बिहार की राजधानी पटना में झूलते बिजली के तारों से लोगों को जल्द राहत मिलने वाली है. शहर में अंडरग्राउंड केबलिंग का काम तेजी से किया जा रहा है, ताकि सुरक्षित और निर्बाध बिजली आपूर्ति सुनिश्चित की जा सके. स्मार्ट सिटी पहल और राज्य सरकार की योजना के तहत इस महत्वाकांक्षी परियोजना को 2027 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है.
बिजली कंपनियों से मिली जानकारी के अनुसार, इस परियोजना के तहत पटना के करीब 8 लाख बिजली उपभोक्ताओं को अंडरग्राउंड केबल के माध्यम से बिजली दी जाएगी. राज्य सरकार के स्टेट प्लान के तहत 292 करोड़ रुपये की लागत से यह काम कराया जा रहा है. इसके लिए इसी साल जनवरी में डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट (DPR) तैयार की गई थी.
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बीरचंद पटेल पथ, स्टैंड रोड, सगुना मोड़, पाटलिपुत्र और बोरिंग रोड जैसे कई प्रमुख इलाकों में अंडरग्राउंड केबलिंग का काम पूरा हो चुका है, जबकि अन्य क्षेत्रों में काम जारी है. आने वाले महीनों में डाकबंगला, बांकीपुर और आसपास के इलाकों में भी यह काम पूरा किया जाएगा.
पहले 35 किलोमीटर क्षेत्र में अंडरग्राउंड केबलिंग
पेसू के महाप्रबंधक दिलीप सिंह के अनुसार, पहले चरण में लगभग 35 किलोमीटर क्षेत्र में अंडरग्राउंड केबलिंग की जाएगी. इसके साथ ही शहर के अलग-अलग हिस्सों में पावर सब-स्टेशन और आरएमयू (रिंग मेन यूनिट) भी बनाए जा रहे हैं. नगर विकास विभाग से अनुमति मिलने के बाद निजी एजेंसियों को यह कार्य सौंपा गया है.
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अंडरग्राउंड केबलिंग से क्या फायदे?
इस योजना के पूरा होने के बाद बिजली चोरी, शॉर्ट सर्किट, बार-बार ब्रेकडाउन और झूलते तारों की समस्या से स्थायी राहत मिलेगी. परियोजना के तहत 61 कॉम्पैक्ट ट्रांसफॉर्मर लगाए जाएंगे और आधुनिक डक्ट सिस्टम का इस्तेमाल किया जा रहा है. सरकार का कहना है कि अंडरग्राउंड केबलिंग से पटना की बिजली व्यवस्था मजबूत होगी और राजधानी को एक सुरक्षित, स्मार्ट और आधुनिक शहर के रूप में नई पहचान मिलेगी.
रोहित कुमार सिंह