घर का पजेशन मिलने में हो रही है देरी? आपके सामने हैं ये विकल्प

Home Buying Tips: घर का पजेशन समय पर नहीं मिलने पर Home Buyers का बड़ा वित्तीय नुकसान हो जाता है. ऐसे में यह जानना जरूरी है कि मकान का पजेशन नहीं मिलने पर क्या किया जाना चाहिए.

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रेरा के गठन के बाद पजेशन में देरी के मामलों में आई है कमी रेरा के गठन के बाद पजेशन में देरी के मामलों में आई है कमी

aajtak.in

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  • 16 अप्रैल 2022,
  • अपडेटेड 4:25 PM IST
  • कई शहरों में हैं रुके हुए हैं प्रोजेक्ट्स
  • पजेशन में देरी से होता है फाइनेंशियल लॉस

भारत में 'घर' को लेकर हर व्यक्ति काफी इमोशनल होता है. जिन लोगों के पास अपना घर नहीं है, वे सबसे पहले अपने नेम प्लेट वाला घर खरीदना चाहते हैं. इसके लिए कई लोग तो अपनी पूरी जिंदगी की जमा-पूंजी लगा देते हैं. लेकिन जब बिल्डर मकान खरीदार (Home Buyer) को घर की चाबी देने में देरी करता है तो Home Buyers बड़े परेशान हो जाते हैं. 

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कई शहरों में हैं रूके हुए हैं प्रोजेक्ट्स

रेरा के गठन के बाद बिल्डरों द्वारा प्रोजेक्ट पूरा नहीं करने के मामलों में कमी आई है. हालांकि, इसके बावजूद दिल्ली-एनसीआर सहित देश के कई प्रमुख शहरों में कई प्रोजेक्ट्स अटके हुए हैं. 

इन प्रोजेक्ट्स में लाखों मकान खरीदारों के पैसे फंसे हुए हैं. घर का पजेशन नहीं मिलने पर लोगों का बड़ा वित्तीय नुकसान हो जाता है. साथ-ही-साथ उन्हें काफी अधिक स्ट्रेस का सामना करना पड़ता है. ऐसे में Home Buyers को अपने अधिकारों की जानकारी होनी चाहिए. इसके साथ ही लीगल ऑप्शन्स भी पता होने चाहिए. 

पहला ऑप्शन है ये

अगर आपका बिल्डर BBA में तय की गई समय सीमा तक आपके फ्लैट का पजेशन आपको नहीं देता है तो आपको सबसे पहले रियल एस्टेट (रेगुलेशन एंड डेवलपमेंट) अथॉरिटी (RERA) में अपनी शिकायत दर्ज करानी चाहिए. रेरा मकान खरीदार को पजेशन में देरी पर ब्याज या जमा की गई कुल रकम (ब्याज के साथ) वापस मांगने का ऑप्शन देता है. 

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अगर बिल्डर मुआवजा देने से इनकार करता है तो रेरा कई तरह के कठोर कार्रवाई कर सकता है. इनमें जेल भेजने से लेकर रजिस्ट्रेशन कैंसल करने जैसे प्रावधान शामिल हैं. 

कर सकते हैं ये कानूनी कार्रवाई

अगर किसी Home Buyer को घर की चाबी मिलने में काफी अधिक देरी होती है और वह कानूनी कार्रवाई करने का मन बनाता है तो वह इस मुद्दे को कोर्ट में ले जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने इस बारे में स्पष्ट किया है कि कोई भी मकान खरीदार पजेशन में बहुत अधिक देरी होने पर 1988 में कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट के तहत गठित ज्यूडिशियल कमीशन का रुख कर सकता है. 

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