चीन पर निर्भरता कम करने और घरेलू स्तर पर प्रोडक्टिविटी को बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार ने रेयर अर्थ पर एक बड़ा फैसला लिया है. कैबिनेट ने सिंटर्ड रेयर अर्थ परमानेंट मैग्नेट्स (REPM) के निर्माण को बढ़ावा देने के लिए योजना को मंजूरी दे दी है. इसके अलावा, रेलवे को लेकर भी कुछ बड़े फैसले लिए गए हैं.
रेयर अर्थ को बढ़ावा देने वाली योजना के तहत कुल बजट 7,280 करोड़ रुपये का रखा गया है. इसमें 6,450 करोड़ रुपये की बिक्री बेस्ड सब्सिडी पांच साल के लिए रखी गई है. सरकार की यह पहली पहल है, जिसके तहत REMP इकोस्स्टिम को डेवलप करना है और आत्मनिर्भर बनाना है. इस योजना के तहत 6000 MTPA सिंटर्ड REMP के घरेलू निर्माण को बढ़ावा मिलेगा. सप्लाई चेन मजबूत होगी और भारत के नेट 0 2070 के टारगेट को सपोर्ट मिलेगा. भारत में 2030 तक REMP की खपत दोगुनी होने की उम्मीद है.
चीन का रेयर अर्थ पर है दबदबा
गौरतलब है कि रेयर अर्थ मिनरल्स को लेकर ग्लोबल स्तर पर चीन का दबदबा बना हुआ है. चीन अक्सर अपनी बातें मनवाने के लिए रेयर अर्थ सप्लाई रोकने की धमकी देता रहता है. हाल ही में टैरिफ टेंशन के कारण चीन ने ग्लोबल स्तर पर सप्लाई को रोक दी थी. हालांकि अब ये स्प्लाई जारी है. चीन रेयर अर्थ का 60 फीसदी हिस्सा पैदा करता है और 90 फीसदी हिस्से को कंट्रोल करता है.
इन योजनाओं को भी कैबिनेट ने दी मंजूरी
इस योजना के अलावा बुधवार को कैबिनेट ने महाराष्ट्र और गुजरात के 4 जिलो में दो मल्टीट्रैकिंग रेलवे प्रोजेक्ट्स को मंजूरी दी है. इसमें देवभूमि द्वारका–कनालुस डबल लाइन और बदलापुर–कर्जत तीसरी व चौथी लाइन शामिल है. 141 किमी और 32 किमी के दोनों लाइन तैयार किए जाएंगे. 2,781 करोड़ रुपये की लागत वाली ये योजनाएं भारतीय रेलवे नेटवर्क में लगभग 224 किमी की बढ़ोतरी करेंगी और करीब 585 गांवों की कनेक्टिविटी बढ़ेगी.
पुणे मेट्रो रेल प्रोजक्ट के फेज-2 को भी मंजूरी दी गई है. इसके तहत खराड़ी–खड़कवासला (लाइन 4) और नल स्टॉप–वारजे–माणिक बाग (लाइन 4A) तैयार किया जाएगा. यह परियोजना 5 साल में पूरी किया जा सकता है, जिसकी अनुमानित लागत 9,857.85 करोड़ रुपये है.
आजतक बिजनेस डेस्क