बिहार के मुंगेर जिले में गंगा नदी में आई बाढ़ ने छह प्रखंडों के हालात बुरी तरह प्रभावित कर दिए हैं. प्रभावित प्रखंडों में सदर, बरियारपुर, जमालपुर, धरहरा, हवेली खड़गपुर और असरगंज शामिल हैं. बाढ़ के कारण करीब 2.5 लाख से ज्यादा लोग प्रभावित हैं. ग्रामीण इलाकों की 30 पंचायत और शहरी इलाकों के 15 वार्ड बाढ़ की चपेट में हैं.
दरअसल, 'आजतक' की टीम जब बरियारपुर प्रखंड का जायजा लेने पहुंची, तो देखा कि गांव और झोपड़ियां पानी में डूबी हुई हैं. बाढ़ के कारण लोगों के पास आने-जाने का कोई साधन नहीं है और केवल नाव ही उनकी मदद कर रही है. प्रशासन ने बाढ़ प्रभावितों के लिए नाव और सामुदायिक किचन की व्यवस्था की है, लेकिन महिलाएं और बच्चे बाढ़ के पानी में सामुदायिक किचन तक नहीं पहुंच पा रहे हैं.
सबसे खतरनाक स्थिति रेलवे लाइन के पास बनी बाढ़ पीड़ितों की झोपड़ियों की है. बरियारपुर प्रखंड के कई गांवों में लोग पास से गुजरती रेलवे लाइन के किनारे ही अपना आशियाना बना चुके हैं. छत पर पॉलिथीन लगाकर बाढ़ से बचने की कोशिश कर रहे लोग हर ट्रेन गुजरने पर खतरे में हैं. ग्रामीणों ने बताया कि प्रशासन की ओर से उन्हें पॉलिथीन उपलब्ध नहीं कराई गई, जिससे उन्हें अपने खर्च से ही यह व्यवस्था करनी पड़ी.
स्थानीय लोगों का कहना है कि रेलवे लाइन के पास रहना बेहद खतरनाक है और किसी भी समय बड़ी दुर्घटना हो सकती है. प्रशासन द्वारा बाढ़ राहत और बचाव कार्य तेजी से किए जा रहे हैं, लेकिन सीमित संसाधनों और बाढ़ के फैलाव के कारण राहत कार्य पर्याप्त नहीं साबित हो रहे हैं. इस बीच, लोगों की सुरक्षा के लिए प्रशासन ने नाव, राहत सामग्री और सामुदायिक किचन की व्यवस्था की है.
मगर, उन्हें अधिक सुरक्षित ठिकानों पर पहुंचाने की आवश्यकता है. स्थानीय प्रशासन और जिला प्रशासन की टीम लगातार बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का निरीक्षण कर रही है और लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने के प्रयास जारी हैं. बाढ़ से प्रभावित मुंगेर के ग्रामीणों की हालत गंभीर बनी हुई है और रेलवे लाइन के पास रहने वाले बाढ़ पीड़ितों की सुरक्षा सबसे बड़ा सवाल बन गया है.
रोहित कुमार सिंह