इन दिनों दुनियाभर में क्रिप्टोकरेंसी का लेकर उथल-पुथल मची हुई है. कभी टेस्ला के प्रमुख एलन मस्क का एक ट्वीट इसकी वैल्यू में जमीन-आसमान का अंतर पैदा कर रहा है, तो कभी चीन के इसके खिलाफ सख्त कदम उठाने से दुनियाभर में इसे लेकर चिंता बढ़ रही है. इसी बीच हाल में मध्य अमेरिका के एक देश अल सल्वाडोर ने क्रिप्टोकरेंसी को लीगल टेंडर मानने वाला कानून पास किया है. जिससे अब दुनियाभर के बैंकों के लिए एक नई समस्या खड़ी हो गई है.
बढ़ा मनी लॉन्ड्रिंग का खतरा
पीटीआई की खबर के मुताबिक रेटिंग एजेंसी फिच ने इसे लेकर एक रिपोर्ट जारी की है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि अल सल्वाडोर के बिटकॉइन को लीगल टेंडर मानने से बैंकों के सामने कई बड़े जोखिम पैदा हो गए हैं. इसमें मनी लॉन्ड्रिंग, टेरर फंडिंग इत्यादि की रोकथाम के लिए बनाए गए कानूनों का उल्लंघन शामिल है.
7 सितंबर से होना है प्रभावी
अल सल्वाडोर का बिटकॉइन को लीगल टेंडर मानने का फैसला 7 सितंबर से प्रभावी होना है. फिच का कहना है कि इससे वित्तीय संस्थानों के लिए नियामकीय, वित्तीय और ऑपरेशनल जोखिम बढ़ेंगे.
फिच ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि लोन देने से लेकर बाकी हर काम के लिए बिटकॉइन के उपयोग की संभावना ही चिंता पैदा करने वाली है. इससे अल सल्वाडोर से बिटकॉइन का ट्रैफिक बढ़ सकता है और ये सल्वाडोर के फाइनेंशियल सिस्टम में अवैध गतिविधियों के जोखिम हो बढ़ा सकता है.
बिटकॉइन का उपयोग वैकल्पिक
अल सल्वाडोर के राष्ट्रपति नायिब बुकेले ने गुरुवार को कहा था कि बिटकॉइन का उपयोग ऑप्शनल होगा. इसका मतलब ये हुआ कि जो व्यक्ति बिटकॉइन से पेमेंट रिसीव करता है वो उसे अमेरिकी डॉलर में स्वत: कन्वर्ट कर सकता है. अल सल्वाडोर में डॉलर पिछले दो दशक से वैध मुद्रा है.
फिच का कहना है कि बिटकॉइन को लीगल टेंडर बनाने के नियमों को पेरिस स्थित फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स के ग्लोबल स्टैंडर्ड का पूरी तरह पालन करना चाहिए. क्योंकि बिटकॉइन में ट्रांसपरेंसी का अभाव है और इसके चलते मनी लॉन्ड्रिंग का जोखिम बढ़ सकता है.
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