बिहार में बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से वर्ष 1994 में राज्य सरकार के तत्कालीन वित्त मंत्री शंकर टेकरीवाल ने दो गर्ल्स हाई स्कूल की स्थापना की थी. इनमें एक स्कूल पटना सिटी में और दूसरा सहरसा के पूरब बाजार में स्थित राजकीय कन्या उच्च विद्यालय है. स्थापना के 31 वर्ष बीत जाने के बाद भी सहरसा का यह विद्यालय बुनियादी सुविधाओं से वंचित है.
राजकीय कन्या उच्च विद्यालय पूरब बाजार में फिलहाल करीब 1300 से 1400 छात्राएं नामांकित हैं. स्कूल में 9वीं से 12वीं तक की पढ़ाई होती है और कुल 10 सेक्शन संचालित हैं. इसके बावजूद स्कूल के पास केवल टीन शेड में बने दो कमरे हैं, जिनमें सभी छात्राओं को बैठाकर पढ़ाया जाता है. जगह की कमी के कारण कई छात्राओं को बैठने तक की सुविधा नहीं मिल पाती, जिससे पढ़ाई प्रभावित हो रही है.
गर्ल्स हाई स्कूल बुनियादी सुविधाओं से वंचित
स्कूल की सबसे बड़ी समस्या चहारदीवारी का न होना है. बाउंड्री नहीं होने के कारण स्कूल परिसर में दिनभर असामाजिक तत्वों का जमावड़ा लगा रहता है. इससे छात्राएं खुद को असुरक्षित महसूस करती हैं. छात्राओं ने बताया कि कई बार चापाकल लगाया गया, लेकिन बाहर के लड़के उसे उखाड़ कर ले गए. इसके चलते स्कूल में पीने के पानी की गंभीर समस्या बनी हुई है. विभाग की ओर से दीवार खड़ी कर नल का प्वाइंट तो दिया गया है, लेकिन अब तक उसमें नल नहीं लगाया गया है.
छात्राओं का कहना है कि पानी की कमी, बैठने की जगह न होना और असुरक्षित माहौल के कारण पढ़ाई पर बुरा असर पड़ रहा है. 9वीं कक्षा की छात्रा फिनाश प्रवीण, कशिश कुमारी और 10वीं की छात्रा मुस्कान प्रवीण ने बताया कि बाउंड्री नहीं होने से डर बना रहता है और पानी की व्यवस्था न होने से उन्हें काफी परेशानी होती है.
सफाई और अन्य काम शिक्षक खुद करते हैं
विद्यालय के प्राचार्य सुभाशीष झा ने बताया कि भवन और चहारदीवारी के लिए वर्षों से विभाग को पत्र लिखा जा रहा है, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई. स्कूल में 4th ग्रेड के 9 स्वीकृत पद हैं, लेकिन एक भी कर्मचारी कार्यरत नहीं है. सफाई और अन्य काम शिक्षक खुद करते हैं. बाउंड्री के अभाव में रोज असामाजिक तत्वों से सामना करना पड़ता है और सुरक्षा को लेकर हमेशा डर बना रहता है.
धीरज कुमार सिंह