बजट में हुआ था ऐलान, 3 महीने के अंदर इस सरकारी कंपनी को बेचने का टारगेट!

Financial Bids Pawan Hans: दरअसल, खस्ताहाल हेलिकॉप्टर संचालक पवन हंस (Pawan Hans) लिमिटेड में अपनी हिस्सेदारी बेचने के लिए सरकार को कई वित्तीय बोलियां मिली हैं, जिससे इस सार्वजनिक उपक्रम की विनिवेश प्रक्रिया अंतिम चरण में पहुंच गई है.

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पवन हंस की बिक्री पवन हंस की बिक्री

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 19 दिसंबर 2021,
  • अपडेटेड 11:11 AM IST
  • 2021-22 में पूरा होगा कंपनी का निजीकरण
  • ONGC भी अपनी 49% हिस्सेदारी बेचने को तैयार

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने इस साल अपने बजट भाषण में घोषणा की थी कि 'पवन हंस' का निजीकरण 2021-22 में पूरा कर लिया जाएगा. अब चालू वित्त वर्ष को बीतने में केवल 3 महीने का वक्त बचा है. ऐसे में सरकार जोर-शोर से जुटी है कि जल्द से जल्द विनिवेश के लक्ष्य को हासिल किया जाए. 

Financial Bids Pawan Hans: दरअसल, खस्ताहाल हेलिकॉप्टर संचालक पवन हंस (Pawan Hans) लिमिटेड में अपनी हिस्सेदारी बेचने के लिए सरकार को कई वित्तीय बोलियां मिली हैं, जिससे इस सार्वजनिक उपक्रम की विनिवेश प्रक्रिया अंतिम चरण में पहुंच गई है.

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अंतिम चरण में विनिवेश

वित्त मंत्रालय के निवेश और लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) में सचिव तुहीन कांत पांडे ने जानकारी दी है कि पवन हंस के विनिवेश के लिए वित्तीय बोलियां लेनदेन सलाहकार को प्राप्त हो गई हैं. प्रक्रिया अब अंतिम चरण में पहुंच गई है. हालांकि उन्होंने यह नहीं बताया कि पवन हंस के लिए कितनी बोलियां प्राप्त हुई हैं. 

सरकार पवन हंस में अपनी 51 फीसदी की समूची हिस्सेदारी बेच रही है. बाकी 49 फीसदी हिस्सेदारी सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) के पास है और वह भी अपनी पूरी हिस्सेदारी बेचना चाहती है.

पवन हंस की स्थापना 1985 में की गई थी और इसके पास 40 से अधिक हेलिकॉप्टर का बेड़ा है, इसमें 900 से अधिक कर्मचारी काम करते हैं जिनमें से आधे से भी कम कर्मचारी स्थायी हैं. यह कंपनी ओएनजीसी की अन्वेषण गतिविधियों के लिए और भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए हेलिकॉप्टर सेवाएं प्रदान करती है.

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कंपनी घाटे में 

कंपनी को 2019-20 में कुल 28 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था और उसके एक साल पहले यह आंकड़ा 69 करोड़ रुपये था. सरकार ने पवन हंस में अपनी हिस्सेदारी बेचने के लिए 2018 में निविदाएं आमंत्रित की थीं. हालांकि उन्होंने पवन हंस खरीदने में रुचि रखने वालों का नाम नहीं बताया है.  

हालांकि जब ONGC ने अपनी हिस्सेदारी बेचने का फैसला किया तो सरकार ने अपने कदम वापस खींच लिए. 2019 में कंपनी को बेचने का एक और प्रयास हुआ था लेकिन तब निवेशकों ने इसमें दिलचस्पी नहीं दिखाई. 

सार्वजनिक क्षेत्र की हेलिकॉप्टर ऑपरेटर कंपनी पवन हंस के निजीकरण के लिए सरकार ने ‘Expressions Of Interests-EOI' (रुचि पत्र) आमंत्रित किए थे, अब दीपम का कहना है कि पवन हंस को खरीदने में कई कंपनियों ने रुचि दिखाई है. 

गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान विनिवेश के जरिये कुल 1.75 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने फरवरी में बजट भाषण के दौरान इस विनिवेश के लक्ष्य का ऐलान किया था.

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