मोदी सरकार के बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट पर कोरोना की मार, 2023 तक पूरा होने में कई रोड़े

मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट के समय पर पूरा होने में विलंब हो सकता है क्योंकि महामारी के चलते भूमि अधिग्रहण के काम में देरी हुई है.

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aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 05 सितंबर 2020,
  • अपडेटेड 2:28 PM IST
  • प्रोजेक्ट का काम दिसंबर 2023 में पूरा होना प्रस्तावित
  • 1 लाख 10 हजार करोड़ खर्च का अनुमान
  • जापान से 88 हजार करोड़ कर्ज लेगा भारत

कोरोना संकट की वजह से मोदी सरकार के महत्वाकांक्षी मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट पर ब्रेक लग गया है. प्रोजेक्ट से जुड़े अधिकारियों ने कहा कि महाराष्ट्र के पालघर और गुजरात के नवसारी जैसे इलाकों में अभी भी भूमि अधिग्रहण से जुड़े कुछ मुद्दे हैं.

न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक अधिकारियों ने कहा कि पिछले साल कंपनी ने नौ लोक निर्माण टेंडर मंगवाए थे लेकिन इन्हें कोरोना वायरस महामारी के कारण खोला नहीं जा सका. वर्तमान हालात को देखते हुए 2023 तक प्रोजेक्ट पूरा होने में संशय है. आपको यहां बता दें कि प्रोजेक्ट का काम दिसंबर 2023 में पूरा होना प्रस्तावित है.

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63 प्रतिशत भूमि का अधिग्रहण ​हो चुका
नेशनल हाई स्पीड रेल कॉरपोरेशन ने पहले ही प्रोजेक्ट के लिए 63 प्रतिशत भूमि का अधिग्रहण कर लिया है जिसमें गुजरात में लगभग 77 प्रतिशत भूमि, दादरा नगर हवेली में 80 प्रतिशत और महाराष्ट्र में 22 प्रतिशत भूमि शामिल है.

ये समस्याएं भी हैं सामने
प्रोजेक्ट में कॉरिडोर के 21 किमी के अंडरग्राउंड सेक्शन (जिसमें 7 किमी का समुद्र के अंदर का सेक्शन भी शामिल है) के लिए जापान की तरफ से कोई रुचि नहीं दिखाई गई है. इसके अलावा प्रोजेक्ट के लिए जो 11 टेंडर जापानी कंपनियों की तरफ से लिए जाने थे, उनमें प्रस्तावित कीमतें अनुमान से कई गुना ज्यादा था.

गौरतलब है कि देश के पहले बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट पर मुंबई से अहमदाबाद के बीच काम चल रहा है. इस कॉरिडोर पर बुलेट ट्रेन की स्पीड 350 किमी प्रति घंटा होने की उम्मीद है. यानी मुंबई से अहमदाबाद महज 2 घंटे में पहुंचा जा सकेगा. अभी इस दूरी को तय करने में भारतीय रेलगाड़ि‍यों से 7 घंटा और फ्लाइट से एक घंटा लगता है.

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1 लाख 10 हजार करोड़ खर्च का अनुमान
अनुमान के मुताबिक बुलेट ट्रेन के पहले प्रोजेक्‍ट (अहमदाबाद से मुंबई) पर खर्च लगभग 1 लाख 10 हजार करोड़ का होने वाला है. हालांकि, प्रोजेक्‍ट के लिए जापान ने भारत को 88 हजार करोड़ रुपये बतौर कर्ज देने का वादा किया था. जापान ने यह कर्ज 0.1 फीसदी की मामूली ब्याज दर पर 50 सालों के लिए दिया है. इसमें एक सहूलियत यह भी है कि कर्ज की अदायगी में 15 साल का ग्रेस पीरियड है. इसका मतलब यह हुआ कि बुलेट ट्रेन के लिए मिले कर्ज की किस्त बुलेट ट्रेन शुरू होने के 15 साल बाद शुरू होगी.

साल 2019 में रेल मंत्री पीयूष गोयल ने राज्यसभा में बताया था कि मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेल प्रोजेक्‍ट के लिए जापान से 24 बुलेट ट्रेन खरीदी जाएंगी. वहीं, मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने के उद्देश्य से खरीदी जाने वाली 24 बुलेट ट्रेन्स में से छह को भारत में असेंबल करने की योजना है.

 

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