मध्य प्रदेश के भोपाल में बने 90 डिग्री वाले ओवरब्रिज की चर्चा थमी भी नहीं थी कि अब बिहार का नेशनल हाईवे 22 (NH-22) सुर्खियों में आ गया है. गया और जहानाबाद को जोड़ने वाला यह NH-22 सड़क इन दिनों 100 करोड़ रुपए की लागत से फोरलेन में तब्दील किया जा रहा है, लेकिन सड़क निर्माण की ऐसी तस्वीरें सामने आई हैं, जिन्हें देखकर लोग हैरान हैं. दरअसल, इस नई बनी सड़क के बीचो-बीच दर्जनों बड़े-बड़े पेड़ ज्यों के त्यों खड़े हैं, जिससे यह सड़क दुर्घटना को खुला निमंत्रण बन चुकी है.
पूरा मामला सड़क निर्माण में वन विभाग और पथ निर्माण विभाग के आपसी समन्वय की कमी से जुड़ा है. जानकारी के मुताबिक, जब NH-22 पर चौड़ीकरण का कार्य शुरू किया गया तो पथ निर्माण विभाग ने सड़क मार्ग में आ रहे पेड़ों को हटाने के लिए वन विभाग को NOC के लिए पत्र लिखा था. चूंकि निर्माण कार्य में वन विभाग की जमीन भी उपयोग हो रही थी, इसलिए शर्त रखी गई थी कि जितनी जमीन ली जा रही है, उतनी ही जमीन जहानाबाद में किसी दूसरी जगह पर वन विभाग को दी जाए. लेकिन पथ निर्माण विभाग यह जमीन अब तक उपलब्ध नहीं करा सका. इसी वजह से वन विभाग ने पेड़ों की कटाई की अनुमति नहीं दी.
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इस बीच, सड़क चौड़ीकरण का काम कर रही एजेंसी ने काम रोके बिना ही निर्माण जारी रखा और नतीजा यह हुआ कि हाईवे के बीचों-बीच पेड़ रह गए. सोशल मीडिया पर जब इन पेड़ों की तस्वीरें वायरल हुईं, तो लोग इसे 'बिहार मॉडल' कहकर ट्रोल करने लगे. वायरल तस्वीरों में साफ देखा जा सकता है कि चार लेन की सड़क के बीच में कई विशाल पेड़ खड़े हैं जो किसी भी तेज रफ्तार वाहन के लिए जानलेवा साबित हो सकते हैं.
सोमवार को मामला जब तूल पकड़ने लगा, तो जिला प्रशासन हरकत में आया. प्रशासन ने सफाई देते हुए कहा कि यह मामला विभागीय समन्वय से जुड़ा है और फिलहाल वन विभाग की NOC नहीं मिलने के कारण पेड़ नहीं काटे जा सके हैं. लेकिन इसके बावजूद एजेंसी द्वारा सड़क निर्माण जारी रखना गंभीर लापरवाही है.
प्रशासन ने अब सड़क निर्माण में लापरवाही बरतने पर संबंधित एजेंसी के खिलाफ प्राथमिक रिपोर्ट दर्ज कर ली है. साथ ही तुरंत प्रभाव से उन सभी पेड़ों के आसपास बैरिकेडिंग, रिफ्लेक्टर, बोरे और रंगीन ड्रम लगाए जा रहे हैं ताकि वाहन चालकों को रात में भी पेड़ों की स्थिति का अंदाजा हो सके और कोई दुर्घटना ना हो.
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मंगलवार को जब 'आजतक' टीम ने मौके का जायजा लिया तो देखा कि कई पेड़ों के पास रंगीन ड्रम, मिट्टी के बोरे और रेडियम रिफ्लेक्टर्स लगाए गए हैं. प्रशासन दावा कर रहा है कि जल्द ही NOC मिलने के बाद पेड़ों की कटाई का काम किया जाएगा और सड़क को सुरक्षित बनाया जाएगा. यह घटना ना केवल प्रशासनिक लापरवाही का उदाहरण है बल्कि यह भी दर्शाता है कि करोड़ों की योजनाएं कागज़ी कार्यप्रणाली और विभागीय खींचतान की भेंट चढ़ रही हैं.
रोहित कुमार सिंह