चौथी बड़ी इकोनॉमी... लेकिन अब भी भारत के साथ ये चुनौतियां, निपटना आसान नहीं!

भारत का सकल घरेलू उत्‍पाद (GDP) कहीं ज्‍यादा होने के बावजूद, हंगर इंडेक्‍स पर वह नाइजीरिया (100), केन्या (89) और घाना (78) से भी पीछे है. वहीं कुछ और आंकडों पर भी नजर रख सकते हैं.

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जीडीपी का एक बड़ा हिस्‍सा भारत की 1 फीसदी अमीरों के पास जीडीपी का एक बड़ा हिस्‍सा भारत की 1 फीसदी अमीरों के पास

आजतक बिजनेस डेस्क

  • नई दिल्‍ली,
  • 28 मई 2025,
  • अपडेटेड 7:04 PM IST

भारत जापान को पीछे छोड़ते हुए दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्‍यवस्‍था (India Become 4th Largest Economy) बन चुका है. अब हमसे आगे जर्मनी, चीन और अमेरिका हैं. भारत की इकोनॉमी (India GDP) 4.187 ट्रिलियन डॉलर पहुंच चुका है, जबकि जापान की इकोनॉमी (Japan GDP) 4.186 ट्रिलियन डॉलर है. आज हम भले ही जापान को इकोनॉमी के मामले में पीछे छोड़ दिया है, लेकिन कई ऐसे आंकड़े हैं जिसमें हम कुछ छोटे देशों से भी पीछे हैं. इसी तरह के एक आंकड़े को लेकर एक्‍सपर्ट ने चेतावनी दी है. 

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एक्‍सपर्ट का कहना है कि आधी से ज्‍यादा आबादी अभी भी दिन में तीन बार भोजन नहीं जुटा पाती है. यह अंतर ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2024 में भारत की 105वीं रैंक से पता चलता है. विश्लेषक हार्दिक जोशी ने हाल ही में लिंक्डइन पर एक पोस्ट में खास जानकारी शेयर की. उन्‍होंने लिखा था, 'अगर हम भारत के शीर्ष 1% अमीर लोगों को हटा दें, तो हम अफ्रीकी देशों के बराबर भी नहीं होंगे.' 

देश के 1 प्रतिशत के पास सबसे ज्‍यादा पैसा
जोशी ने कहा कि ये लाइन भले ही आपको तकलीफ दे सकती है, लेकिन डेटा ऐसी ही जानकारी देता है. भारत का सकल घरेलू उत्‍पाद (GDP) कहीं ज्‍यादा होने के बावजूद, हंगर इंडेक्‍स पर वह नाइजीरिया (100), केन्या (89) और घाना (78) से भी पीछे है. वहीं कुछ और आंकडों पर भी नजर रख सकते हैं. भारत की प्रति व्‍यक्ति आय करीब 3000 डॉलर है, लेकिन यह असमानता को छुपाती है. आबादी के टॉप 1% लोगों के पास नेशनल प्रॉपर्टी का 40 प्रतिशत से ज्‍यादा हिस्‍सा है, जबकि निचले 50% लोगों के पास सिर्फ 3% है. करीब 70 करोड़ लोग अलग-अलग स्‍तर की फूड अनसिक्‍योरिटी के साथ जी रहे हैं. 

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ग्रामीण क्षेत्र सबसे ज्‍यादा प्रभावित 
शहरी क्षेत्र में तरक्‍की होना राष्‍ट्रीय मानकों को बढ़ाती है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्र, खासतौर पर एग्रीकल्‍चर पर निर्भर एरिया पिछड़ते जा रहे हैं. जोशी की पोस्‍ट के मुताबिक, भारत का विकास हमेशा यह नहीं बताती है कि किसे लाभ मिल रहा है. उन्‍होंने लिखा, 'अगर GDP आंकड़े छिपाती है तो इसका कोई मतलब नहीं है. उन्‍होंने इस मुद्दे को डेवलपमेंट के तौर में नहीं, बल्कि एक सवाल के तौर पर रखा है. 

उच्‍च स्‍तर पर भारत की गरीबी दर 
एक्‍सपर्ट लिखते हैं कि हमने पैसा बनाने में महारत हासिल कर ली है, लेकिन अब इसे बांटने के तरीके पर फोकस करना चाहिए. आर्थिक ग्रोथ ने नेशनल इनकम के औसत को बढ़ाया है, लेकिन ये लाभ समान तौर पर नहीं बदले हैं. भारत की बहुयामी गरीबी दर 16.4 प्रतिशत पर उच्‍च बनी हुई है. करीब 90 प्रतिशत वकफोर्स अनौपचारिक एरिया में काम करता है, जहां वेतन कम है और लाभ सीमित हैं. 

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