपात 124.1% दर्ज किया गया है, जबकि लाओस 118.3% पर है. सबसे ज्यादा Debt-to-GDP अनुपात वाले टॉप-10 देशों में भारत नहीं है. यानी ये बड़ी राहत की बात है, और भारतीय इकोनॉमी की मजबूती को दर्शाता है. 

इसलिए World Bank debtors list में भारत का सबसे ऊपर होना केवल कर्ज से जोड़कर नहीं देखना चाहिए. इसका यह भी संकेत है कि भारत अपनी महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए बड़े स्तर पर निवेश करना चाहता है.

बता दें, असल में किसी भी देश पर मौजूद कर्ज की तुलना GDP अनुपात, कर्ज की प्रकृति (आंतरिक या बाहरी), देयताओं की समय अवधि के आधार पर की जाती है. भारत की स्थिति चुनौतीपूर्ण कह सकते हैं. क्योंकि भारत ने कर्ज लिया है, देनदारियां ज्यादा हैं, राजस्व का बड़ा हिस्सा ब्याज चुकाने में चला जाता है. लेकिन इन सबके बावजूद अंतरराष्ट्रीय मापदंडों पर भारत अभी 'सबसे ज्यादा कर्जदार' की श्रेणी में नहीं आता.

क्यों भारत ले रहा है इतना ज्यादा कर्ज?
भारत अपनी ऊर्जा प्रणालियों को हरित (ग्रीन) और नवीकरणीय स्रोतों की ओर ले जाने की योजना पर काम कर रहा है. लेकिन इस परिवर्तन में भारी पूंजी की जरूरत है, जैसे कि ग्रिड इंफ्रास्ट्रक्चर, बिजली स्टोरेज, पवन और सौर ऊर्जा संयंत्र वगैरह. इस बड़े निवेश को पूरा करने के लिए भारत को लोन लेने की जरूरत पड़ी है. क्योंकि ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने और जनसंख्या बढ़ोतरी की साथ-साथ उनकी जरूरतों को पूरा करने की योजनाएं भी चल रही हैं. 

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बता दें, वर्ल्ड बैंक का कर्ज कम ब्याज दर वाला (Concessional Loans) होता है, जो भारत की GDP का मात्र 1% से भी कम है (भारत की GDP 2025 में अनुमानित 3.7 ट्रिलियन डॉलर). भारत वर्ल्ड बैंक से लिए कर्ज का इस्तेमाल सड़कें, रेल, ग्रामीण विकास और COVID-19 जैसी महामारी से निपटने के लिए इस्तेमाल होता है. 2023-24 में वर्ल्ड बैंक ने भारत को 3.3 अरब डॉलर के नए लोन दिए, जो ऊर्जा और स्वास्थ्य पर केंद्रित थे. 

बता दें, विश्व बैंक दुनियाभर के देशों को बुनियादी ढांचे, सामाजिक कार्यक्रमों, स्वास्थ्य सेवा और जलवायु परिवर्तन के लिए धन मुहैया कराता है. ये धनराशि ऋण होती है, अनुदान नहीं, और इन्हें चुकाना होता है.

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