'आरोप फर्जी, वीडियो गलत...', कलेक्टर से 'सेटिंग' वाले दावे पर आई जीतन राम मांझी की सफाई

केंद्रीय मंत्री और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (HAM) के प्रमुख जीतनराम मांझी ने रीकाउंटिंग से जुड़े वायरल वीडियो को लेकर सफाई दी है. मांझी ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि उनका बयान तोड़-मरोड़कर पेश किया गया है और इससे गलत अर्थ निकाले जा रहे हैं. उन्होंने साफ किया कि ना तो वोटिंग मशीन में कोई गड़बड़ी है और ना ही किसी तरह की 'सेटिंग' की बात सही है.

Advertisement
केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी ने वायरल दावे पर सफाई दी. (File Photo: PTI) केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी ने वायरल दावे पर सफाई दी. (File Photo: PTI)

aajtak.in

  • पटना,
  • 20 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 1:20 PM IST

बिहार विधानसभा चुनाव में टिकारी सीट को लेकर वायरल बयान पर केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने सफाई दी है. उन्होंने कहा, यह गलत और भ्रामक वीडियो है. उनकी बात को संदर्भ से अलग करके दिखाया गया है. मांझी के मुताबिक, उनका आशय सिर्फ इतना था कि मतगणना के समय रीकाउंटिंग मांगी जाती है और कई बार इससे नतीजे बदल जाते हैं.

Advertisement

दरअसल, टिकारी सीट से HAM उम्मीदवार अनिल कुमार की हार को लेकर जीतन राम मांझी के पुराने बयान का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. इस बयान में 2020 के चुनाव नतीजे और तत्कालीन कलेक्टर अभिषेक सिंह का जिक्र किया गया है. अब मांझी ने पूरे घटनाक्रम का विस्तार से संदर्भ समझाते हुए अपनी बात रखी है.

केंद्रीय मंत्री मांझी ने कहा कि इस चुनाव में दो ऐसे मामले सामने आए, जहां एक जगह रीकाउंटिंग के बाद एनडीए का उम्मीदवार एक वोट से हार गया, जबकि दूसरी जगह 27 वोट से जीत गया. उनका कहना था कि अगर टिकारी सीट पर भी रीकाउंटिंग की मांग की जाती तो संभव है कि पार्टी वहां चुनाव जीत जाती.

टिकारी सीट पर हार को बताया उम्मीदवार की गलती

मांझी ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि टिकारी सीट पर हार के लिए उम्मीदवार अनिल कुमार खुद जिम्मेदार हैं. उन्होंने कहा कि जैसे ही नतीजों में अनिल कुमार पिछड़े, वे मैदान छोड़कर चले गए. मांझी के अनुसार, उन्होंने उम्मीदवार से कहा था कि जब आप पीछे चल रहे थे तो आपको चुनाव अधिकारी के सामने जाकर रीकाउंटिंग की मांग करनी चाहिए थी.

Advertisement

उन्होंने यह भी कहा कि हर चुनाव में ऐसा होता है कि जो उम्मीदवार पीछे होता है, वह रीकाउंटिंग की मांग करता है. मांझी ने अपने राजनीतिक अनुभव का हवाला देते हुए बताया कि वे खुद 1990 में 27 वोट से चुनाव हार रहे गए थे. लेकिन उन्होंने उस समय रीकाउंटिंग की मांग नहीं की थी. उनका मानना है कि अगर उस समय रीकाउंटिंग होती तो संभव है कि वे भी चुनाव जीत जाते.

2020 और DM अभिषेक सिंह का संदर्भ

मांझी ने कहा कि इसी संदर्भ में उन्हें 2020 विधानसभा चुनाव और गया जी के तत्कालीन डीएम अभिषेक सिंह का किस्सा याद आया. उन्होंने बताया कि उस समय अभिषेक सिंह सक्षम पदाधिकारी थे और जब पुनर्मतगणना की मांग की गई थी तो उन्होंने इसकी अनुमति दी थी. मांझी ने कहा कि इस वक्त भी कलेक्टर अच्छे थे और अगर पुनर्मतगणना की मांगी की जाती तो प्रक्रिया के तहत फैसला लिया जाता.

उनका कहना था कि इस बार बिना किसी से बात किए मैदान छोड़ देना गलती थी. अगर रीकाउंटिंग की मांग की जाती तो नतीजा अलग हो सकता था.

'मशीनरी में कोई दोष नहीं'

वोटिंग मशीन को लेकर उठ रहे सवालों पर मांझी ने कहा कि मशीनरी पूरी तरह ठीक है. उन्होंने साफ कहा कि ईवीएम या चुनाव प्रक्रिया में कोई गड़बड़ी नहीं है. उन्होंने आरोप लगाया कि असली समस्या कार्यकर्ताओं और उम्मीदवारों के मनोबल से जुड़ी है.

Advertisement

मांझी ने कहा कि कई बार कार्यकर्ता और उम्मीदवार निराश होकर मैदान छोड़ देते हैं, जबकि उन्हें अंत तक लड़ना चाहिए. उनका कहना था कि इसी भावना के साथ उन्होंने अपनी राय रखी थी, जिसे अब गलत तरीके से पेश किया जा रहा है.

विवाद कैसे शुरू हुआ?

बिहार विधानसभा चुनाव में इस बार हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा ने 6 सीटों पर चुनाव लड़ा, जिनमें से 5 पर पार्टी ने जीत दर्ज की. पार्टी को केवल टिकारी विधानसभा सीट पर हार का सामना करना पड़ा, जहां HAM उम्मीदवार अनिल कुमार 2058 वोट से चुनाव हार गए.

वहीं, 2020 विधानसभा चुनाव में अनिल कुमार ने इसी टिकारी सीट से रीकाउंटिंग के बाद 2630 वोट से जीत दर्ज की थी. इसी तुलना को लेकर गया जी में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान मांझी ने बयान दिया था, जिसका वीडियो अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है.

वायरल वीडियो में क्या दावा किया गया

वायरल वीडियो में जीतनराम मांझी को यह कहते हुए सुना गया कि 2020 में जब अनिल कुमार चुनाव हार रहे थे तो उन्होंने मांझी से संपर्क कर मदद मांगी थी. मांझी ने दावा किया कि उस वक्त वे करीब 2700 वोट से पीछे थे, लेकिन प्रयासों के बाद चुनाव जीत गए.

Advertisement

मांझी ने वीडियो में यह भी कहा था कि उस समय गया जी के डीएम अभिषेक सिंह ने फोन कर बताया था कि वे 2700 वोट से पीछे थे. मांझी ने यह भी जोड़ा था कि इस बार उम्मीदवार केवल 1600 वोट से पीछे थे, लेकिन उन्होंने उनसे बात तक नहीं की और मैदान छोड़कर चले गए. इसी बयान को लेकर यह आरोप लगाया जा रहा है कि 2020 में चुनाव 'सेटिंग' के जरिए जिताया गया था, जिसे मांझी ने सिरे से खारिज किया है.

---- समाप्त ----
(रिपोर्ट- शुभम निराला)

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement