HDFC बैंक कस्‍टमर्स के लिए खुशखबरी... MCLR कम करने का ऐलान, अब घट जाएगी आपकी EMI!

बैंक ने कहा है कि यह लोन रेट 7 जनवरी 2025 से लागू हो चुकी हैं. एचडीएफसी बैंक का यह कदम नए साल में कस्‍टमर्स को राहत देने और कर्जदारों के बोझ को हल्‍का करने की दिशा में एक पॉजिटिव स्‍टेप माना जा रहा है. 

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एचडीएफसी बैंक ने घटाया एमसीएलआर एचडीएफसी बैंक ने घटाया एमसीएलआर

aajtak.in

  • नई दिल्‍ली ,
  • 07 जनवरी 2025,
  • अपडेटेड 6:57 PM IST

भारतीय रिजर्व बैंक की एमपीसी बैठक से पहले और नए साल के शुरुआत के साथ ही लोन के ब्‍याज दर में कटौती के संकेत दिखाई देने लगे हैं, क्‍योंकि अभी HDFC बैंक ने मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स बेस्ड लेंडिंग रेट (MCLR) में कमी करने का ऐलान किया है. बैंक ने ओवरनाइट, 6 महीने, 1 साल और 3 साल की अवधि वाले लोन पर MCLR में 0.05% की कमी की है. हालांकि, बाकी अवधि वाले लोन की ब्याज दरें पहले जितनी ही रहेंगी. 

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बैंक ने कहा है कि यह लोन रेट 7 जनवरी 2025 से लागू हो चुकी हैं. एचडीएफसी बैंक का यह कदम नए साल में कस्‍टमर्स को राहत देने और कर्जदारों के बोझ को हल्‍का करने की दिशा में एक पॉजिटिव स्‍टेप माना जा रहा है. 

HDFC बैंक की नई MCLR रेट्स 
एचडीएफसी बैंक ने अपने मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स बेस्ड लेंडिंग रेट (MCLR) में बदलाव किया है, जो 7 जनवरी 2025 से लागू हो चुका है. बैंक ने ओवरनाइट एमसीएलआर को 9.20% से घटाकर 9.15% कर दिया है, जबकि एक महीने और तीन महीने के MCLR में कोई बदलाव नहीं किया गया है, यह क्रमशः 9.20% और 9.30% पर स्थिर हैं. छह महीने और एक साल के एमसीएलआर में 0.05% की कटौती की गई है, जिससे ये दरें अब 9.40% हो चुकी हैं. दो साल की अवधि के लिए भी एमसीएलआर 9.45% पर स्थिर रखा गया है, लेकिन तीन साल या उससे अधिक के लिए दरों को 9.50% से घटाकर 9.45% कर दिया गया है. 

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किन लोगों की कम होगी ईएमआई 
एमसीएलआर को लेकर ये बदलाव उन कस्‍टमर्स पर असर डालेगा, जिनका लोन फ्लोटिंग रेट पर निर्भर है. यह दर उन्‍हीं लोन पर लागू होगी, जो 7 जनवरी 2025 के बाद लिए गए हैं या फिर रिन्‍यू किए गए हैं. रेट्स में कटौती का सबसे ज्यादा फायदा लंबे समय के लोन लेने वालों को होगा. हालांकि, एमसीएलआर-लिंक्ड लोन रखने वाले कस्‍टमर्स को ही इस कमी का लाभ मिलेगा. 

कैसे होगा ईएमआई पर असर 
अगर आप होम लोन, पर्सनल लोन या कार लोन ले रहे हैं, तो बैंक का MCLR आपकी EMI पर सीधा असर डालता है. MCLR बढ़ने पर लोन का इंटरेस्ट रेट बढ़ जाता है, जिससे आपकी EMI ज्‍यादा हो जाती है. MCLR घटने पर लोन का इंटरेस्ट कम हो जाता है, जिससे आपकी EMI सस्ती हो जाती है. 

नए और पुराने लोन पर क्‍या होता है असर? 
MCLR घटने से आपको सस्ता लोन मिल सकता है. वहीं जिन लोगों का लोन पहले से चल रहा है, उनकी EMI में भी कमी आ सकती है. इसलिए अगर आप किसी लोन की प्लानिंग कर रहे हैं, तो MCLR पर नजर रखना फायदेमंद हो सकता है.

कैसे तय होता है MCLR? 
MCLR (मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स बेस्ड लेंडिंग रेट) को तय करने के लिए कई अहम फैक्टर्स पर फोकस दिया जाता है. इसमें बैंक की डिपॉजिट रेट, रेपो रेट, ऑपरेशनल कॉस्ट और कैश रिजर्व रेशो को बनाए रखने का खर्च शामिल होता है. रेपो रेट और रिजर्व रेपो रेट में बदलाव के साथ ही एमसीएलआर पर भी असर होता है. 

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