आतंकवाद किसी भी देश के लिए नासूर है. भारत दशकों से आतंकवाद के खिलाफ लड़ता आया है. लेकिन इस दुनिया में कई ऐसे देश भी हैं, जो आतंकवाद को पालता-पोषता है और उसे दूसरे देशों के खिलाफ इस्तेमाल करता है. इस लिस्ट में पाकिस्तान का भी नाम है, जो दशकों से भारत के खिलाफ आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा देता रहा है. आतंकियों को पालते-पालते आज पाकिस्तान खुद बर्बादी के कगार पर पहुंच गया है, पाई-पाई के लिए मोहताज है, लेकिन आतंकियों को पालना बंद नहीं किया है.
दरअसल, 22 अप्रैल को कश्मीर के पहलगाम में एक बार फिर पाकिस्तान की हरकत की वजह से 26 बेगुनाह मारे गए. इस आतंकवादी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. अभी सैन्य कार्रवाई नहीं हुई है, लेकिन जिस तरह पिछले 10 दिनों में भारत ने पाकिस्तान पर चौतरफा दबाव बनाया है, उसी से वो सकते में आ गया है.
बता दें, पहलगाम आतंकी हमले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान को साफ संदेश दे दिया है, कि आतंकियों को उसकी कल्पना से बड़ी सजा दी जाएगी. उनके आकाओं को मिट्टी में मिला दिया जाएगा, जिसके बाद से भारत आतंकवाद के खिलाफ रणनीति में जुट गया है. भारत की कोशिश है कि सैन्य कार्रवाई से पहले ही पाकिस्तान को आर्थिक तौर और कमजोर कर दिया जाए. पाकिस्तान को दुनिया से मिलने वाले फंड पर रोक लगवाया जाए. यानी भारत एक साथ पाकिस्तान पर दो आर्थिक चोट देने की तैयारी में है.
भारत दुनिया को संदेश दे रहा है कि पाकिस्तान आर्थिक मदद लेकर उसे आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए इस्तेमाल कर रहा है, इसी का नतीजा पहलगाम आतंकी हमला है.
भारत की पाकिस्तान पर पहली आर्थिक चोट
भारत पूरी ताकत के साथ पाकिस्तान को एक बार फिर फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की 'ग्रे लिस्ट' में डलवाने की कोशिश कर सकता है, ताकि उसे मिलने वाली आर्थिक मदद पर रोक लगे. अगर भारत फिर से पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में डलवाने में कामयाब रहा तो पाकिस्तान आर्थिक तौर पर और कंगाल हो जाएगा.
इससे पहले भारत की कोशिश से ही पाकिस्तान को जून 2018 में 'ग्रे लिस्ट' में डाला गया था. हालांकि उसके बाद पाकिस्तान आतंकवाद पर अंकुश के कुछ कदम उठाए थे, खासकर 26/11 के मुंबई हमलों के दोषियों पर कार्रवाई की थी, जिसके बाद अक्टूबर 2022 में उसे इस लिस्ट से बाहर निकाल दिया गया था.
बता दें, 'ग्रे लिस्ट' जाते ही किसी भी देश के लिए आर्थिक संकट गहरा जाता है. उस देश में विदेशी निवेश कम हो जाता है. कारोबार करने वालों को ज्यादा सावधानी बरतनी पड़ती है. हालांकि पाकिस्तान को 'ग्रे लिस्ट' में डलवाने के लिए भारत को FATF के सदस्य देशों का समर्थन चाहिए. पहलगाम हमले के बाद भारत को FATF के 20 से अधिक सदस्य देशों ने संदेश भेजे हैं. इनमें ब्रिटेन, अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया, यूरोपीय आयोग और सऊदी अरब और यूएई जैसे खाड़ी देशों के नाम शामिल हैं.
मौजूदा समय में FATF में कुल 40 सदस्य हैं, जबकि 200 से अधिक देश FATF की सिफारिशों को मानने के लिए सहमत है. FATF का एक अधिवेशन होता है, जो साल में तीन बार आयोजित किया जाता है. यह बैठक आमतौर पर फरवरी, जून और अक्टूबर महीने में होती है. पाकिस्तान के खिलाफ भारत इस मंच पर आवाज उठा सकता है. आतंकवाद के खिलाफ फंडिंग की शिकायत के बाद FATF की टीम जांच करती है कि आरोपी देश मनी लॉन्ड्रिंग, आतंकवाद और हथियारों के प्रसार को रोकने के लिए क्या कर रहे हैं.
फिलहाल दुनिया के 23 देश एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में हैं. इस लिस्ट में फिलीपींस, सीरिया, यमन, जिम्बाब्वे, युगांडा, मोरक्को, जमैका, कंबोडिया, बुर्किना फासो और दक्षिण सूडान और बारबाडोस हैं.
भारत की पाकिस्तान पर दूसरी आर्थिक चोट
इसके अलावा भारत की कोशिश है कि पाकिस्तान को IMF से मिलने वाली आर्थिक मदद पर रोक लगाई जाए. पाकिस्तान को IMF से मिलने वाले फंड को लेकर 9 मई को बैठक होने वाली है, इस बैठक में भारत पाकिस्तान का विरोध करेगा. IMF ने जुलाई 2024 में पाकिस्तान को 7 अरब डॉलर की मदद देने का समझौता किया था. इस मदद को देने के दौरान IMF 6 बार पाकिस्तान के प्रदर्शन की समीक्षा करेगा. अगली किश्त करीब 1 अरब डॉलर की होगी, जो समीक्षा में बैठक सही रिपोर्ट मिलने के बाद मिलेगी. भारत का सीधा आरोप है कि पाकिस्तान इन पैसे का इस्तेमाल आतंकी हमलों के लिए कर सकता है.
यही नहीं, अगर ये फंड पाकिस्तान को IMF से मिल भी जाता है तो वो इसे तत्काल भारत के खिलाफ सैन्य ताकत को बढ़ाने या फिर युद्ध की तैयारियों में लगा देगा, जबकि पाकिस्तान को ये पैसा IMF से देश की आर्थिक स्थिति को बेहतर करने के लिए मिल रहा है. भारत का यही मकसद है कि पाकिस्तान को आर्थिक तौर पर इतना कमजोर कर दिया जाए, कि वो आतंकवाद पर अंकुश लगान के लिए मजबूर हो जाए.
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