मनरेगा का बढ़ेगा बजट या ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए आएगी नई योजना

मोदी सरकार की वापसी के बाद अब सभी की निगाहें बजट पर टिकी हैं. क्या सरकार मनरेगा पर अपना फोकस बढ़ाती है या फिर ग्रामीणों की आर्थिक सेहत सुधारने के लिए कोई नई योजना लेकर आती है.

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मनरेगा से गांव की बदली तस्वीर मनरेगा से गांव की बदली तस्वीर

अमित कुमार दुबे

  • नई दिल्ली,
  • 14 जून 2019,
  • अपडेटेड 7:59 AM IST

लोकसभा चुनाव से ठीक पहले मोदी सरकार ने अंतरिम बजट में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत ग्रामीण रोजगार योजना के लिए 60,000 करोड़ रुपये आवंटित किया था. केंद्र ने 2018-19 के लिए मनरेगा को 55,000 करोड़ रुपये दिए थे, लेकिन 2019-20 के लिए मनरेगा के बजट में करीब 9 फीसदी का इजाफा किया गया है.

दरअसल सत्ता में वापसी के बाद मोदी सरकार 5 जुलाई को पूर्ण बजट पेश करेगी. इसी साल फरवरी में अंतरिम बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने कहा था कि MGNREGA के लिए सरकार ने साल 2019-20 के लिए 60,000 करोड़ रुपये का ऐलान किया था.

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ऐसे में मोदी सरकार की वापसी के बाद अब सभी निगाहें बजट पर टिकी हैं. क्या सरकार मनरेगा पर अपना फोकस बढ़ाती है या फिर ग्रामीणों की आर्थिक सेहत सुधारने के लिए कोई नई योजना लेकर आती है, क्योंकि कांग्रेस हमेशा मनरेगा की सफलता का श्रेय लेने की कोशिश में रहती है.

मनरेगा ग्रामीण रोजगार योजना है जिसके तहत ग्रामीण इलाकों में लोगों को दैनिक राशि मेहनताना के रूप में दी जाती है. पिछले साल बजट के बाद केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय एक बयान आया था. जिसमें कहा गया था कि भारत सरकार ने मनरेगा के तहत 6084 करोड़ रुपये का अतिरिक्त आवंटन किया है. इसके साथ ही 2018-19 में इस योजना के तहत कुल आवंटन 61 हजार 84 करोड़ रुपये हो गए हैं, जो अब तक का सबसे अधिक आवंटन है.

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मनरेगा पर राजनीति

मनरेगा की राशि आबंटित किए जाने को लेकर राजनीति खूब होती रही है. जहां-जहां बीजेपी विरोधी पार्टियों की सरकारें हैं, वहां से शिकायतें आती हैं कि केंद्र सरकार मनरेगा की राशि नहीं बांट रही है. पिछले साल बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि मनरेगा के तहत 2,500 करोड़ रुपये की राशि केंद्र ने बंगाल को जारी नहीं किए. जबकि कुछ ऐसे भी प्रदेश हैं, जहां मनरेगा की राशि शत-प्रतिशत बांटे जाने की खबरें आईं. पिछले साल मध्य प्रदेश में मनरेगा की कुल राशि बांट दी गई जैसा कि सरकार का दावा है.  

इससे पहले अरुण जेटली ने साल 2017-18 के बजट में मनरेगा का बजट बढ़ाकर 48,000 करोड़ रुपये कर दिया था. पिछले बजट में यानी साल 2018-19 सरकार ने इस योजना को 55,000 करोड़ रुपये का आवंटन किया था. रोजगार गारंटी योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को रोजगार गारंटी दी जाती है.

ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना को 2005 में लॉन्च किया गया था. यह केंद्र सरकार की ओर से चलाई जाने वाली प्रमुख योजना है, इस योजना का मुख्य उद्देश्य भारत के गांवों का विकास और ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को रोजगार प्रदान करना है. खासकर ग्रामीणों का पलायन रोकने के लिए सरकार इस योजना को लेकर आई थी. मनरेगा का पूरा नाम महात्मा गाँधी राष्ट्रीय रोजगार गारण्टी योजना है. इससे पहले इस योजना को राष्ट्रीय रोजगार गारण्टी योजना (एनआरईजीए) नरेगा के नाम से जाना जाता था.

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