परमानेंट कर्मचारियों को मिलेगी 1 साल बाद ग्रेच्‍युटी? 30 दिन वाला नियम भी जान लीजिए

नए लेबर कोड में अब ग्रेच्‍युटी का नियम बदल चुका है. इस दायरे में अब कॉन्‍ट्रैक्‍ट पर काम करने वाले फिक्‍स्‍ड टर्म कर्मचारियों को रखा गया है, जिन्‍हें एक साल की नौकरी पर ग्रेच्‍युटी देने की बात कही गई है.

Advertisement
ग्रेच्‍युटी का नियम. (Photo: File/ITG) ग्रेच्‍युटी का नियम. (Photo: File/ITG)

आजतक बिजनेस डेस्क

  • नई दिल्‍ली,
  • 27 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 10:38 AM IST

सरकार ने प्राइवेट सेक्‍टर्स में काम करने वाले कर्मचारियों के लिए बड़ा बदलाव ले‍कर आई है. 21 नवंबर से देश में 29 श्रम कानूनों की जगह 4 कानूनों को लागू कर दिया गया है, जिसके तहत सैलरी, ग्रेच्‍युटी, पीएफ, पेंशन, स्‍वास्‍थ्‍य को लेकर नियमों में बदलाव हुआ है. महिला वर्कर्स से लेकर गिग वर्कर्स तक सभी को सरकार ने एक कानून के दायरे में लाने का प्रयास की है और बड़ी राहत दी है. 

Advertisement

इस नियम के तहत एक सबसे बड़े बदलाव में से एक ग्रेच्‍युटी का नियम है. सरकार ने अब ग्रेच्‍युटी देने की लिमिट 5 साल से घटाकर 1 साल कर दी है, जो प्राइवेट सेक्‍टर्स में काम करने वाले कुछ कर्मचारियों के लिए एक बड़ा तोहफा है. साथ ही ग्रूच्‍येटी का दायरा बढ़ाकर इसमें फिक्‍स्‍ड टर्म कर्मचारियों और कॉन्‍ट्रैक्‍ट पर काम करने वाले कर्मचारियों को शामिल किया गया है. हालांकि पर्मानेंट कर्मचारियों के लिए 5 साल तक नौकरी करने पर ही ग्रेच्‍युटी मिलेगी या 1 साल बाद मिलेगी... इसपर संदेह है. 

30 दिन के भीतर देना होगा ग्रेच्‍युटी का पैसा
संशोधित नियमों के अनुसार, अब फिक्‍स्‍ड टर्म के कर्मचारी केवल एक वर्ष की निरंतर सेवा के बाद ही ग्रेच्युटी के लिए पात्र हो जाएंगे. साथ ही कंपनियों को 30 दिनों के भीतर ग्रेच्युटी जारी करनी होगी, नहीं तो 10% सालाना ब्याज का दंड लागू होगा.

Advertisement

एक्‍सपर्ट्स का कहना है कि फिक्‍स्‍ड टर्म के कर्मचारियों को वेतन और लाभों के मामले में स्थायी कर्मचारियों के समान माना जाएगा, बस एक महत्वपूर्ण अंतर यह है कि ग्रेच्युटी का समय घटाकर एक साल कर दी गई है, बशर्ते कर्मचारी उस अवधि में कम से कम 240 दिनों की निरंतर सेवा पूरी करे. इससे यह तय होता है कि शॉर्ट टर्म कर्मचारियों को सिर्फ इसलिए नुकसान न हो क्योंकि उनका रोल कॉन्‍ट्रैक्‍ट बेस्‍ड है. 

यह कदम महत्वपूर्ण है क्योंकि अब ग्रेच्युटी का कैलकुलेशन सैलरी के बदलाव पर निर्भर करेगा. कुल मुआवजे का कम से कम 50% "मजदूरी" होना अनिवार्य होने के कारण, ग्रेच्युटी का कैलकुलेशन के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला आधार बढ़ने की संभावना है, जिसके परिणामस्वरूप कई कर्मचारियों के लिए भुगतान में बढ़ोतरी होगी. 

क्‍या पर्मानेंट कर्मचारियों को मिलेगी 1 साल बाद ग्रेच्‍युटी? 
दोनों कैटेगरी के बीच का अंतर अब और भी स्पष्ट हो गया है.फिक्‍स्‍ड टर्म के कर्मचारियों की एक पूर्व निर्धारित डेट होती है, जो आमतौर पर किसी प्रोजेक्‍ट्स से जुड़ी होती है. दूसरी ओर, पर्मानेंट कर्मचारी अनिश्चित काल तक काम जारी रखते हैं. नए कानून यह सुनिश्चित करते हैं कि फिक्‍स्‍ड टर्म के कर्मचारियों को रोजगार के दौरान समान व्यवहार मिले और ग्रेच्युटी का अधिकार उनके कॉन्‍ट्रैक्‍ट के अनुसार ही हो.

Advertisement

महत्वपूर्ण बात यह है कि लेबर कोड के एक्‍सपर्ट्स इस बात पर जोर देते हैं कि एक साल का नियम सभी कर्मचारियों पर लागू नहीं होता. सिंघानिया एंड कंपनी के मैनेजिंग पार्टनर रोहित जैन ने स्पष्ट किया कि यह रिपोर्ट कि अब हर कर्मचारी को एक साल बाद ग्रेच्युटी मिलेगी, गलत है. स्थायी कर्मचारियों के लिए यह अभी भी पांच साल है. नए एक साल के नियम का लाभ केवल फिक्‍स्‍ड टर्म वाले कर्मचारियों को ही मिलेगा. 

ग्रेच्‍युटी को लेकर क्‍या कहते हैं एक्‍सपर्ट्स 
सीएमएस इंडसलॉ की पार्टनर देबजानी ऐच के अनुसार, यह बदलाव उन कंपनियों के लिए एक बड़ा बदलाव है, जो लंबे समय से बिना ग्रेच्युटी या सेवरेंस के फिक्‍स्‍ड टर्म के कर्मचारियों को नियुक्त करने की आदी रही हैं. उन्होंने कहा कि इन कर्मचारियों के लिए आनुपातिक ग्रेच्युटी की शुरुआत के साथ, अब कंपनियों पर अतिरिक्त भुगतान का दायित्व आ गया है. हालांकि उन्हें नियुक्ति पैटर्न पर कुछ प्रभाव पड़ने की आशंका है, लेकिन ऐच का मानना ​​है कि पूर्णकालिक कर्मचारियों की नियुक्ति की तुलना में वित्तीय बोझ अभी भी कम होगा. 

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement