इनकम टैक्स वसूली में घूसखोरी पर अंकुश के लिए सरकार 2018-19 के बजट में एक अनूठी योजना लाने तैयारी कर रही है. इस योजना के अनुसार राज्यों की सीमा के परे जाकर टैक्स असेसमेंट किया जा सकता है. इसे इस उदाहरण से समझें कि दिल्ली में बैठे किसी टैक्सपेयर के टैक्स का एसेसमेंट यूपी या देश के किसी भी हिस्से का अधिकारी कर सकता है. इससे अगर कोई दिल्ली में टैक्स चोरी करता है तो उसे नगालैंड या कहीं का भी अफसर पकड़ सकता है.
इससे टैक्स चोरी तो रुकेगी ही, अधिकारियों के भ्रष्टाचार पर भी अंकुश लग सकेगा. इनकम टैक्स ऑफिसेज के डिजिटल व्यवस्था से जुड़ जाने से ऐसा करना अब आसान हो गया है. योजना के अनुसार ऑनलाइन तरीके से रैंडम तरीके से ही इसका चुनाव हो जाएगा कि देश के किस शहर के कौन से अधिकारी के द्वारा एसेसमेंट किया जाना है.
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के अनुसार एक तरफ अप्रत्यक्ष कर में नई जीएसटी व्यवस्था का क्रियान्वयन चल ही रहा है, अब प्रत्यक्ष कर में भी मानवीय संपर्क की जरूरत कम से कम करने पर सरकार अपना ध्यान केंद्रित कर रही है. इसमें अधिकार क्षेत्र मुक्त और ऑनलाइन फीडबैक आधारित व्यवस्था पर जोर होगा. इसका उद्देश्य टैक्स अफसरों द्वारा भ्रष्टाचार और मनमानी की गुंजाइश को कम से कम करना है.
यह पूरी प्रक्रिया ज्यादा टेक्नोलॉजी आधारित होगी और इनकम टैक्स अधिकारियों तथा टैक्सपेयर के बीच सीधे संपर्क की जरूरत कम से कम हो जाएगी. एसेसमेंट किसी एक अधिकारी तक सीमित न होने से टैक्सपेयर को किसी अधिकारी से डरने या उससे खुश करने की जरूरत नहीं रह जाएगी. हालांकि, नई व्यवस्था लाने के लिए सरकार को इनकम टैक्स एक्ट में बदलाव करना पड़ेगा.
सूत्रों के अनुसार आयकर विभाग द्वारा अधिकार क्षेत्र मुक्त आकलन की व्यवस्था के लिए फील्ड अफसरों से चर्चा हो चुकी है और उनसे हासिल फीडबैक को केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने ड्राफ्ट फाइनेंस बिल, 2018 में शामिल किया है.
यही नहीं, नई व्यवस्था के मुताबिक टैक्स एसेसमेंट के काम को कई अधिकारियों में विभाजित किया जा सकता है, जैसे एसेसमेंट किसी और के पास, वेरिफिकेशन किसी और के पास, रिकवरी किसी और पास आदि.
दिनेश अग्रहरि